कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू होगी:भारत और चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट भी होंगी, दोनों देशों के विदेश सचिवों की मीटिंग में फैसला
इस साल गर्मी के मौसम में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू की जाएगी। भारत और चीन के बीच 2020 में डोकलाम में हुए विवाद के बाद इस यात्रा को रोक दिया गया था। दोनों देशों के विदेश सचिवों के बीच दो दिन चली बातचीत के बाद यात्रा फिर शुरू करने का फैसला लिया गया। बैठक में दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट भी शुरू करने का फैसला लिया गया। ये कोविड के बाद से बंद थीं। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री इस वार्ता के लिए बीजिंग गए थे। यह वार्ता भारत और चीन के विदेश सचिव-उप विदेश मंत्री तंत्र के तहत हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अक्टूबर में कजान में मिले थे। तब दोनों देशों ने आपसी संबंधों की स्थिति पर चर्चा की और संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कुछ कदम उठाने पर सहमति जताई थी। कैलाश मानसरोवर का ज्यादातर एरिया तिब्बत में कैलाश मानसरोवर का ज्यादातर एरिया तिब्बत में है। तिब्बत पर चीन अपना अधिकार बताता है। कैलाश पर्वत श्रेणी कश्मीर से भूटान तक फैली हुई है। इस इलाके में ल्हा चू और झोंग चू नाम की दो जगहों के बीच एक पहाड़ है। यहीं पर इस पहाड़ के दो जुड़े हुए शिखर हैं। इसमें से उत्तरी शिखर को कैलाश के नाम से जाना जाता है। इस शिखर का आकार एक विशाल शिवलिंग जैसा है। उत्तराखंड के लिपुलेख से यह जगह सिर्फ 65 किलोमीटर दूर है। फिलहाल कैलाश मानसरोवर का बड़ा इलाका चीन के कब्जे में है। इसलिए यहां जाने के लिए चीन की अनुमति चाहिए होती है। मान्यता- कैलाश पर्वत पर भगवान शिव रहते हैं हिंदू धर्म में ये मान्यता है कि भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। यही वजह है कि हिंदुओं के लिए ये बेहद पवित्र जगह है। जैन धर्म में ये मान्यता है कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ ने यहीं से मोक्ष की प्राप्ति की थी। 2020 से पहले हर साल करीब 50 हजार हिंदू यहां भारत और नेपाल के रास्ते धार्मिक यात्रा पर जाते रहे हैं। 2020 से चीन, भारतीयों को कैलाश मानसरोवर की यात्रा की इजाजत नहीं दे रहा है। इसी महीने भारत सरकार ने एक RTI के जवाब में कहा है कि कैलाश मानसरोवर जाने से रोककर चीन 2013 और 2014 में हुए दो प्रमुख समझौते तोड़ रहा है। कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भारत और चीन के बीच दो समझौते हुए थे कैलाश मानसरोवर जाने के लिए भारत और चीन के बीच दो प्रमुख समझौते हुए हैं… पहला समझौता: 20 मई 2013 को भारत और चीन के बीच लिपुलेख दर्रा मार्ग से होकर कैलाश मानसरोवर जाने के लिए ये समझौता हुआ। उस समय के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच यह समझौता हुआ था। इससे यात्रा के लिए लिपुलेख दर्रा मार्ग खुल गया। दूसरा समझौता: 18 सितंबर 2014 को नाथूला के जरिए कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते को लेकर भारत और चीन में ये समझौता हुआ था। विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री वांग यी के साथ यह समझौता किया था। दोनों समझौते की भाषा लगभग एक समान है। ये समझौते दोनों देशों के विदेश मंत्री के पेपर पर हस्ताक्षर के दिन से लागू हैं। हर 5 साल के बाद ऑटोमेटिक तरीके से इसकी समय सीमा बढ़ाने की बात समझौते में लिखी है।

कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू होगी: भारत और चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट भी होंगी
टीम नेतनागरी द्वारा
Kharchaa Pani
भारत और चीन के विदेश सचिवों की हाल की मुलाकात में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। यह एक ऐसा मौका है जिसका इंतजार यात्रियों को लंबे समय से था। इसके साथ ही, भारत और चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स की भी घोषणा की गई है, जिससे यात्रा को और आसान बनाया जाएगा।
कैलाश मानसरोवर यात्रा का महत्व
कैलाश मानसरोवर यात्रा, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक है, बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है। कैलाश पर्वत को हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म में विशेष मान्यता प्राप्त है और यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए मुक्ति का स्रोत माना जाता है।
भारत-चीन रिश्तों में प्रगाढ़ता
हाल की बातचीत में, विदेश सचिवों ने दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने पर जोर दिया। इसमें यात्रा संबंधी निर्बंधों को हटाने के साथ-साथ, द्विपक्षीय संवाद को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी। डायरेक्ट फ्लाइट्स की सुविधा से न केवल यात्रा की अवधि में कमी आएगी, बल्कि यात्रियों के लिए सुगमता भी बढ़ेगी।
यात्रा की प्रक्रिया
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए यात्रियों को अब पहले से अधिक आसान प्रक्रिया का पालन करना होगा। इसमें पंजीकरण, वीजा और अन्य आवश्यक दस्तावेजों के बारे में जानकारी दी जाएगी। यात्रा की तिथियों और маршруट की घोषणा जल्द की जाएगी, जिससे यात्रियों को योजना बनाने में सुविधा होगी।
सुरक्षा और सुविधा
विदेश सचिवों ने यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए सुरक्षा उपायों पर भी चर्चा की। स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य एजेंसियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देंगे, ताकि यात्रियों को एक सुरक्षित और सुखद अनुभव मिल सके।
निष्कर्ष
कैलाश मानसरोवर यात्रा का फिर से शुरू होना और डायरेक्ट फ्लाइट्स की सुविधा, दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने में सहायता करेंगे। यह धार्मिक यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए वरदान साबित होगी, बल्कि यह पर्यटन क्षेत्र में भी नई जान फूंक देगी। भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
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