जनवरी में व्यापार घाटा बढ़कर ₹1.99 लाख करोड़ हुआ:मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 2.4% कम हुआ, इंपोर्ट 10.3% बढ़ा
एक्सपोर्ट में गिरावट के कारण भारत का मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट यानी व्यापारिक व्यापार घाटा जनवरी 2025 में बढ़कर 22.99 बिलियन डॉलर (1.99 लाख करोड़ रुपए) हो गया है। पिछले महीने दिसंबर में यह 21.94 बिलियन डॉलर यानी 1.90 लाख करोड़ रुपए रहा था। वहीं साल-दर-साल आधार पर जनवरी में गुड्स यानी वस्तुओं का व्यापार घाटा 38.8% बढ़ा है। पिछले वित्त वर्ष के इसी महीने में यह रिवाइज्ड आंकड़ा 16.56 बिलियन डॉलर यानी 1.43 लाख करोड़ रुपए था। जनवरी में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 2.4% घटा कॉमर्स मिनिस्ट्री के 17 फरवरी को जारी प्रोविजनल डेटा के अनुसार, जनवरी में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट में 2.4% की गिरावट आई है। वहीं गुड्स के इंपोर्ट में 10.3% की ग्रोथ हुई है। क्या होता है ट्रेड डेफिसिट? जब एक निश्चित टाइम पीरियड को दौरान देश का इंपोर्ट यानी विदेशों से मंगाए गए सामान की वैल्यू देश के एक्सपोर्ट यानी देश देश के बाहर भेजी जाने वाली सामानों की वैल्यू से ज्यादा हो जाता है। ऐसी स्थिती में भारत का पैसा विदेशों में ज्यादा चला जाता है, इसी स्थिती को ट्रेड डेफिसिट या व्यापार घाटे कहा जाता है। इसे निगेटिव बैलेंस ऑफ ट्रेड भी कहते हैं। दूसरे शब्दों में, जब कोई देश बेचने से ज्यादा खरीदता है, तो उसे ट्रेड डेफिसिट कहा जाता है।

जनवरी में व्यापार घाटा बढ़कर ₹1.99 लाख करोड़ हुआ: मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 2.4% कम हुआ, इंपोर्ट 10.3% बढ़ा
Kharchaa Pani - भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए जनवरी का महीना एक महत्वपूर्ण संकेतक साबित हुआ है। समीक्षाधीन माह में व्यापार घाटा बढ़कर ₹1.99 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण संकेत माना जा रहा है। इस लेख में हम व्यापार घाटे, मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के आंकड़े और उनके असर पर चर्चा करेंगे। लेख को टीम नीतानागरी द्वारा लिखा गया है।
व्यापार घाटे का आंकड़ा
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में व्यापार घाटा ₹1.99 लाख करोड़ तक बढ़ गया। यह आंकड़ा पूरी तरह से चिंताजनक है, जो संकेत करता है कि देश की आयातित वस्तुओं पर निर्भरता बढ़ती जा रही है।
मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट की स्थिति
जनवरी में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट में 2.4% की गिरावट देखने को मिली है। इससे पहले सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए थे, लेकिन बाजार में बनी आर्थिक अस्थिरता के कारण यह गिरावट आई। निर्यातकों ने बताया कि वैश्विक मांग में कमी एवं प्रतिस्पर्धा में वृद्धि के चलते यह स्थिति उत्पन्न हुई।
इंपोर्ट का बढ़ता दबाव
इसके विपरीत, जनवरी में इंपोर्ट में 10.3% की वृद्धि हुई है। इस वृद्धि के पीछे मुख्य रूप से कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि एवं ऊर्जा जरूरतों में इजाफा है। राज्य के वित्तीय आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने पिछले साल की तुलना में अधिक मात्रा में कच्चा तेल आयात किया है।
आर्थिक असर
इस प्रकार की वृद्धि और गिरावट ग्राहकों, व्यापारियों और निवेशकों सभी के लिए चिंता का विषय बन गई है। विशेषकर, जो लोग आयात-निर्यात व्यवसाय में सक्रिय हैं, उन्हें विशेष रूप से इस समय शासन द्वारा दी गई नीतियों की जरूरत है।
निष्कर्ष
जनवरी में व्यापार घाटे में बेतहाशा वृद्धि और मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट में कमी भारत की अर्थव्यवस्था के लिए कई चुनौतीपूर्ण संकेत ले आए हैं। सरकार को अब सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ आयात को नियंत्रित किया जा सके। ऐसे में, निर्यातकों की स्थिति को सुदृढ़ करने और ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में सरकार को खुद सक्रिय होना पड़ेगा।
इसे ध्यान में रखते हुए, उम्मीद की जाती है कि आगामी महीनों में स्थितियों में सुधार होगा और व्यापार घाटे को कम करने में सफलताएं प्राप्त होंगी।
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