कनाडा को जासूसी गैंग से निकालने पर तुले ट्रम्प:पांच देशों के इस ग्रुप में दुनिया के सबसे खतरनाक जासूस, क्या है यह 5-EYES

तारीख- सितंबर 2021 जगह- रावलपिंडी, पाकिस्तान न्यूजीलैंड टीम पाकिस्तान दौरे पर गई थी। रावलपिंडी में दोनों देशों के बीच वनडे मैच होने वाला था। मैच शुरू होने से कुछ मिनट पहले न्यूजीलैंड टीम ने ऐलान किया कि वह फील्ड में नहीं उतरेगी। कुछ ही घंटे बाद अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर पाकिस्तान से निकल गई। पाकिस्तान से लेकर इंटरनेशनल मीडिया तक न्यूजीलैंड के इस फैसले से हैरान रह गई। 48 घंटे बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के एक अधिकारी वसीम खान ने बताया कि ‘फाइव आइज’ की तरफ से न्यूजीलैंड को सिक्योरिटी अलर्ट मिला था। इसमें आतंकी हमला होने की आशंका जाहिर की गई थी। आज 4 साल बाद एक बार फिर से फाइव आइज चर्चा में है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प कनाडा को 5 देशों के खुफिया ग्रुप ‘फाइव आईज’ से बाहर निकालने की योजना बना रहे हैं। ऐसे में यह जानना अहम है कि फाइव आइज क्या है, कनाडा को इस गठबंधन से बाहर करने की चर्चा क्यों शुरू हुई है? 5 देशों से मिलकर बना फाइव आइज जैसा नाम से साफ है कि यह पांच देशों का एक संगठन है। इसके मेंबर एक दूसरे के साथ खुफिया इनपुट साझा करते हैं और कई मामलों में साथ मिलकर भी काम करते हैं। इसमें अमेरिका और उसके सहयोगी कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड हैं। फाइव आइज को दुनिया का सबसे ताकतवर इंटेलिजेंस नेटवर्क भी माना जाता है। इस अलायंस का सबसे बड़ा मकसद आतंकवाद को रोकना और नेशनल सिक्योरिटी के लिए काम करना है। जर्मनी-जापान को रोकने के लिए हुई फाइव आइज की शुरुआत फाइव आइज अलायंस की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के समय हुई। अमेरिका और ब्रिटेन के बीच 1943 में ब्रिटिश-US कम्युनिकेशन इंटेलिजेंस एग्रीमेंट (BRUSA) हुआ। यह तय हुआ कि दोनों देशों के कोड-ब्रेकर्स साथ मिलकर जर्मनी और जापान के कम्युनिकेशन कोड्स को तोड़ने का काम करेंगे। दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ इंटेलिजेंस इनपुट साझा करना शुरू किया। जंग में उन्हें इस का फायदा भी मिला। जंग जीतने के बाद अमेरिका-ब्रिटेन ने इस अलायंस को जारी रखने का फैसला किया। साल 1946 में इस एग्रीमेंट को नया नाम- UKUSA (यूके-यूएसए एग्रीमेंट) दिया गया। साल 1949 में कनाडा भी इससे जुड़ गया। इसके बाद 1956 में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया भी इसमें शामिल हो गए। इसके बाद इसका नाम फाइव आइज पड़ा। फाइव आइज में जुड़ीं 20 से ज्यादा एजेंसियां फाइव आइज अलायंस कंट्रीज अपने पार्टनर के इंट्रेस्ट को ध्यान में रखते हुए काम करती हैं और एक दूसरे के लिए इंटेलिजेंस इनपुट जुटाती हैं। इसमें सभी सदस्य देशों की 20 से ज्यादा एजेसियां जुड़ी हुई हैं। कई दशकों तक यह अलायंस गुप्त तौर पर काम करता रहा। जर्नल ऑफ कोल्ड वॉर स्टडीज में छपे एक लेख के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में साल 1972 में गॉफ व्हिटलैम प्रधानमंत्री बने थे। उन्हें एक साल बाद पता चला कि फाइव आइज नाम का कोई अलायंस भी अस्तित्व में है। 55 साल तक दुनिया की नजरों से गायब रहा साल 1999 तक किसी भी सदस्य देश ने इस अलायंस के होने का खुलासा नहीं किया था। पहली बार साल 2010 में फाइव आइज से जुड़े एग्रीमेंट को सार्वजनिक किया गया। फाइव आइज का सचिवालय अमेरिका में है। इस अलायंस में अमेरिका ही सबसे ज्यादा इंटेलिजेंस शेयर करता है। इसके बाद ब्रिटेन दूसरा देश है जो सबसे ज्यादा इंटेलिजेंस देता है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड की भूमिका बहुत सीमित है। 5 आइज देशों में हर एक की अलग-अलग जिम्मेदारी साल 2020 में एक कनाडाई खुफिया अधिकारी ने एक मिलिट्री इंटेलिजेंस से जुड़ी मैगजीन में लिखा कि फाइव आइज से जुड़े हर देश की अलग-अलग जिम्मेदारी है। ऑस्ट्रेलिया साउथ चाइना, इंडो-चाइना और उसके करीबी पड़ोसियों को कवर करता है; ब्रिटेन, अफ्रीका और कुछ यूरोपीय देशों का प्रभारी है; न्यूजीलैंड पश्चिमी प्रशांत देशों की जानकारी इकट्ठा करता है, जबकि कनाडा, रूस से जुड़े मामले को देखता है। कनाडा को फाइव आइज से क्यों निकालना चाहते हैं ट्रम्प? विदेश मामलों के जानकार और जेएनयू के प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं कि कनाडा के पास उतने सैनिक नहीं हैं। नाटो के जरिए ही कनाडा को सिक्योरिटी मिलती है जो अमेरिका उसे मुहैया कराता है। कनाडा और अमेरिका के बीच फिलहाल ट्रेड और टैरिफ को लेकर कई विवाद चल रहे हैं। ऐसे में ट्रम्प की नीति कनाडा को अपमानित करने की है। वे बार-बार ट्रूडो को ‘गवर्नर’ कहकर संबोधित करते हैं। अब कनाडा को फाइव आइज से निकालने वाली बातें भी इसी चीज का हिस्सा है। ऐसा करके ट्रम्प कनाडा को अपनी शर्तों पर लाना चाहते हैं। कनाडा के लिए कितना अहम है फाइव आइज? कनाडा अपनी सुरक्षा को मजबूत करने और खतरों से निपटने के लिए काफी हद तक फाइव आइज पर निर्भर है। इसमें शामिल देश भले ही गठबंधन के तहत युद्ध या कूटनीति के क्षेत्र में मदद न करें, लेकिन यह देश एक-दूसरे को ऐसी अहम जानकारियां मुहैया कराते रहे हैं, जिनसे बड़े खतरों को टालने में मदद मिली है। ट्रम्प के सलाहकार पीटर नवारो ने खुद कनाडा को फाइव आइज नेटवर्क से बाहर करने का प्रस्ताव रखा है। उनके मुताबिक कनाडा की रक्षा क्षमता, अमेरिका के सुरक्षा मानकों के मुताबिक नहीं है। कनाडा इस अलायंस में सबसे कम योगदान देना है। कनाडा को गठबंधन से बाहर करने से अमेरिका को फायदा होगा। कनाडा को अलायंस से हटाने से क्या नुकसान हो सकता है ट्रम्प के पूर्व रणनीतिक सलाहकार स्टीव बैनन के मुताबिक कनाडा के पास खुद की हिफाजत करने लायक संसाधन नहीं हैं। चीन जब आर्कटिक में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है तब उसे अलायंस से बाहर करना खतरनाक हो सकता है। बैनन ने कहा कि कनाडा सीमित क्षमता होते हुए कहीं ज्यादा काम करता है। अगर हम इतिहास पर नजर डालें तो सैन्य मामले में कनाडा, अमेरिका का सबसे अच्छा सहयोगी रहा है। निज्जर की हत्या से जुड़े मामले में आया फाइव आइज का नाम खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की जून 2023 में हत्या कर दी गई थी। इस मामले में कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय खुफिया एजेंसियों पर निज्जर की हत्या को अ

Feb 28, 2025 - 06:34
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कनाडा को जासूसी गैंग से निकालने पर तुले ट्रम्प:पांच देशों के इस ग्रुप में दुनिया के सबसे खतरनाक जासूस, क्या है यह 5-EYES

कनाडा को जासूसी गैंग से निकालने पर तुले ट्रम्प: पांच देशों के इस ग्रुप में दुनिया के सबसे खतरनाक जासूस, क्या है यह 5-EYES

Kharchaa Pani - इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि कैसे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कनाडा को 5-EYES नेटवर्क से बाहर करने पर विचार कर रहे हैं। यह कार्रवाई एक ऐसे समय में हो रही है जब जासूसी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसों का अधिकार 5-EYES ग्रुप में है।

5-EYES नेटवर्क क्या है?

5-EYES, जिसे "फाइव आईज़" भी कहा जाता है, एक साझा जासूसी सहयोग है जिसमें पांच प्रमुख देशों - अमेरिका, कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया, और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं। यह नेटवर्क डेटा का आदान-प्रदान करता है, जिससे इन देशों को वैश्विक ख़तरों का सामना करने में मदद मिलती है।

ट्रम्प का कनाडा को बाहर करने का फैसला

डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में संकेत दिया है कि वह कनाडा को 5-EYES से निकालने की संभावना पर विचार कर रहे हैं। उनका मानना है कि कनाडा ने कई बार उनकी जासूसी सक्षमताओं पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे एक सुरक्षा जोखिम के रूप में देखा है जो पूरे नेटवर्क की प्रभावशीलता को नुकसान पहुँचा सकता है।

जासूसी के खतरे

जागतिक स्तर पर, जासूसी एक बड़ा खतरा बन चुकी है। हाल के कुछ घटनाक्रमों में, जासूसों ने देशों के आंतरिक मुद्दों और सुरक्षा जानकारी को चुराने का प्रयास किया है। 5-EYES के सदस्य देशों का सहयोग अधिकतर साइबर सुरक्षा और आतंकवाद निरोधक गतिविधियों के लिए होता है। लेकिन अगर कनाडा इस नेटवर्क से बाहर होता है, तो यह स्थिति और भी जटिल हो सकती है।

5-EYES में शामिल देशों की भूमिका

इन पाँच देशों का एक ठोस नेटवर्क है जो सुरक्षा से संबंधित डेटा साझा करता है। अमेरिका अपनी तकनीकी क्षमता के लिए मुख्य भूमिका निभाता है, जबकि यूके और ऑस्ट्रेलिया भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कनाडा का हिस्सा होना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, और इसे छोड़ने का कदम एक बड़े परिवर्तन की ओर इशारा कर सकता है।

कनाडा की प्रतिक्रिया

कनाडा सरकार ने ट्रम्प के इस बयान पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि 5-EYES नेटवर्क की स्थिरता बनाए रखने के लिए सभी सदस्यों को एकजुट रहना चाहिए। हालांकि, कनाडा द्वारा भविष्य में किसी कदम की आवश्यकता की बात भी की जा रही है।

निष्कर्ष

ट्रम्प का यह निर्णय सभी के लिए चौंकाने वाला है। 5-EYES नेटवर्क का प्रभावी होना वैश्विक सुरक्षा में मदद को सुनिश्चित करता है। यदि कनाडा इस नेटवर्क से बाहर होता है, तो इससे अलग-अलग देशों के बीच संबंध और जासूसी गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। आने वाले समय में देखते हैं कि यह परिस्थिति को कैसे संभाला जाता है।

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5-EYES, Donald Trump, Canada, espionage, intelligence network, global security, spy agency, security threats, international relations, data sharing

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