बसंत ऋतु से जुड़ी है होली मनाने की कहानी:कामदेव ने शिव जी का ध्यान तोड़ने के लिए प्रकट की थी बसंत ऋतु, ऋतुओं में श्रीकृष्ण हैं बसंत
गुरुवार, 13 मार्च की रात होलिका दहन किया जाएगा। होली क्यों मनाई जाती है, इस संबंध में कई कथाएं हैं। इनमें प्रहलाद और होलिका की कथा सबसे ज्यादा प्रचलित है। इसके अलावा ये पर्व नई फसल आने की खुशी में और बसंत ऋतु की शुरुआत होने की खुशी में भी मनाया जाता है। बसंत ऋतु को ऋतुराज भी कहा जाता है। पुराने समय में बसंत ऋतु की शुरुआत में रंग उड़ाकर उत्सव मनाया जाता है। इसके लिए फूलों से बने रंगों का इस्तेमाल करते थे। पौराणिक कथा है कि कामदेव ने बसंत ऋतु को उत्पन्न किया था। इसीलिए इस ऋतु को कामदेव का पुत्र भी कहते हैं। श्रीमद् भगवद् गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि ऋतुओं में मैं बसंत हूं। बसंत ऋतु श्रीकृष्ण का स्वरूप है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक फाल्गुन पूर्णिमा के आसपास से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। बसंत ऋतु में हल्की ठंडी हवाएं चलती हैं, मौसम सुहावना हो जाता है, पेड़ों में नए पत्ते आना शुरू हो जाते हैं, सरसों के खेत में पीले फूल खिल जाते हैं, आम के पेड़ों पर केरी के बौर आने लगते हैं। प्रकृति के अद्भुत रंग दिखाई देने लगते हैं। इसी मनमोहक वातावरण की वजह से बसंत को ऋतुराज कहते हैं। कामदेव ने क्यों प्रकट किया बसंत ऋतु को?

बसंत ऋतु से जुड़ी है होली मनाने की कहानी: कामदेव ने शिव जी का ध्यान तोड़ने के लिए प्रकट की थी बसंत ऋतु, ऋतुओं में श्रीकृष्ण हैं बसंत
लेखिका: सुमिता शर्मा, टीम नेतानागरी
Kharchaa Pani
परिचय
होली, रंगों का त्योहार, हर साल बसंत ऋतु में मनाया जाता है। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि संस्कृति का प्रतीक है। इस विशेष त्योहार की जड़ें भारत की कई पौराणिक कथाओं में देखी जा सकती हैं, जिसमें बसंत ऋतु का महत्वपूर्ण स्थान है। यह लेख बताएगा कि कैसे कामदेव ने शिव जी का ध्यान तोड़ने के लिए बसंत ऋतु को प्रकट किया और कैसे श्रीकृष्ण ने इस ऋतु को विशेष बना दिया।
बसंत ऋतु का महत्व
भारत में बसंत ऋतु सुख, समृद्धि और खुशियों का प्रतीक मानी जाती है। यह वह समय है जब धरती पर फूल खिलते हैं और जीवन की नई शुरुआत होती है। इस ऋतु के आते ही मन में उमंग और खुशी का संचार होता है, जो होली के रंगों से भरा होता है।
कामदेव और शिव का संबंध
कथा अनुसार, जब भगवान शिव ने तपस्या में लीन होकर ध्यान साधना की, तब कामदेव ने उनके ध्यान को भंग करने के लिए बसंत ऋतु का प्रकट होना आवश्यक समझा। कामदेव ने अपने प्रेम के बाण के साथ शिव जी के ध्यान को तोड़ने का प्रयास किया, और इसी के चलते बसंत ऋतु का आगमन हुआ। इसी के जरिए भगवान शिव की आंखों में बसंत ऋतु के प्रति प्यार जागा, जो होली के जश्न में परिवर्तित हुआ।
श्रीकृष्ण और होली
ऋतुओं के नाभि में श्रीकृष्ण को बसंत ऋतु का अवतार माना जाता है। श्रीकृष्ण ने गोकुल में होली खेलते समय रंगों का महत्व बताया था। उन्होंने अपनी प्रेमिका राधा के साथ मिलकर इस त्योहार को और भी विशेष बना दिया। यह उत्सव न केवल जीत और खुशी का प्रतीक है, बल्कि आपसी प्रेम एवं भाईचारे का संदेश भी देता है।
होली का जश्न
होली का त्योहार हर वर्ष लोगों को जोड़ता है। लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर रंग खेलते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का आदान-प्रदान करते हैं। इस दिन का सबसे खास अलंकरण रंग है, जो प्यार और खुशी को दर्शाता है। यह त्योहार न केवल फसल के सीजन का प्रतीक है बल्कि आध्यात्मिकता में भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, बसंत ऋतु और होली का आपस में गहरा संबंध है। होली का त्योहार हमें याद दिलाता है कि जीवन में रंग भरने के लिए प्यार और सच्चाई की आवश्यकता होती है। आइए, हम इस होली पर रंगों के साथ-साथ प्रेम और सहयोग के महत्वपूर्ण मूल्यों को भी अपनाएं।
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