आमलकी एकादशी 10 मार्च को:होली की शुरुआत का पर्व है रंगभरी एकादशी, इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने की है परंपरा
सोमवार, 10 मार्च को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी है, जिसे आमलकी एकादशी और रंगभरी एकादशी कहते हैं। ये हिंदी पंचांग की अंतिम एकादशी मानी जाती है। इस तिथि पर आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। व्रत-पूजा के साथ ही इस दिन दान-पुण्य भी खासतौर पर किया जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ये व्रत-पर्व होली से ठीक चार दिन पहले मनाया जाता है। इस तिथि पर काशी में बाबा विश्वनाथ को अबीर-गुलाल चढ़ाए जाते हैं। पुराने समय इसी दिन से होली पर्व की शुरुआत हो जाती थी। आज भी काशी, मथुरा, वृंदावन, गोकुल के आसपास इस दिन से लोग होली खेलना शुरू कर देते हैं। आंवले के वृक्ष में लक्ष्मी-विष्णु करते हैं वास आमलकी एकादशी पर आंवले के वृक्ष की पूजा करनी की परंपरा है। मान्यता है कि आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी वास करते हैं। इसी वजह से आमलकी एकादशी पर आंवले की पूजा की जाती है। इस दिन कई लोग पानी में आंवले का रस मिलाकर स्नान करते हैं। आंवले का दान करते हैं। आमलकी एकादशी पर कौन-कौन से शुभ काम करें ऐसे कर सकते हैं एकादशी व्रत

आमलकी एकादशी 10 मार्च को: रंगभरी एकादशी, होली की शुरुआत का पर्व
Kharchaa Pani
लेखक: साक्षी तिवारी, नीति शर्मा, टीम नेतानागरी
परिचय
आमलकी एकादशी, जिसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है, इस बार 10 मार्च को मनाई जाएगी। यह परंपरागत पर्व होली की शुरुआत का प्रतीक है, जो भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। इस दिन श्रद्धालु आंवले के वृक्ष की पूजा करते हैं और उसका महत्व समझते हैं। इस लेख में हम जानेंगे इस एकादशी के महत्व, इसकी पूजा विधि और होली पर्व से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
आंवले का महत्व
आंवले का फल भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य और कल्याण का प्रतीक माना जाता है। इसमें विटामिन C की उच्च मात्रा होती है, जो सेहत के लिए लाभदायक है। आमलकी एकादशी पर आंवले के वृक्ष की पूजा करने से भक्तों को मानसिक शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
इस एकादशी पर पूजा करने की विधि सरल है। भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र पहनते हैं। इसके बाद आंवले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर उस पर जल चढ़ाते हैं। श्रद्धालु अपने मन और इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दिन व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और मुक्ति की प्राप्ति होती है।
रंगभरी एकादशी और होली का संबंध
रंगभरी एकादशी से होली का गहरा संबंध है। यह पर्व समाज में रंगों के त्यौहार की शुरुआत करता है। इस दिन से लोग एक-दूसरे के साथ रंग खेलते हैं और सद्भावना का संदेश फैलाते हैं। यह त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है और नई फसल के स्वागत का अवसर प्रदान करता है।
निष्कर्ष
संक्षेप में, आमलकी एकादशी न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह हमारे समाज में प्रेम, भाईचारे और एकता को भी बढ़ावा देती है। श्रद्धालु इसे पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं और इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करते हुए जीवन में नई ऊर्जा का संचार करते हैं। इसलिए, इस एकादशी को सही तरीके से मनाना और परंपराओं का पालन करना महत्वपूर्ण है। अधिक अपडेट के लिए, विजिट करें kharchaapani.com.
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