तिरुपति लड्डू विवाद- CBI ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया:जांच में खुलासा- घी की सप्लाई का टेंडर लेने डेयरी मालिक ने फेक डॉक्यूमेंट बनाए
आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति मंदिर के प्रसाद के लड्डू में मिलावट मामले को लेकर 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई के नेतृत्व में जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने रविवार को ये गिरफ्तारी की हैं। जांच अधिकारी ने बताया कि आरोपियों की पहचान भोले बाबा डेयरी के पूर्व निदेशक विपिन जैन और पोमिल जैन, वैष्णवी डेयरी के अपूर्व चावड़ा और एआर डेयरी के राजू राजशेखरन के रूप में हुई है। चारों को प्रसाद के लड्डू बनाने के लिए घी की सप्लाई में अनियमितताएं मिलने पर गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई को जांच में पता चला कि वैष्णवी डेयरी के प्रतिनिधियों ने एआर डेयरी के नाम पर टेंडर हासिल किए थे। वैष्णवी डेयरी ने टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी करने के लिए एआर डेयरी के नाम का इस्तेमाल करते हुए फर्जी डॉक्यूमेंट और मुहरें बनाई थीं। वैष्णवी डेयरी द्वारा बनाए गए नकली रिकॉर्ड में दावा किया गया कि उसने रुड़की में भोले बाबा डेयरी से घी खरीदा है, लेकिन उसके पास जरूरी मात्रा में आपूर्ति करने की क्षमता नहीं थी। सोमवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा चारों को सोमवार को तिरुपति कोर्ट में पेश किया जाएगा। SIT के सदस्य और सीबीआई के जॉइंट डायरेक्टर वीरेश प्रभु के कोर्ट में मौजूद रहने की उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 4 अक्तूबर 2024 को भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी सहित अन्य की याचिकाओं पर सीबीआई को SIT बनाने का आदेश दिया था। सीबीआई ने पिछले साल नवंबर में 5 सदस्यीय SIT का गठन किया था। उन्होंने कहा कि टीम में एजेंसी के 2, आंध्र प्रदेश पुलिस के दो और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के एक अधिकारी शामिल थे। क्या है पूरा मामला आंध्र के सीएम CM चंद्रबाबू नायडू की पार्टी TDP ने 18 सितंबर को आरोप लगाया था कि राज्य में YSR कांग्रेस सरकार में तिरुपति मंदिर में मिलने वाले लड्डू (प्रसादम्) में जानवरों की चर्बी वाला घी और फिश ऑयल मिलाया गया था। इसके अगले दिन TDP ने एक लैब रिपोर्ट दिखाकर अपने आरोपों की पुष्टि का दावा किया। चर्बी की पुष्टि के बाद घी सप्लायर बदला गया TDP सरकार आई, जुलाई में सैंपल की जांच, चर्बी की पुष्टि TDP सरकार ने जून 2024 में सीनियर IAS अधिकारी जे श्यामला राव को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) का नया एग्जीक्यूटिव ऑफिसर अपॉइंट किया था। उन्होंने प्रसादम (लड्डू) की क्वॉलिटी जांच का आदेश दिया। इसके लिए एक कमेटी बनाई। प्रसाद के टेस्ट और क्वॉलिटी को बेहतर बनाने के लिए कमेटी ने कई सुझाव दिए। साथ ही घी की जांच के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB), गुजरात में सैंपल भेजे। जुलाई में सामने आई रिपोर्ट में फैट का जिक्र था। इसके बाद TTD ने तमिलनाडु के डिंडीगुल की एआर डेयरी फूड्स की तरफ से भेजे गए घी के स्टॉक को वापस कर दिया और ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया। इसके बाद TTD ने कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से घी खरीदना शुरू कर दिया। पुराने सप्लायर से घी 320 रुपए प्रति किलोग्राम के रेट से खरीदा जाता था। अब तिरुपति ट्रस्ट कर्नाटक को-ऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) से 475 रुपए प्रति किलोग्राम के रेट से घी खरीद रहा है। घी की शुद्धता जांचने वाली लैब NDDB CALF (आणंद, गुजरात) ने तिरुपति को घी की शुद्धता की जांच करने के लिए एक मशीन दान करने पर सहमति दी है। इसकी लागत 75 लाख रुपए है। ---------------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... क्या तिरुपति मंदिर के लड्डू में चर्बी, घी का ब्रांड बदलने से कैसे खड़ी हुई कॉन्ट्रोवर्सी; 10 सवालों में पूरी कहानी आंध्र प्रदेश के मशहूर तिरुपति मंदिर की लड्डू कॉन्ट्रोवर्सी के कई किरदार हैं। पूर्व CM से मौजूदा CM तक। मंदिर मैनेज करने वाले 'तिरुमला तिरुपति देवस्थानम' से लेकर सैंपल जांच करने वाली नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड तक। नंदनी ब्रांड के घी से लेकर AR डेयरी तक। अब कई पॉलिटिकल पार्टियां भी इसमें कूद पड़ी हैं। पूरी खबर पढ़ें...

तिरुपति लड्डू विवाद- CBI ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया: जांच में खुलासा- घी की सप्लाई का टेंडर लेने डेयरी मालिक ने फेक डॉक्यूमेंट बनाए
Kharchaa Pani
लेखिका: प्रिया शर्मा, नेतनागरी टीम
परिचय
तिरुपति लड्डू विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में सीबीआई ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन गिरफ्तारियों के पीछे की मुख्य वजह एक डेयरी मालिक द्वारा घी की सप्लाई का टेंडर प्राप्त करने के लिए बनाए गए फेक डॉक्यूमेंट्स का खुलासा किया गया है। इस खबर ने यहाँ के भक्तों और तीर्थ यात्रियों को फिर से परेशान कर दिया है।
सीबीआई की ताजा कार्रवाई
सीबीआई ने तिरुपति लड्डू विवाद की जांच में तेजी लाते हुए चार आरोपियों को पकड़ा। इन आरोपियों में एक प्रमुख डेयरी मालिक भी शामिल है, जिसने कथित तौर पर एक ठेके के लिए जाली दस्तावेज़ तैयार किए थे। गिरफ़्तारी से स्पष्ट होता है कि इस जालसाजी में कितनी गंभीरता थी। सीबीआई ने कहा कि यह मामला सिर्फ आर्थिक लाभ लेने की कोशिश नहीं, बल्कि धार्मिक भावनाओं के साथ भी खेलने का था।
फेक डॉक्यूमेंट्स का खुलासा
जांच में यह पाया गया है कि डेयरी मालिक ने घी सप्लाई का टेंडर प्राप्त करने के लिए कई फर्जी दस्तावेज तैयार किए। इन दस्तावेजों में अनुबंध, प्रमाणपत्र, और बैंक गारंटी शामिल थे। इससे पता चलता है कि किस प्रकार से एक व्यक्ति ने धार्मिक आस्था के नाम पर गड़बड़ी करने का प्रयास किया। यह मामला यह भी दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग सस्ते आर्थिक लाभ के लिए भोले-भाले भक्तों का शोषण करते हैं।
भक्तों की प्रतिक्रिया
तिरुपति के भक्त इस मामले से बेहद निराश हैं। उनका मानना है कि भगवान के प्रसाद के साथ इस तरह की धोखाधड़ी स्वीकार्य नहीं है। कई भक्तों ने शिकायतें दर्ज कराई हैं और मांग की है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। यह विवाद तिरुपति मंदिर की छवि को भी हानि पहुंचा रहा है।
विज्ञान और धर्म का संगम
यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि इस प्रकार के मामलों में सिर्फ कानूनी कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। भक्तों को इस बारे में जागरूक करने के लिए धार्मिक संस्थानों को भी आगे आना होगा। इसके अलावा, एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुए टेंडर देने के तरीके को भी सुधारने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
तिरुपति लड्डू विवाद ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अभी भी कैसे कुछ लोग भोले-भाले भक्तों के विश्वास का दुरुपयोग कर रहे हैं। सीबीआई की जांच का यह प्रकरण शायद उन लोगों के लिए एक सीख हो जो अनैतिक तरीकों से लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। इस पूरे मामले में सही जानकारी के साथ शुद्धता और पारदर्शिता का होना बहुत जरूरी है।
इसके साथ ही, यह भी आवश्यक है कि धार्मिक स्थलों पर बढ़ती धोखाधड़ी के खिलाफ भक्तों को सतर्क किया जाए। जरूरत है कि ऐसे मामलों की गहराई से जांच की जाए ताकि भविष्य में कोई भी दूसरी बार इस तरह की हरकत न कर सके।
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