अडाणी धोखाधड़ी केस- अमेरिकी सांसदों की अटॉर्नी जनरल को चिट्ठी:बाइडेन प्रशासन के खिलाफ जांच की मांग; लिखा- बेवकूफीभरा फैसला था, रिश्ते बिगड़ने का खतरा
अमेरिका में 6 सांसदों ने सोमवार को बाइडेन सरकार के जस्टिस डिपार्टमेंट द्वारा अडाणी ग्रुप के खिलाफ की गई कार्रवाई की जांच की मांग की है। इसे लेकर नए अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को लेटर लिखा है। इन सांसदों ने भारत को अहम साझेदार बताते हुए कहा कि बाइडेन के जस्टिस डिपार्टमेंट की कार्रवाई से अमेरिका का नुकसान पहुंचा है। सांसद लांस गुडेन, पैट फॉलन, माइक हरिडोपोलोस, ब्रैंडन गिल, विलियम आर टिम्मन्स और ब्रायन बेबिन ने कहा कि जस्टिस डिपार्टमेंट की कार्रवाई एक बेवकूफीभरा फैसला था, जिससे भारत जैसे अहम साझेदार से रिश्ते बिगड़ने का डर था। इन्होंने इस पूरी कार्रवाई को एक भटकाने करने वाला कैंपेन बताया था। दरअसल पिछले साल अमेरिका में उद्योगपति गौतम अडाणी समेत 8 लोगों पर अरबों रुपए की धोखाधड़ी के आरोप लगे थे। आरोप पत्र के मुताबिक भारत में रिन्यूएबल एनर्जी के प्रोजेक्ट गलत तरीके से हासिल किए। इसके लिए सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 2,029 करोड़ रुपए रिश्वत देने की योजना बनाई। इसके अलावा आरोपियों ने अमेरिकी इन्वेस्टर्स और बैंकों से झूठ बोलकर पैसा इकट्ठा किया। यह पूरा मामला अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा हुआ था। 24 अक्टूबर 2024 को न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में यह केस दर्ज हुआ था। कहीं भी रिश्वत देने की बात नहीं कही गई आरोप पत्र के मुताबिक यह अमेरिका के फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (FCPA) का उल्लंघन है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि अमेरिकी न्याय विभाग के डॉक्यूमेंट में रिश्वत ऑफर करने और प्लानिंग की बात कही गई। रिश्वत दी गई, ऐसा नहीं कहा गया है। 20 नवंबर 2024 को कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई और ये मामला सबसे सामने आया। अमेरिका के हितों को चोट पहुंची है सांसदों ने कहा- इसमें उन लोगों को टारगेट किया गया है, जिन्होंने हमारी इकोनॉमी में कई अरब डॉलर का योगदान, इससे हमारे देश में हजारों नौकरियां आई। इस फैसले से अमेरिका की अर्थव्यवस्था में रुकावट डालने की कोशिश की गई। यह अमेरिकी हितों पर बड़ी चोट है। उन्होंने कहा- हम आपसे (पाम बॉन्डी) बाइडेन सरकार के जस्टिस डिपार्टमेंट की जांच करने का अनुरोध करते हैं। इस विभाग ने सिर्फ चुनिंदा मामलों में ही कार्रवाई को आगे बढ़ाया, जबकि कई को छोड़ दिया। इससे भारत से सहयोगी से हमारे रिश्ते खतरे में पड़ गए थे। अडाणी ग्रुप ने सभी आरोपों आधारहीन बताया था अडाणी ग्रुप सभी आरोपों को आधारहीन बताया था। 21 नवंबर को जारी बयान में ग्रुप ने कहा था- 'अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के डायरेक्टर्स के खिलाफ यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस और यूनाइटेड स्टेट्स सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन की ओर से लगाए गए आरोप निराधार हैं। हम उनका खंडन करते हैं। अडाणी की नेटवर्थ में 1 लाख करोड़ की गिरावट आई थी इस खबर के आने के बाद अडाणी की नेटवर्थ में 1.02 लाख करोड़ रुपए की कमी आई थी। वहीं केन्या ने अडाणी ग्रुप के साथ बिजली ट्रांसमिशन और एयरपोर्ट विस्तार की डील रद्द कर दी। दोनों डील 21,422 करोड़ रुपए की थीं। ------------------------------------------------------------- यह खबर भी पढ़िए... आज का एक्सप्लेनर:अडाणी जिस अमेरिकी कानून में फंसे, ट्रम्प उसके विरोधी; आगे के विकल्पों पर वो सब कुछ जो जानना जरूरी पिछले हफ्ते गौतम अडाणी ने डोनाल्ड ट्रम्प को जीत की बधाई देते हुए एक ट्वीट किया। इसमें लिखा- भारत और अमेरिका के बीच जैसे-जैसे साझेदारी गहरी होती जा रही है, अडाणी ग्रुप अपनी ग्लोबल एक्सपर्टीज और 10 बिलियन डॉलर का इस्तेमाल अमेरिका की एनर्जी सिक्योरिटी और इन्फ्रास्ट्रक्चर में करेगा। इससे अमेरिका में 15 हजार नौकरियां पैदा होंगी। यहां पढ़ें पूरी खबर...

अडाणी धोखाधड़ी केस- अमेरिकी सांसदों की अटॉर्नी जनरल को चिट्ठी:बाइडेन प्रशासन के खिलाफ जांच की मांग; लिखा- बेवकूफीभरा फैसला था, रिश्ते बिगड़ने का खतरा
लेखक: शिल्पा शर्मा और साक्षी जोशी, टीम नेतानागरी
अमेरिकी सांसदों का एक समूह हाल ही में भारत के व्यवसायी गौतम अडाणी के खिलाफ उठते विवादों को लेकर सक्रिय हो गया है। उन्होंने अमेरिकी अटॉर्नी जनरल को एक चिट्ठी भेजी है, जिसमें मांग की गई है कि बाइडेन प्रशासन इस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जांच करे। पत्र में लिखा गया है कि यह निर्णय "बेवकूफीभरा" था और इससे भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में बिगड़ने का खतरा पैदा हो सकता है।
अडाणी के खिलाफ उठे सवाल
अडाणी समूह के खिलाफ लगे आरोपों ने एक नई बहस को जन्म दिया है। इस मामले में वित्तीय धोखाधड़ी और शेयरों की मूल्य वृद्धि के संदर्भ में कई सवाल उठते हैं। सांसदों ने चिंता व्यक्त की है कि अगर इस मामले को नजरअंदाज किया गया तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने अटॉर्नी जनरल से अनुरोध किया है कि वह इस विवाद पर तुरंत कार्रवाई करें और सच्चाई का पता लगाएं।
बाइडेन प्रशासन की भूमिका
सांसदों ने बाइडेन प्रशासन के प्रति भी कुछ टिप्पणियाँ की हैं। चिट्ठी में कहा गया है कि प्रशासन का यह निर्णय भारत के साथ ऐतिहासिक संसाधनों और सहयोग को प्रभावित कर सकता है। सांसदों का मानना है कि अमेरिका और भारत के बीच आर्थिक और सुरक्षा के क्षेत्र में गहरे रिश्ते हैं, और ऐसे मामलों को हल्के में लेना समस्या को और बढ़ा सकता है।
क्यों है यह मुद्दा महत्वपूर्ण?
अडाणी समूह का विशेष महत्व है, और इसका असर केवल भारतीय बाजार पर नहीं, बल्कि विश्व के वित्तीय बाजारों पर भी पड़ता है। भारत में विदेशी निवेशक इस कंपनी को एक प्रतिष्ठित नाम मानते हैं। अगर इस मामले में सच्चाई के सामने आने के बाद किसी तरह का नुकसान होता है, तो यह अमेरिकी कंपनीज के लिए भी जोखिम पैदा कर सकता है।
निष्कर्ष
यह मामला न केवल भारत के लिए, बल्कि अमेरिका के लिए भी महत्वपूर्ण है। सांसदों का बाइडेन प्रशासन को पत्र लिखने का कदम एक गंभीर संकेत है। सभी की निगाहें अब इस मामले पर हैं और देखना यह है कि बाइडेन प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है। ऐसे में निवेशकों और दोनों देशों के नागरिकों को आशा है कि यह विवाद जल्द सुलझेगा।
खर्चा पानी, यह विषय अंतरराष्ट्रीय सहयोग और व्यापार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सही दिशा में किए गए कदमों से इसे सकारात्मक रूप में बदलने का प्रयास किया जा सकता है।
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