ज्ञानेश कुमार बने नए मुख्य चुनाव आयुक्त:PM मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला; राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर होंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई बैठक में अगले मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर ज्ञानेश कुमार के नाम पर मुहर लगी है। उनका कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक रहेगा। मौजूदा सीईसी के रिटायरमेंट के बाद वह पदभार ग्रहण करेंगे। राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं। वहीं, विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया है। वे हरियाणा के मुख्य सचिव और 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वहीं, चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू अपने पद पर बने रहेंगे। पीएम मोदी की अध्यक्षता हुई बैठक में गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी शामिल हुए। इसी पैनल की सिफारिश पर नए CEC की नियुक्ति हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नए CEC के लिए 5 नामों की सूची दी गई थी। लेकिन राहुल ने नामों पर विचार करने से इनकार कर दिया था। बैठक के बाद राहुल गांधी ने डिसेंट नोट जारी किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है इसलिए यह बैठक नहीं होनी चाहिए थी। वहीं, कांग्रेस ने कहा था- हम अहंकार में काम नहीं कर सकते। बैठक स्थगित करनी थी ताकि सुप्रीम कोर्ट जल्द फैसला कर सके। सिंघवी ने कहा- सरकार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तक इंतजार करे कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि CEC चयन समिति सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है। CEC के चयन के लिए गठित समिति से CJI को हटाकर सरकार ने साफ कर दिया है कि वह चुनाव आयोग की विश्वसनीयता नहीं, बल्कि नियंत्रण चाहती है। सिंघवी ने कहा कि CEC और अन्य EC की नियुक्ति के लिए बने नए कानून पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेडिंग है। इस मामले में 19 फरवरी को सुनवाई है। यह सिर्फ 48 घंटे का मामला था। सरकार को याचिका की शीघ्र सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए था। EC की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर 19 फरवरी को सुनवाई सुप्रीम कोर्ट CEC और EC की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर 19 फरवरी को सुनवाई करेगा। मामले की सुनवाई 12 फरवरी को होनी थी, लेकिन केस लिस्ट नहीं हुआ था। तब वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटीश्वर सिंह की बेंच के सामने मामला उठाया। प्रशांत ने कहा था कि CEC राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में सरकार नए CEC की नियुक्ति कर सकती है, इसलिए कोर्ट इस पर जल्द सुनवाई करे। इस पर कोर्ट ने 19 फरवरी की तारीख देते हुए कहा था कि इस बीच कुछ होता है तो वह अदालत के फैसले के अधीन होगा, इसलिए चिंता की बात नहीं है। मामला मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं से जुड़ा है। अब जानिए क्या है पूरा मामला... 2 मार्च 2023: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- सिलेक्शन पैनल में CJI को शामिल करना जरूरी CEC और EC की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संविधान पीठ अपने फैसले में कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक पैनल करेगा। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और CJI शामिल होंगे। इससे पहले सिर्फ केंद्र सरकार इनका चयन करती थी। यह कमेटी CEC और EC के नामों की सिफारिश राष्ट्रपति से करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति मुहर लगाएंगे। तब जाकर उनकी नियुक्ति हो पाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह प्रोसेस तब तक लागू रहेगा, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती। 21 दिसंबर 2023: चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़ा नया बिल पास केंद्र सरकार CEC और EC की नियुक्ति, सेवा, शर्तें और कार्यकाल से जुड़ा नया बिल लेकर आई। इसके तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे। CJI को इस पैनल से बाहर रखा गया। 21 दिसंबर, 2023 को शीतकालीन सत्र के दौरान यह बिल दोनों सदनों में पास हो गया। नए कानून पर विपक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई थी इस कानून पर विपक्षी दलों का कहना था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है। कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया कि कानून की धारा 7 और 8 स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत का उल्लंघन करती है क्योंकि इससे चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए इंडिपेंडेंट मैकेनिज्म नहीं मिलता है। इस विवाद के बीच केंद्र ने मार्च, 2024 में ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को इलेक्शन कमिश्नर नियुक्त किया था। चुनाव आयोग में कितने आयुक्त हो सकते हैं चुनाव आयुक्त कितने हो सकते हैं, इसे लेकर संविधान में कोई संख्या फिक्स नहीं की गई है। संविधान का अनुच्छेद 324 (2) कहता है कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त हो सकते हैं। यह राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि इनकी संख्या कितनी होगी। आजादी के बाद देश में चुनाव आयोग में सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त होते थे। 16 अक्टूबर 1989 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की। इससे चुनाव आयोग एक मल्टी-मेंबर बॉडी बन गई। ये नियुक्तियां 9वें आम चुनाव से पहली की गई थीं। उस वक्त कहा गया कि यह मुख्य चुनाव आयुक्त आरवीएस पेरी शास्त्री के पर कतरने के लिए की गई थीं। 2 जनवरी 1990 को वीपी सिंह सरकार ने नियमों में संशोधन किया और चुनाव आयोग को फिर से एक सदस्यीय निकाय बना दिया। एक अक्टूबर 1993 को पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने फिर अध्यादेश के जरिए दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को मंजूरी दी। तब से चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो चुनाव आयुक्त होते हैं। ---------------------------------------------- चुनाव आयोग से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... चुनाव आयोग बोला- शक का इलाज नहीं, हमें लापता जेंटलमेन कहा गया लेकिन वोटिंग का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने कहा, 'हम पर झूठे आरोप लगाए गए। हमें लापता ज

Feb 18, 2025 - 02:34
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ज्ञानेश कुमार बने नए मुख्य चुनाव आयुक्त:PM मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला; राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर होंगे

ज्ञानेश कुमार बने नए मुख्य चुनाव आयुक्त: PM मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला; राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर होंगे

खर्चा पानी - भारत के चुनाव आयोग में एक नया अध्याय शुरू हुआ है, जब ज्ञानेश कुमार को नए मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया। यह बदलाव तब हो रहा है जब वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को अपने पद से रिटायर होंगे।

नई नियुक्ति का महत्व

ज्ञानेश कुमार की नई भूमिका भारतीय लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। उनके अनुभव और क्षमताओं के आधार पर, यह उम्मीद की जा रही है कि वह चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाएंगे। ज्ञानेश कुमार पहले भी चुनाव आयोग में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं और उनका कार्यकाल कई चुनावी अभियानों में महत्वपूर्ण रहा है।

राजीव कुमार का योगदान

राजीव कुमार ने पिछले कुछ वर्षों में चुनाव आयोग के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में, आयोग ने कई सफल चुनावों का आयोजन किया और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत किया। 18 फरवरी को रिटायर होने के बाद, उनकी कमी को भरना अब ज्ञानेश कुमार के लिए एक चुनौती होगी।

भविष्य की चुनौतियाँ

ज्ञानेश कुमार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जैसे कि चुनावी प्रबंधन, मतदाता शिक्षा, और चुनावी प्रक्रिया की सुरक्षा। उनके नेतृत्व में, चुनाव आयोग को डिजिटल तकनीक का अधिक उपयोग करना चाहिए ताकि चुनावों को और बेहतर बनाया जा सके। इस दिशा में कदम उठाकर, वे लोकतंत्र को और मज़बूत करने में मदद कर सकते हैं।

निष्कर्ष

ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति एक सकारात्मक संकेत है और उनके कार्यकाल में चुनाव आयोग की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किस प्रकार से चुनाव प्रक्रिया को सुधारते हैं और भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करते हैं। राजीव कुमार का कार्यकाल निश्चित रूप से एक प्रेरणा का स्रोत रहेगा।खर्चा पानी हमें इस प्रश्न पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या नए चुनाव आयुक्त की पहलें सकारात्मक बदलाव ला पाएंगी।

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