तीसरी तिमाही में 6.3% से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था:SBI का अनुमान मैन्युफैक्चरिंग-सर्विस सेक्टर में तेजी से यह ग्रोथ; दूसरी तिमाही में 5.4% रही थी
वित्त-वर्ष 2024-25 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ 6.2% से 6.3% के बीच रह सकती है। यह अनुमान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के एक्सपर्ट्स ने लगाया है। SBI की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। यह ग्रोथ डिमांड में बढ़ोतरी, कैपिटल एक्सपेंडिचर, एग्रीकल्चर, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में तेजी के चलते है। इससे पहले जुलाई-सितंबर 2023 तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 8.6% रही थी। भारत सरकार 28 फरवरी को अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के आंकड़े जारी करेगी। जुलाई से सितंबर के बीच GDP ग्रोथ घटकर 5.4% वित्त वर्ष 2025 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ घटकर 5.4% पर आ गई। यह सात तिमाहियों में सबसे धीमी ग्रोथ रही। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के खराब प्रदर्शन के कारण GDP ग्रोथ धीमी रही। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने 29 नवंबर को यह डेटा रिलीज किया था। इससे पहले 2023 की तीसरी तिमाही में ग्रोथ 4.3% रही थी। वहीं एक साल पहले समान तिमाही (Q2FY24) में यह 8.1% थी। पिछली तिमाही यानी, Q1FY25 में ये 6.7% रही थी। भारत का GVA जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.6% की दर से बढ़ा है। एक साल पहले की समान तिमाही में GVA ग्रोथ 7.7% रही थी। वहीं पिछली तिमाही में GVA ग्रोथ 6.8% थी। IMF ने FY25 के लिए 7% ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया है इससे पहले इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने वित्त-वर्ष 2024-25 में GDP ग्रोथ का अनुमान 7% बताया था। वहीं वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP अनुमान भी 6.5% पर ही बरकरार रखा था। 9 अक्टूबर को RBI ने FY25 के लिए भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान 7.2% बताया था। अगस्त में वर्ल्ड बैंक ने फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए भारत की GDP ग्रोथ के अनुमान को 6.6% से बढ़ाकर 7% किया था। तब वर्ल्ड बैंक ने कहा था कि पिछले वित्त वर्ष 2024 में भारतीय इकोनॉमी 8.2% की रफ्तार से बढ़ी, जो सबसे तेज रही। प्रमुख देशों में भारत अभी भी सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी धीमी जीडीपी ग्रोथ के बावजूद भारत प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच अभी भी सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी बना हुआ है। इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही में चीन की GDP ग्रोथ 4.6% रही। वहीं जापान की जीडीपी 0.9% की दर से बढ़ी है। GDP क्या है? GDP इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है। GDP देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रोड्यूस सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है। दो तरह की होती है GDP GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है। कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP? GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है। GDP की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है? GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये GDP में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च। इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है। और चौथा है, नेट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है। ------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... RBI ने रेपो रेट में 0.25% कटौती की: लोन सस्ते हो सकते हैं, मौजूदा EMI भी कम होगी; 5 साल बाद ब्याज दरें घटीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने करीब 5 साल बाद ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया है। अब आपके सभी लोन सस्ते हो सकते हैं और EMI भी घटेगी। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने सुबह 10 बजे मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) में लिए फैसलों की जानकारी दी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...

तीसरी तिमाही में 6.3% से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था: SBI का अनुमान
Kharchaa Pani - भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा हालिया जारी किए गए एक रिपोर्ट में बताया गया है कि देश की अर्थव्यवस्था तीसरी तिमाही में 6.3% की दर से बढ़ने की संभावना है। यह वृद्धि मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में तेजी के चलते अनुमानित की जा रही है। वहीं, दूसरी तिमाही में यह वृद्धि दर 5.4% रही थी। इस खबर के साथ यह बात भी सामने आई है कि वैश्विक आर्थिक दबावों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुई है।
मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में वृद्धि
SBI के मुख्य अर्थशास्त्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में सकारात्मक संकेत देखने को मिल रहे हैं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में उपभोक्ता मांग में सुधार और नए ऑर्डर की संख्या में वृद्धि के कारण ये उन्नति देखने को मिल रही है। इसके अलावा, सेवाओं के क्षेत्र में भी यात्रा और पर्यटन की गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है, जो अर्थव्यवस्था की गति को तेज कर रही है।
क्या है इस वृद्धि का कारण?
इस वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं। एक तो यह है कि सरकार द्वारा उठाए गए सुधारात्मक कदम और निवेश के लिए सहायक नीतियों ने अर्थव्यवस्था को गति दी है। इसके अलावा, घरेलू बाजार में भी तेजी आई है, जिससे निर्माण गतिविधियों में मजबूती आई है। हालांकि, वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन भारत की आर्थिकी ने परिस्थितियों को अच्छे से संभाला है।
भविष्य की संभावनाएं
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह वृद्धि बनी रहती है, तो भारत को 2023-24 के अंत तक 6% से अधिक की विकास दर हासिल हो सकती है। साथ ही, अगर वैश्विक मांग में सुधार देखने को मिलता है, तो भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को और अधिक लाभ मिल सकता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, SBI के अनुमान के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं उज्ज्वल नजर आ रही हैं। मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में हो रही उन्नति से यह साफ है कि देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है, जो आने वाले समय में देश की विकास दर को और अधिक ऊँचाई पर ले जा सकती है।
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