उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार का खनन पर बड़ा खुलासा - सीएम धामी पर गंभीर आरोप
आज उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा द्वारा एक प्रेस कांफ्रेंस की गई जिसमें कहा गया कि धामी सरकार को खनन प्रेमी सरकार क्यों कहा जाता है, यह आज आरटीआई से प्राप्त…

उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष, बॉबी पंवार ने खनन पर किया बड़ा खुलासा
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कम शब्दों में कहें तो, आज उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा द्वारा एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें अध्यक्ष बॉबी पंवार ने खनन गतिविधियों को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने मुख्यमंत्री धामी को "खनन प्रेमी" करार दिया और खनन से जुड़ी कुछ उच्च अधिकारियों की पोल खोली। यह प्रकरण राज्य में खनन पर बढ़ते विवाद का एक प्रमुख कारण बन गया है।
धामी सरकार पर गंभीर आरोप
बॉबी पंवार ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि धामी सरकार अवैध खनन कारोबार को संरक्षण दे रही है और राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि आरटीआई (सूचना का अधिकार) के माध्यम से मिली जानकारी में स्पष्ट रूप से दिखता है कि कौन से अधिकारी खनन गतिविधियों में शामिल हैं। ऐसी स्थिति न केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए है, बल्कि यह राज्य की प्राकृतिक धरोहर के लिए भी एक गंभीर खतरा बन चुकी है।
खनन के अधिकारियों की पोल खोलना
पंवार ने ऐसे कुछ अधिकारियों का नाम लिया, जो खनन के अवैध धंधों में लिप्त हैं और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने सरकार से अपील की कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाए। उनके अनुसार, यह मामला सिर्फ राजनीति का नहीं, बल्कि आम जनता के जीवन का भी प्रश्न है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार इस मुद्दे पर अपनी जिम्मेदारी निभाएगी?
प्रस्तुत वीडियो संदेश और महत्वपूर्ण नोट्स
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान, बॉबी पंवार ने खनन गतिविधियों के रिकॉर्ड्स और दस्तावेजों का एक वीडियो प्रदर्शित किया। इस वीडियो में यह दर्शाया गया कि किस तरह से धामी सरकार ने खनन संबंधी नियमों का उल्लंघन किया है। पंवार का कहना है कि जनता को इस मुद्दे पर जागरूक रहना चाहिए और सरकार से इस विषय में स्पष्ट जवाब मांगना चाहिए।
निष्कर्ष: खनन विवाद की नई शुरुआत
आज के खुलासे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि खनन पर चर्चा और विवाद आगे बढ़ेगा। जब पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुकी है, तब बॉबी पंवार की बातें न केवल राज्य में एक नई बहस को जन्म देती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि राजनीति किस तरह से आम जनता के जीवन को प्रभावित कर सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे पर किस प्रकार की कार्रवाई करती है।
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