LoC पर घुसपैठिया मारा गया:जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर में घुसने की कोशिश कर रहा था, BSF की चेतावनी के बाद भी नहीं रुका
जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर बीएसएफ (BSF) के जवानों ने एक पाकिस्तानी घुसपैठिए को मार गिराया। घटना 4 और 5 अप्रैल की दरमियानी रात जम्मू में नियंत्रण रेखा (LoC) पर आरएस पुरा सेक्टर में हुई, जब सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने संदिग्ध हलचल देखी। बीएसएफ के प्रवक्ता ने बताया कि अब्दुलियां सीमा चौकी पर तैनात जवानों ने एक व्यक्ति को सीमा पार करते देखा। उसे चेतावनी दी गई, लेकिन वह नहीं रुका और भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश करता रहा। सुरक्षा को देखते हुए जवानों ने उसे गोली मार दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। उन्होंने बताया कि घुसपैठिए की पहचान और मकसद का पता लगाया जा रहा है। साथ ही घुसपैठिए के शव को मौके से हटाकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। इससे पहले 1 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर सेना ने 4-5 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया था। घटना पुंछ में नियंत्रण रेखा (LoC) पर कृष्णा घाटी सेक्टर के फॉरवर्ड एरिया में हुई थी। 1 अप्रैल को पाकिस्तान की ओप से सीज फायर का उल्लंघन किया गया 1 अप्रैल को LoC से सटे इलाके में 3 माइन ब्लास्ट हुए और पाकिस्तान की ओर से फायरिंग भी हुई थी। दावा है कि इसी समय आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। भारतीय सेना ने जवाबी फायरिंग की थी। जिसमें 4 से 5 घुसपैठियों मारे गए। फायरिंग और ब्लास्ट को लेकर सेना से दैनिक भास्कर ने बात की। सेना ने कहा- एक अप्रैल को LoC के उस पार से पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ की कोशिश की। इसके कारण कृष्णा घाटी सेक्टर में एक माइन ब्लास्ट हुआ। पाकिस्तानी सेना ने बिना उकसावे के फायरिंग की और संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया।' सेना ने कहा- हमारे सैनिकों ने फायरिंग का जबाव दिया। स्थिति नियंत्रण में है और इस पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। भारतीय सेना LoC पर शांति बनाए रखने के लिए साल 2021 के DGSMO समझौते को बनाए रखने की अपील करती है। इधर कठुआ में सुरक्षाबलों ने आतंकियों की तलाश में सर्च ऑपरेशन चलाया गया। राजौरी जिले में सुंदरबनी के सिया बदराई इलाके में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान तलाया गया। यह इलाका बॉर्डर से सटा हुआ है। जून 2024 में आतंकियों ने यहां पर शिव खोरी से लौट रही बस पर हमला किया था। कठुआ में सर्च ऑपरेशन की तस्वीरें... कठुआ में 15 दिन में आतंकी-सुरक्षाबल के बीच 3 एनकाउंटर बीते 15 दिनों में कठुआ में सुरक्षाबलों की आतंकियों तीन मुठभेड़ हुई हैं। पहली मुठभेड़ 23 मार्च को हीरानगर सेक्टर में हुई थी। सुरक्षाबलों को जैश-ए-मोहम्मद के प्रॉक्सी संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट से जुड़े 5 आतंकवादियों के छिपे होने की खबर मिली थी, लेकिन वे भागने में कामयाब रहे थे। 28 मार्च दूसरी बार मुठभेड़ हुई। जिसमें 2 आतंकी मारे गए थे। इस दौरान स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के 4 जवान तारिक अहमद, जसवंत सिंह, जगबीर सिंह और बलविंदर सिंह शहीद हुए थे। इनके अलावा DSP धीरज सिंह समेत तीन जवान घायल हुए थे। उनका इलाज जारी है। 31 मार्च की रात कठुआ में पंजतीर्थी मंदिर के पास तीसरी मुठभेड़ हुई। तीन आतंकियों के इलाके में छिपे होने की सूचना मिली। एक आतंकी के मारे जाने की भी बात सामने आई, लेकिन आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई। सेना के राइजिंग स्टार कॉर्प्स के मुताबिक 31 मार्च की रात इलाके में संदिग्ध गतिविधि की सूचना मिली थी, जिसके बाद सेना ने राजबाग के रुई, जुथाना, घाटी और सान्याल के जंगली इलाकों के साथ-साथ बिलावर के कुछ हिस्सों में सर्च ऑपरेशन अभियान चलाया था। पंजतीर्थी में आतंकियों की तरफ से फायरिंग के बाद एनकाउंटर शुरू हुआ था। सुरक्षाबलों ने रातभर इलाके की घेराबंदी की, ताकि जंगल में छिपे 3 आतंकी भाग न सकें। कश्मीर पुलिस, NSG, CRPF और BSF स्निफर डॉग्स और ड्रोन की मदद से आतंकियों की तलाश कर रही है। एक दिन पहले 30 मार्च को DIG शिव कुमार शर्मा ने कहा था- ऑपरेशन तब तक जारी रहेगा जब तक आखिरी आतंकी मारा नहीं जाता। उन्होंने सीमा से सटे इलाके के लोगों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत सुरक्षा बलों को दें। DIG शिव कुमार शर्मा ने कहा- ऑपरेशन जारी है। जब तक एक भी आतंकी बचा है, जम्मू-कश्मीर पुलिस अपने मिशन पर डटी रहेगी। हमारी फोर्स आतंकवाद के सफाए और जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। 28 मार्च: एनकाउंटर में मारे गए थे 2 आतंकी, 4 जवान भी शहीद पुलिस बोली- आतंकियों ने हथियार नहीं लूटे, अफवाहों पर ध्यान न दें जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 29 मार्च को कहा था कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के सुदूर जंगली इलाके में दो दिनों तक चली मुठभेड़ के दौरान आतंकवादियों ने कोई हथियार नहीं छीना। पुलिस प्रवक्ता ने बताया था कि मारे गए चारों पुलिसकर्मियों के सभी हथियार और अन्य सामान बरामद किया गया। प्रवक्ता ने कहा था कि कुछ राष्ट्र-विरोधी तत्व सोशल मीडिया पर ऑपरेशन सफियान में हमारे शहीदों के हथियार छीनने की अफवाह फैला रहे हैं। ये दावे झूठे हैं। शहीदों के सभी हथियार और सामान बरामद कर लिए गए हैं। 23 मार्च: आतंकियों ने एक परिवार को बंधक बनाया, लेकिन वे बच निकले 23 मार्च को हीरानगर सेक्टर में आतंकवादियों के एक ग्रुप को सुरक्षाबलों ने घेर लिया था, लेकिन वे भागने में कामयाब रहे। माना जा रहा है कि ये वही आतंकवादी हैं, जो सान्याल से निकलकर जखोले गांव के पास देखे गए। हीरानगर सेक्टर में सुरक्षाबलों ने आतंकियों के एक ग्रुप को घेर लिया था। उस दिन आतंकियों ने एक बच्ची और उसके माता-पिता को पकड़ लिया था। मौका मिलने पर तीनों आतंकियों के चंगुल से भाग निकले थे। इस दौरान बच्ची की मामूली चोटें आई थीं। उन्होंने ही आतंकियों के छिपे होने की सूचना पुलिस को दी थी। महिला ने बताया था कि सभी ने दाढ़ी बढ़ा रखी थी और वे कमांडो की वर्दी पहने हुए थे। जाखोले गांव हीरानगर सेक्टर से लगभग 30 किमी दूर है। जानकारी मिलते ही सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर लिया, जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। --------------------------------------------

LoC पर घुसपैठिया मारा गया: जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर में घुसने की कोशिश कर रहा था, BSF की चेतावनी के बाद भी नहीं रुका
Kharchaa Pani
लेखिका: प्रिया शर्मा, टीम नेतानागरी
परिचय
जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर में एक बड़ी घटना घटी है जब एक घुसपैठिया भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश के दौरान मारा गया। भारत- पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा बलों की सतर्कता और बीएसएफ की कड़ी निगरानी के बीच यह घटना सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
घटना का विवरण
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, घुसपैठिया ने आरएस पुरा क्षेत्र में घुसने की कोशिश की थी, लेकिन बीएसएफ ने उसे पहले ही पहचान लिया था। अनुरोध के बावजूद उसने अपने कदम पीछे नहीं हटाए। इस पर, बीएसएफ ने उसे रोकने के लिए फायरिंग की, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया और बाद में उसकी मृत्यु हो गई।
बीएसएफ की भूमिका
बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) हमेशा से ही सीमाओं की रक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है। उनकी सतर्कता और त्वरित प्रतिक्रिया ने कई घुसपैठियों को रोकने में मदद की है। हाल के दिनों में, इस क्षेत्र में घुसपैठ की घटनाओं में तेजी देखने को मिली है, इसलिए सुरक्षा बलों की चौकसी और भी आवश्यक हो गई है।
स्थानीय प्रतिक्रियाएँ
स्थानीय निवासियों ने इस घटना पर निराशा और चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि सीमा पार से घुसपैठ की घटनाओं में बढ़ोतरी से न केवल उनकी सुरक्षा पर संकट मंडराता है, बल्कि यह क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए भी हानिकारक है।
निष्कर्ष
इस घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि सुरक्षा बलों की vigilance और तत्परता किस प्रकार से हमारी सीमाओं की रक्षा कर रही है। घुसपैठियों के ऐसे प्रयासों को नाकाम करना सिर्फ सुरक्षा बलों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक जिम्मेदारी भी है। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा ताकि ऐसे प्रयासों को समय पर रोका जा सके।
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