SC बोला- हॉस्पिटल से बच्चा चोरी हुआ तो लाइसेंस रद्द:सभी राज्य नवजात तस्करी के मामले 6 महीने में निपटाएं; UP सरकार को फटकार लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नवजात शिशु तस्करी के एक मामले में यूपी सरकार फटकार लगाई और राज्यों के लिए कुछ जरूरी नियम जारी किए। कोर्ट ने कहा- अगर किसी अस्पताल से नवजात की तस्करी होती है तो उसका लाइसेंस तुरंत रद्द किया जाए। डिलीवरी के बाद बच्चा गायब होता है तो अस्पताल की जवाबदेही होगी। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा- देशभर के सभी हाईकोर्ट अपने राज्यों में बच्चों की तस्करी से जुड़े लंबित मामलों की स्टेट्स रिपोर्ट मंगवाएं। सभी मामलों की सुनवाई छह महीने के भीतर पूरी करें। केस में हर दिन सुनवाई होनी चाहिए। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट नवजात तस्करी के उस मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उत्तर प्रदेश के एक दंपति ने 4 लाख रुपए में तस्करी किया गया बच्चा खरीदा। क्योंकि उन्हें बेटा चाहिए था। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपियों को अग्रिम जमानत दे दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अगर बेटा चाहिए तो इसका मतलब ये नहीं कि आप चोरी हुआ बच्चा खरीदें। आरोपी को पता था कि बच्चा चोरी हुआ है, फिर भी उसे अपनाया। नवजात बच्चों की तस्करी पर सुप्रीम कोर्ट की मुख्य बातें... -------------- बच्चों की चोरी से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... एमपी में हर दिन 30 बच्चे गायब हो रहे, इन पर तस्करों की नजर; जो 48 घंटे में नहीं मिला, वो हमेशा के लिए लापता भोपाल में सात दिन पहले 2 साल के एक बच्चे का अपहरण हो गया। पुलिस ने 12 घंटे में आरोपी को पकड़ लिया। पता चला कि बच्चे से भीख मंगवाने के लिए उसका अपहरण किया गया था। ये बच्चा खुशकिस्मत था, जिसे पुलिस ने तुरंत ढूंढ निकाला, लेकिन मध्यप्रदेश के हजारों बच्चे इतने खुशकिस्मत नहीं। NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकड़ों के मुताबिक, मध्यप्रदेश में रोजाना औसतन 30 बच्चे गायब हो रहे हैं। जो बच्चा 48 घंटे में नहीं मिलता, वो हमेशा के लिए लापता हो जाता है। पूरी खबर पढ़ें...

SC बोला- हॉस्पिटल से बच्चा चोरी हुआ तो लाइसेंस रद्द: सभी राज्य नवजात तस्करी के मामले 6 महीने में निपटाएं; UP सरकार को फटकार लगाई
Kharchaa Pani
लेखक: स्नेहा शर्मा, प्रियंका वर्मा, एवं तिम नीतानगरी
परिचय
भारत का सर्वोच्च न्यायालय (SC) हाल ही में नवजात तस्करी के मामलों पर कड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि किसी अस्पताल से नवजात बच्चे की चोरी होती है, तो उस अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। अदालत ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे नवजात तस्करी के मामलों को 6 महीने के भीतर निपटाएं, जिससे इस घातक समस्या का समाधान जल्द से जल्द किया जा सके।
नवजात तस्करी की समस्या
नवजात तस्करी भारत के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है। कई अस्पतालों में इस तरह के मामलों की शिकायतें आई हैं, जहाँ नवजात बच्चे चोरी होते हैं और उन्हें अवैध तरीके से बेचा जाता है। सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय ऐसे मामलों में न केवल अस्पतालों के लिए चेतावनी है, बल्कि पूरे समाज के लिए भी एक समाधान का संकेत है।
सरकार की भूमिका
उत्तर प्रदेश सरकार को SC द्वारा फटकार लगाई गई और कहा गया कि उसे इस मुद्दे पर उचित कार्यवाही करने में विफलता दिखाई दे रही है। इसके परिणामस्वरूप, न्यायालय ने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी राज्यों को एक ठोस योजना तैयार करनी चाहिए। उम्मीद की जा रही है कि इस दिशा में राज्य सरकारें कोई ठोस कदम उठाएंगी।
समय सीमा का महत्व
अधिकतर मामलों में समय पर कार्रवाई न होने के कारण तस्करी के मामले बढ़ जाते हैं। न्यायालय ने यह सुनिश्चित किया है कि राज्यों को 6 महीने के अंदर सभी नए मामलों का समाधान करना होगा। यह समय सीमा न केवल तंत्र को गति प्रदान करेगी, बल्कि लोगों को न्याय भी दिलाएगी।
सख्त कानून बनाना आवश्यक
SC का कहना है कि संज्ञान में लिए गए मामलों के लिए सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है। इसके तहत, आरोपी पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है जिससे अन्य लोग ऐसे अपराध करने से हिचकिचाएं। यदि अस्पतालों पर सख्त नियम लागू किए जाएंगे, तो संभवतः इस प्रकार की चोरियों में कमी आएगी।
निष्कर्ष
नवजात तस्करी एक संवेदनशील और गंभीर मुद्दा है जिसे अब उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के माध्यम से संबोधित किया गया है। उत्तरी प्रदेश सरकार सहित सभी राज्यों को इसे प्राथमिकता देने की ज़रूरत है। अगर वे प्रभावी ढंग से कार्यवाही करते हैं, तो समाज में इस गतिविधि पर रोक लगाई जा सकेगी। उम्मीद है कि सरकार और न्यायालय की सजगता से जल्द ही इस समस्या का समाधान मिलेगा।
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