धराली आपदा: मलबे में 20 जगह मिले जिंदगी के संकेत, रेस्क्यू रडार का इस्तेमाल; मशीनों की जगह हाथ से की जा रही खोदाई

धराली में चौतरफा पसरे मलबे में जिंदगी के निशान खोजने में एनडीआरएफ और सेना की...

Aug 13, 2025 - 00:34
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धराली आपदा: मलबे में 20 जगह मिले जिंदगी के संकेत, रेस्क्यू रडार का इस्तेमाल; मशीनों की जगह हाथ से की जा रही खोदाई
धराली में चौतरफा पसरे मलबे में जिंदगी के निशान खोजने में एनडीआरएफ और सेना की...

धराली आपदा: मलबे में 20 जगह मिले जिंदगी के संकेत, रेस्क्यू रडार का इस्तेमाल; मशीनों की जगह हाथ से की जा रही खोदाई

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धराली में चौतरफा पसरे मलबे में जिंदगी के निशान खोजने में एनडीआरएफ और सेना की टीम युद्धस्तर पर जुटी है। जिस तरह आपदाग्रस्त क्षेत्र में बड़े बड़े होटल, होस्ट हाउस, होमस्टे और अन्य भवन जलप्रलय के साथ आए मलबे में जमींदोज हुए हैं, उसे देखते हुए मलबे में जिंदगी के निशान खोजने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं।

मलबे के बीच जिंदगी की तलाश

धराली में आए हालिया अत्यधिक भूस्खलन ने बड़ी स्थिति उत्पन्न कर दी है। एनडीआरएफ और सेना की टीमें सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर रहीं हैं। मलबे में जीवन के संकेत खोजने के लिए भारी मशीनों के बजाय हाथ से खोदाई की जा रही है, ताकि अगर कोई जीवित व्यक्ति हो तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) का उपयोग

एनडीआरएफ ने रविवार से ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) का उपयोग शुरू किया है, जो 50 मीटर गहराई तक मौजूद वस्तुओं का पता लगा सकता है। इस तकनीक का प्रयोग मुख्य रूप से उन स्थलों पर किया जा रहा है, जहां भारी मशीनों का उपयोग संभव नहीं है।

रेस्क्यू रडार और उसकी कार्यप्रणाली

इसके अलावा, सोमवार से रेस्क्यू रडार भी धराली में उतारा गया है। यह उपकरण रेडियो फ्रीक्वेंसी पर काम करता है और 10 मीटर की गहराई तक मानव की स्थिति का पता लगा सकता है। यदि किसी की धड़कन सक्रिय है, तो यह तुरंत संकेत भेजता है। हालांकि सोमवार को इसके माध्यम से कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिला, लेकिन एनडीआरएफ के अधिकारियों का मानना है कि उम्मीद अभी भी बनी हुई है।

स्थलों का चिह्नन और हाथ से खोदाई

जिंदगी के संकेतों वाले स्थलों पर मशीनों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। इन स्थलों को चिह्नित कर हाथ से प्रयोग किए जाने वाले औजारों से खोदाई कराई जा रही है। यह प्रक्रिया बहुत सावधानी से की जा रही है, ताकि किसी संभावित जीवित व्यक्ति को नुकसान न पहुंचे।

आगे की चुनौतियाँ

एनडीआरएफ के अधिकारियों के अनुसार, जब तक मलबे से भरे पूरे क्षेत्र को चिह्नित नहीं किया जाता, तब तक जीपीआर और रेस्क्यू रडार जैसे उपकरणों का प्रयोग किया जाता रहेगा। धराली आपदा ने स्थानीय समुदाय को गहरे सदमे में भेज दिया है और जीवन की तलाश में सभी हाथ मिलाकर काम कर रहे हैं।

निष्कर्ष

धराली आपदा ने सभी को एकजुट किया है। एनडीआरएफ और सेना की टीमें अपने समर्पण और तकनीकी संसाधनों से एक उम्मीद जगा रही हैं। जबकि मलबे के बीच से जीवन के संकेत खोजने का प्रयास जारी है, यह पुख्ता सबूत है कि प्राकृतिक आपदाएँ केवल भौतिक संकट नहीं लाती, बल्कि मानवता के लिए भी एक चुनौती हैं। सभी को आशा है कि जल्द ही किसी चमत्कार से कोई जीवित बचा मिलेगा।

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