अमेरिका में 1 लाख भारतीयों की नौकरी पर खतरा:ट्रम्प ने डीईआई भर्तियों पर लगाई रोक; ट्रम्प श्वेतों के लिए जॉब बढ़ाना चाहते हैं

अमेरिका में ट्रम्प राज के साइड इफेक्ट सामने आने लगे हैं। ट्रम्प ने डीईआई (विविधता, समानता और समावेश) प्रोग्राम पर रोक लगा दी है। इसकी वजह से एक लाख भारतीयों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने डीईआई भर्तियों पर रोक लगाकर सभी डीईआई कर्मचारियों को 31 जनवरी तक पेड लीव पर भेज दिया है। राज्यों में डीईआई के दफ्तरों को भी बंद करने के आदेश दिए हैं। एक फरवरी को डीईआई कर्मचारियों के भविष्य के बारे में फैसला किया जाएगा। सभी फेडरल दफ्तरों से डीईआई को लेकर रिपोर्ट मांगी है। बता दें कि अमेरिका में कुल 32 लाख फेडरल कर्मचारी हैं। इनमें से 8 लाख कर्मचारी डीईआई प्रोग्राम के तहत काम करते हैं। इनमें से लगभग एक लाख भारतीय हैं। इसमें अमेरिकी नागरिकता प्राप्त और वर्क वीजा जैसे एच-1 बी वीसा पर काम करने वाले शामिल हैं। डीईआई से सभी वर्गों को समानता के अवसर अमेरिका में 1960 से सभी वर्गों को रोजगार, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में समान अवसर देने के लिए डीईआई प्रोग्राम शुरू किया गया था। ये तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी और मार्टिन लू​थर किंग के आदर्शों से प्रेरित है। फेडरल और राज्यों की सरकारें धार्मिक और नस्लीय अल्पसंख्यकों को रोजगार देती हैं। महिलाओं, दिव्यांगों, थर्ड जेंडर को भी इससे जॉब मिलते हैं। सभी सरकारी विभागों में एक निश्चित कोटा होता है। अमेरिका के डीईआई प्रोग्राम को भारत में विभिन्न वर्गों के लिए लागू आरक्षण जैसा कह सकते हैं। अमेरिका में प्राइवेट सेक्टर को भी डीईआई प्रोग्राम में जॉब देना अनिवार्य है। मेटा, बोइंग, अमेजन, वॉलमार्ट, टारगेट, फोर्ड, मोलसन, हार्ले डेविडसन और मैकडोनाल्ड ने डीईआई बंद करने का ऐलान किया है। ट्रम्प श्वेतों के लिए जॉब बढ़ाना चाहते हैं ट्रम्प डीईआई खत्म करने को मेरिट के आधार पर नौकरी और शिक्षा में आरक्षण की बात कहते हैं। अमेरिका की 35 करोड़ की आबादी में से 20 करोड़ श्वेत हैं। श्वेत आबादी ट्रम्प का कोर वोट बैंक है। ये डीईआई विरोधी हैं। सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में 12 करोड़ श्वेत आबादी काम करती है। ट्रम्प डीईआई काे खत्म कर श्वेत लोगों के लिए सरकारी-प्राइवेट नौकरियों में ज्यादा अवसर पैदा कर रहे हैं। अब ट्रैवल वीसा पर अमेरिका जाने वालों को एयरपोर्ट पर रिटर्न टिकट दिखाने की सख्ती शुरू हो गई है। हाल में भारतीय बुजुर्ग दंपती को रिटर्न टिकट नहीं होने पर नीवार्क एयरपोर्ट से वापस भारत भेज दिया गया। ये दंपती अपने बच्चों के पास पांच महीने रुकने के प्लान से गए थे। दंपती का दावा है कि इमिग्रेशन अफसरों ने कहा, जनवरी से रिटर्न टिकट दिखाना अनिवार्य हो गया है। --------------------------- ट्रम्प के फैसलों से जुड़ी ये खबर भी पढें... ट्रम्प ने दुनियाभर में विदेशी मदद पर रोक लगाई:इजराइल और मिस्र को दी छूट, यूक्रेन पर सबसे ज्यादा पड़ सकता है असर अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन ने शुक्रवार से इजराइल, मिस्र और फूड प्रोग्राम को छोड़कर विदेशी देशों को मिलने वाली सभी मदद पर रोक लगा दी है। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्रालय के इस आदेश में गरीब देशों को मिलने वाले स्वास्थ्य मदद पर भी रोक लगा दी गई है। पूरी खबर यहां पढ़ें...

Jan 26, 2025 - 10:34
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अमेरिका में 1 लाख भारतीयों की नौकरी पर खतरा:ट्रम्प ने डीईआई भर्तियों पर लगाई रोक; ट्रम्प श्वेतों के लिए जॉब बढ़ाना चाहते हैं

अमेरिका में 1 लाख भारतीयों की नौकरी पर खतरा: ट्रम्प ने डीईआई भर्तियों पर लगाई रोक; ट्रम्प श्वेतों के लिए जॉब बढ़ाना चाहते हैं

Kharchaa Pani

लेखक: स्नेहा शर्मा, नेहा गुप्ता, टीम नेतनागरी

परिचय

हाल ही में, अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने देश में भारतीय प्रवासियों के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न किया है। उन्होंने विविधता, समानता और समावेशन (DEI) भर्तियों पर रोक लगाई है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि लगभग 1 लाख भारतीयों की नौकरी पर संकट खड़ा हो गया है। इसके पीछे उनका उद्देश्य श्वेत अमेरिकियों के लिए नौकरी के अवसर बढ़ाना बताया जा रहा है। इस कदम का प्रभाव भारतीय प्रवासी समुदाय पर पड़ सकता है, जो अमेरिका की आर्थिक रूपरेखा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

DEI भर्तियों पर रोक का कारण

ट्रम्प का कहना है कि DEI भर्तियाँ अमेरिका में "अवसाद" उत्पन्न कर रही हैं, जो उनके लिए श्वेत श्रमिकों की गरीबी को बढ़ाने का कारण बन सकती हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह कदम नौकरी के अवसरों को बढ़ाने की दिशा में एक ठोस पहल है। ट्रम्प के अनुसार, "हम अपने श्रमिकों की पहली प्राथमिकता देंगे।"

भारतीय प्रवासियों पर प्रभाव

यदि ट्रम्प द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध का कार्यान्वयन होता है, तो भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और अन्य क्षेत्रों से जुड़े पेशेवरों के लिए समस्या बढ़ सकती है। अमेरिका के कई प्रमुख तकनीकी संस्थानों और कंपनियों में भारतीय पेशेवरों की विशेष भूमिका है। ऐसे में, उनकी नौकरियाँ खतरे में पड़ सकती हैं, जो कि अमेरिका में काम करने वाली भारतीयों की जनसंख्या को प्रभावित कर सकती है।

समुदाय की प्रतिक्रिया

भारतीय प्रवासी समुदाय ने इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कई संगठनों ने ट्रम्प के इस निर्णय को अमेरिका में विविधता का हनन बताते हुए विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। उनका कहना है कि यह कदम न केवल भारतीय कामकाजी पेशेवरों के लिए बल्कि अमेरिका की समग्र अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक है।

निष्कर्ष

ट्रम्प का यह निर्णय भारतीय पेशेवरों के लिए न केवल नौकरी के अवसरों में कमी का कारण बनेगा, बल्कि यह अमेरिका में लंबे समय से स्थापित भारत-अमेरिकी संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है। आने वाले समय में इस मुद्दे पर और भी चर्चाएँ और नीतिगत परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। हालाँकि, यह स्पष्ट है कि इन भर्तियों पर रोक लगाने से अगर कोई सकारात्मक परिणाम नहीं देखा गया, तो इसका प्रभाव पूरी अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।

कुल मिलाकर, यह एक महत्वपूर्ण समय है जब हमें भारतीय समुदाय के लिए आवाज उठाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, आगामी चुनावों में यह मुद्दा एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन सकता है।

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