4 महीने में सबसे कम हुई थोक महंगाई:मार्च में 2.05% पर आई, रोजाना जरूरत के सामान की कीमतों के घटने का असर

मार्च महीने में थोक महंगाई घटकर 2.05% पर आ गई है। ये 4 महीने का निचला स्तर है। इससे पहले फरवरी में महंगाई 2.38% पर थी। रोजाना की जरूरत के सामान की कीमतों के घटने से महंगाई घटी है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने आज यानी 15 अप्रैल को ये आंकड़े जारी किए। थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड की हिस्सेदारी 22.62% और फ्यूल एंड पावर की हिस्सेदारी 13.15% है। यानी, मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई के ऊपर-नीचे होने का सबसे ज्यादा असर महंगाई दर पर होता है। रोजाना जरूरत के सामान, खाने-पीने की चीजें सस्ती हुईं होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का आम आदमी पर असर थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है। जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है। होलसेल महंगाई के तीन हिस्से प्राइमरी आर्टिकल, जिसका वेटेज 22.62% है। फ्यूल एंड पावर का वेटेज 13.15% और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट का वेटेज सबसे ज्यादा 64.23% है। प्राइमरी आर्टिकल के भी चार हिस्से हैं। महंगाई कैसे मापी जाती है? भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 22.62% और फ्यूल एंड पावर 13.15% होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है।

Apr 15, 2025 - 12:34
 132  439.8k
4 महीने में सबसे कम हुई थोक महंगाई:मार्च में 2.05% पर आई, रोजाना जरूरत के सामान की कीमतों के घटने का असर

4 महीने में सबसे कम हुई थोक महंगाई: मार्च में 2.05% पर आई, रोजाना जरूरत के सामान की कीमतों के घटने का असर

Kharchaa Pani की टीम ने आपके लिए एक महत्वपूर्ण खबर प्रस्तुत की है। हाल ही में भारत में थोक महंगाई की दर में गिरावट आई है, जो कि पिछले 4 महीनों में सबसे कम स्तर पर पहुंच गई है। इस आर्टिकल में हम समझेंगे कि यह महंगाई दर कैसे प्रभावित हुई है और इससे देश की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

महंगाई के आंकड़े

मार्च 2023 में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर 2.05% पर पहुँच गई है। यह दर फरवरी में 3.85% थी। यह गिरावट रोजाना उपयोग में आने वाले जरूरत के सामान की कीमतों में कमी के कारण हुई है। जानकारों का मानना है कि यह गिरावट महंगाई को नियंत्रित करने के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

आवश्यक सामान की कीमत में कमी

रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं जैसे कि सब्जियाँ, फल, और अनाज के दामों में कमी आई है। इसके अलावा, विभिन्न खाद्य पदार्थों के दामों में स्थिरता ने भी महंगाई दर को कम करने में योगदान दिया है। उपभोक्ताओं ने हाल के दिनों में कम कीमतों का अनुभव किया है, जिससे उनका क्रय शक्ति में सुधार हुआ है।

आर्थिक विश्लेषकों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर महंगाई दर इसी तरह कम होती रही, तो यह रिजर्व बैंक के लिए मौद्रिक नीति को और अधिक सहायक बनाने का मौका देगा। इससे न केवल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी बल्कि निवेशकों का भी विश्वास बढ़ेगा।

भविष्य की संभावनाएँ

आर्थिक जानकारों का कहना है कि आने वाले महीनों में महंगाई दर में और गिरावट की संभावना है। मौसम की स्थितियों के कारण फसलों की पैदावार में सुधार होने की उम्मीद है, जिससे देशभर में खाद्य पदार्थों की कीमतें स्थिर रहने की संभावना है।

निष्कर्ष

मार्च में थोक महंगाई दर में आयी यह कमी निश्चित रूप से उपभोक्ताओं के लिए एक अच्छी खबर है। बाजार की स्थिति में सुधार और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में कमी ने सभी वर्गों के लोगों को राहत प्रदान की है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार की संभावनाएँ बढ़ी हैं।

कम शब्दों में कहें तो, थोक महंगाई में गिरावट ने उपभोक्ताओं को राहत दी है और भविष्य में और सुधार की उम्मीद जगाई है। अधिक जानकारियों के लिए, kharchaapani.com पर जाएं।

Keywords

wholesale inflation, March inflation rate, WPI, consumer prices, economic growth, food prices, inflation reduction, Indian economy, market conditions

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow