जमानत के बावजूद 24 हजार से ज्यादा कैदी जेल में:50% से ज्यादा MP-UP, बिहार से; बेल की राशि नहीं भर पाने के कारण बंद हैं

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट और नालसा सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट सामने आई है। इसके मुताबिक देश की जिलों में 24 हजार से ज्यादा ऐसे कैदी मौजूद हैं, जो जमानत मिलने के बाद भी जेल में बंद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कैदियों के जेल में होने कारण यह है कि वे जमानत की शर्तें पूरी नहीं कर पा रहे हैं। यानी ये कैदी जमानत राशि जमा नहीं करा सके हैं। इसलिए वे जमानत के बाद भी जेल में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कैदियों में ऐसे कई लोग कई हैं जो मामूली अपराधों में जेल गए थे। देश की जेलों में बंद कुल कैदियों की संख्या 24,879 है। इनमें 50% से सबसे ज्यादा यूपी, मप्र और बिहार से हैं। कानून है, फैसला है, पर जानकारी की कमी दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एसएन ढींगरा ने बताया कि पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जमानत शर्तें पूरी न करने के बावजूद ऐसे बंदियों को रिहा किया जा सकता है, जिन्होंने कुल सजा का एक-तिहाई समय जेल में काटा हो। इसके लिए निचली कोर्ट जाना होगा। यह आदेश दुष्कर्म और हत्या जैसे अपराधों में नहीं लागू होता। जमानत के बावजूद जेल में बंद होने का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 479 के तहत भी इसे लेकर प्रावधान किए गए हैं। हालांकि जानकारी न होने से यह प्रभावी नहीं है। ..................... कोर्ट और जेल से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... तिहाड़ के एक कैदी पर 24 हजार मंथली खर्च: DG बोले- 700 कैदियों को होटल इंडस्ट्री में नौकरी मिली दिल्ली स्थित देश के सबसे बड़े जेल तिहाड़ में एक कैदी पर एक दिन में 800 रुपए खर्च किए जाते हैं। इस हिसाब से हर महीने 24 हजार खर्च होते हैं। तिहाड़ के डायरेक्टर जनरल (जेल) संजय बेनीवाल ने मंगलवार (16 अप्रैल) को यह जानकारी दी। पूरी खबर पढ़ें... SC बोला- ओपन जेल कैदियों की बढ़ती भीड़ का समाधान:दिन में काम करके शाम को जेल लौट सकते हैं, इससे साइकोलॉजिकल प्रेशर कम होगा सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2024 को कहा था कि ओपन जेल की बनाने से जेलों में बढ़ती कैदियों की संख्या की समस्या का समाधान हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि ओपन या सेमी ओपन जेल कैदियों को दिनभर जेल परिसर से बाहर काम करने और शाम वापस जेल में लौटने का ऑप्शन देती है। पूरी खबर पढ़ें...

Mar 8, 2025 - 04:34
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जमानत के बावजूद 24 हजार से ज्यादा कैदी जेल में:50% से ज्यादा MP-UP, बिहार से; बेल की राशि नहीं भर पाने के कारण बंद हैं

जमानत के बावजूद 24 हजार से ज्यादा कैदी जेल में: 50% से ज्यादा MP-UP, बिहार से; बेल की राशि नहीं भर पाने के कारण बंद हैं

लंबे समय से जेल में कैद

हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में 24 हजार से ज्यादा बंदी जमानत मिलने के बावजूद भी जेल में बंद हैं। इन कैदियों की मुख्य समस्या यह है कि वे बेल की राशि नहीं भर पाने के कारण बाहर नहीं आ पा रहे हैं। खासकर, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के कैदियों की संख्या इस मामले में सबसे अधिक है। इस स्थिति ने न्यायिक प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कैदियों के अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता को स्पष्ट किया है।

कैदियों की स्थिति

प्राप्त जानकारी के अनुसार, इनमें से लगभग 50% से ज्यादा कैदी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं। इन राज्यों में कैदियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है, जिसके कारण जेलों में overcrowding की समस्या भी बढ़ी है। बेल की राशि ना भर पाने के कारण ये कैदी कई महीनों से जेल में बंद हैं। प्रशासनिक लापरवाही और जमानत प्रक्रियाओं की जटिलता भी इस समस्या को बढ़ा रही है।

कानूनी सहायता की कमी

बेल की राशि भरने में असमर्थता का मुख्य कारण आर्थिक स्थिति है। कई कैदियों के पास इस राशि का भुगतान करने के लिए साधन नहीं हैं। इसके अलावा, उन्हें उचित कानूनी सहायता भी नहीं मिल रही है, जिससे उनकी स्थिति और बिगड़ रही है। कई बार, बिना सुनवाई के ही कैदियों को लंबा समय जेल में बिताना पड़ता है, जबकि उन्हें जमानत पर रिहा किया जा सकता है।

सरकार की पहल

इस स्थिति को देखते हुए, सरकार को चाहिए कि वह कैदियों की सहायता के लिए नए कानून बनाए जो जमानत की राशि को कम कर सकें या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए विशेष छूट प्रदान करें। इसके साथ ही, जेलों में कैदियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी सहायता का प्रावधान भी किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

जमानत मिलने के बावजूद जेल में बंद कैदियों की स्थिति को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। यह केवल कानूनी प्रक्रिया का मामला नहीं, बल्कि मानवाधिकारों का भी मामला है। इस मामले में संबंधित अधिकारियों को तत्काल कदम उठाने चाहिए ताकि इन कैदियों को न्याय मिल सके। यदि प्रशासनिक स्तर पर सुधार नहीं किए गए, तो यह समस्या बनी रहेगी और न्याय प्रणाली को और भी चुनौती दी जाएगी।

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