अमेरिकी विदेश मंत्री ने दक्षिण अफ्रीका G-20 का बायकॉट किया:कहा- वह देश बहुत बुरे काम कर रहा, प्राइवेट प्रॉपर्टी कब्जा रहा
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बुधवार को दक्षिण अफ्रीका में 20-21 फरवरी को आयोजित होने वाली G-20 समिट का बायकॉट किया है। मार्को रुबियो का कहना है कि वह साउथ अफ्रीका सरकार की भूमि अधिग्रहण नीतियां और अमेरिका विरोधी रुख की वजह से यह फैसला ले रहे हैं। X पोस्ट में रुबियो ने कहा- मैं जोहान्सबर्ग में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लूंगा। दक्षिण अफ्रीका बहुत बुरे काम कर रहा है। प्राइवेट प्रॉपर्टी पर कब्जा कर रहा है। G-20 का इस्तेमाल एकजुटता, समानता और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कर रहा है। दूसरे शब्दों में यह DEI और क्लाइमेट चेंज प्रोग्राम है। उन्होंने कहा कि मेरा काम अमेरिका के राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देना है न कि टैक्स देने वालों का पैसा बर्बाद करना और अमेरिका विरोधी भावना को बढ़ावा देना। दक्षिण अफ्रीका दिसंबर 2024 से नवंबर 2025 तक G-20 की अध्यक्षता कर रहा है। इसी वजह से इस साल 20-21 फरवरी को जोहान्सबर्ग में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। क्या है DEI प्रोग्राम अमेरिका में विविधता, समानता और समावेशी (DEI) प्रोग्राम भेदभाव खत्म करने के लिए चलाया जाता था। इस प्रोग्राम का उद्देश्य महिला, अश्वेत, अल्पसंख्यक, LGBTQ+ और अन्य कम प्रतिनिधित्व वाले ग्रुप्स के लिए अवसरों को बढ़ावा देना था। ट्रम्प का कहना था कि यह प्रोग्राम गोरे अमेरिकी लोगों से भेदभाव करता है। वहीं जलवायु परिवर्तन को ट्रम्प एक धोखा कह चुके हैं। उनका कहना है कि चीन बेरोकटोक प्रदूषण फैला रहा है, अमेरिका अपने उद्योगों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। ट्रम्प कर चुके हैं साउथ अफ्रीका की आलोचना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी हाल ही में तरफ से साउथ अफ्रीका सरकार की भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर आलोचना की थी। दरअसल ट्रम्प ने आरोप लगाया था कि साउथ अफ्रीका की सरकार जबरदस्ती लोगों की जमीन पर कब्जा कर रही है और वहां कुछ चुनिंदा लोगों को परेशान कर रही है। ट्रम्प ने सोशल मीडिया ट्रुथ पर लिखा- दक्षिण अफ्रीका सरकार लोगों की जमीन जब्त कर रही है और कुछ वर्गों के साथ बहुत बुरा व्यवहार कर रही है। अमेरिका इसे बर्दाश्त नहीं करेगा, हम कार्रवाई करेंगे। मैं मामले की जांच पूरी होने तक दक्षिण अफ्रीका को भविष्य में मिलने वाली सभी फंडिंग रोक दूंगा! दक्षिण अफ्रीका बोला- मनमाने तरीके से जमीन जब्त नहीं होगी रॉयटर्स के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने हाल ही में एक भूमि अधिग्रहण बिल पारित किया है। इस बिल में प्रावधान है कि सरकार सार्वजनिक हित में बिना किसी मुआवजे के लोगों की जमीन पर कब्जा कर सकती है। वहीं दक्षिण अफ्रीकी सरकार का कहना था कि वो मनमाने तरीके से जमीन जब्त नहीं कर रही है, बल्कि इसके लिए पहले भूमि मालिकों से बात की जाएगी। दक्षिण अफ्रीका में भूमि सुधार और रंगभेद लंबे समय से विवादित मुद्दा बना हुआ है। मस्क भी दे चुके हैं दक्षिण अफ्रीका को चेतावनी रॉयटर्स के मुताबिक अमेरिका ने 2023 में दक्षिण अफ्रीका को स्वास्थ्य कार्यक्रमों, आर्थिक विकास और सुरक्षा सहयोग के लिए लगभग 3.82 हजार करोड़ रुपए की मदद दी थी। ट्रम्प के इस फैसले के बाद अब दक्षिण अफ्रीका को मिलने वाली फंडिंग जल्द रुक सकती है और अमेरिका सरकार मानवाधिकार उल्लंघनों के मामले की जांच भी कर सकती है। डोनाल्ड ट्रम्प के सहयोगी और दक्षिण अफ्रीका में जन्मे अरबपति इलॉन मस्क ने चेतावनी दी है कि रामफोसा की इस पॉलिसी से वैसा ही असर हो सकता है जैसा 1980 के दशक में जिम्बाब्वे में भूमि जब्ती के बाद हुआ था। जिसे जिम्बाब्वे की आर्थिक बर्बादी का कारण माना जाता है। ------------------------------------- यह खबर भी पढ़ें... साउथ अफ्रीका की आर्थिक मदद रोकेंगे ट्रम्प:कहा- वहां सरकार जबरदस्ती लोगों की जमीन कब्जा रही, हम बर्दाश्त नहीं करेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को साउथ अफ्रीका को भविष्य में मिलने वाली सभी फंडिंग रोकने की घोषणा की। ट्रम्प ने आरोप लगाया कि साउथ अफ्रीका की सरकार जबरदस्ती लोगों की जमीन पर कब्जा कर रही है। इसके साथ ही वहां कुछ लोगों को परेशान कर रही है। यहां पढ़ें पूरी खबर...

अमेरिकी विदेश मंत्री ने दक्षिण अफ्रीका G-20 का बायकॉट किया: कहा- वह देश बहुत बुरे काम कर रहा, प्राइवेट प्रॉपर्टी कब्जा रहा
Kharchaa Pani द्वारा, लेखिका: स्नेहा वर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
दुनिया के विभिन्न नेताओं और देशों के बीच चल रही राजनीतिक चर्चाओं के बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने दक्षिण अफ्रीका में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन का बायकॉट करने का निर्णय लिया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि दक्षिण अफ्रीका द्वारा किए जा रहे कार्यों के कारण यह निर्णय लिया गया। यह बयान वैश्विक कूटनीति में एक नया मोड़ दर्शाता है, जहां प्राइवेट प्रॉपर्टी के कब्जे को लेकर गंभीर चिंताएँ उठाई जा रही हैं।
महत्त्वपूर्ण पृष्ठभूमि
G-20 शिखर सम्मेलन, जो दुनिया के सबसे बड़े अर्थव्यवस्थाओं का एक मंच है, में देश की भूमिका तथा उसकी कूटनीतिक रणनीतियाँ महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। लेकिन अमेरिका के विदेश मंत्री का यह फैसला दक्षिण अफ्रीका सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता है। दक्षिण अफ्रीका में प्राइवेट प्रॉपर्टी के अधिकारों का उल्लंघन तथा भूमि पुनर्वितरण के मुद्दे पर गंभीर विवाद चल रहे हैं।
क्यों हुआ बायकॉट?
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका वर्तमान में बहुत बुरे काम कर रहा है। उन्होंने विशेष रूप से प्राइवेट प्रॉपर्टी के मामलों में देश के रुख की निंदा की। उनका मानना है कि अगर दक्षिण अफ्रीका अपनी नीतियों में सुधार नहीं करता है, तो यह वैश्विक स्तर पर उनकी छवि को और नुकसान पहुँचा सकता है। इसके अलावा, इस प्रकार के व्यवहार से अंतरराष्ट्रीय निवेशक भी चिंतित हैं, जो देश में निवेश करने से हिचक रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका की प्रतिक्रिया
इस बायकॉट पर दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने खेद व्यक्त किया है और इन आरोपों का जवाब देने का आश्वासन दिया है। सरकार ने कहा कि वे अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार हैं। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने कहा कि सभी पक्षों को एक साथ आकर समाधान निकालने की जरूरत है।
निष्कर्ष
अमेरिकी विदेश मंत्री का यह कदम निश्चित रूप से दक्षिण अफ्रीका की नीतियों और उनके वैश्विक संबंधों पर गहरा प्रभाव डालेगा। इस बायकॉट के बाद, अब यह देखना होगा कि दक्षिण अफ्रीका अपनी नीतियों में कितना सुधार करता है और क्या वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को सुधारने में सक्षम होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें इस घटनाक्रम पर टिकी हुई हैं, और इसका प्रभाव भविष्य में दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर पड़ सकता है।
देश की आंतरिक और बाहरी नीतियों को लेकर बढ़ती चिंताओं और संवाद की आवश्यकता की इस स्थिति में, सभी पक्षों को एक सकारात्मक समाधान की दिशा में बढ़ने की जरूरत है।खर्चा पानी का लक्ष्य है कि हम ऐसी महत्वपूर्ण घटनाओं पर ध्यान दें और उन पर चर्चा करें।
Keywords
American Secretary of State, South Africa G-20 boycott, private property issues, international diplomacy, G-20 summit implications, diplomatic relations, land reform South Africa, Anthony Blinken statement, South Africa government reaction, international community concerns.What's Your Reaction?






