स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र:मन, वचन और कर्म में एकता बनाए रखना सबसे बड़ा पुरुषार्थ है, हमारे विचार शुभ होने चाहिए
मन, वचन और कर्म में एकता बनाए रखना ही सबसे बड़ा पुरुषार्थ है। हमारे शास्त्र कहते हैं कि मनस्येकं वचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम् यानी मन, वचन, कर्म से हमें एक रहना चाहिए। हमारे विचार पवित्र रहें। हमारे संकल्प शुभ हों। हम निरंतर सत्कर्म करते रहें। शुभ कर्मों में शामिल होते रहें। आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए शास्त्रों का पाठ करने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं? आज का जीवन सूत्र जानने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें।
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र: मन, वचन और कर्म में एकता बनाए रखना सबसे बड़ा पुरुषार्थ है, हमारे विचार शुभ होने चाहिए
Kharchaa Pani
लेखिका: प्रियंका शर्मा, टीम नेतानागरी
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि का परिचय
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि भारतीय संस्कृति के एक महान विचारक और संत थे। उन्होंने अपने जीवन में ऐसा स्थायी प्रभाव छोड़ा, जो आज भी समाज को प्रेरित करता है। स्वामी जी का जीवन सिद्धांत 'मन, वचन और कर्म में एकता' पर केंद्रित है। उनके अनुसार, यह एकता न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज की भलाई के लिए भी आवश्यक है।
जीवन सूत्र: मन, वचन और कर्म में एकता
स्वामी जी का मानना था कि अगर मन, वचन और कर्म में कोई भिन्नता होती है, तो व्यक्ति का विकास रुक जाता है। वे हमेशा यह समझाते थे कि जीवन में सफलता के लिए हमें अपने विचारों को शुभ रखना चाहिए। जब हमारे विचार सकारात्मक होते हैं, तो वे हमारे कर्मों में भी सकारात्मकता लाते हैं।
विचारों की शक्ति
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के विचारों की महत्ता को समझना चाहिए। वे कहते थे कि शुभ विचारों से ही सुखद परिणाम प्राप्त होते हैं। जब हम अपने मन में सकारात्मक विचार रखेंगे, तो निश्चित रूप से हमारे शब्द भी अच्छे होंगे और अंततः हमारे कार्य भी बेहतर होंगे। यह एक चक्रीय प्रक्रिया है जो हमारे जीवन को उत्कृष्टता की ओर ले जाती है।
महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत
स्वामी जी ने विशेष रूप से महिलाओं को अपने विचारों और कार्यों के प्रति जागरूक रहने की सलाह दी। उनका मानना था कि महिलाएं परिवार के विचारों और कर्मों की बुनियाद हैं। इसलिए, उन्हें अपने विचारों को सकारात्मक रखना आवश्यक है ताकि वे अपने परिवारों और समाज को सही दिशा में ले जा सकें।
समाज में जागरूकता का महत्व
स्वामी जी का एक अन्य महत्वपूर्ण संदेश था कि समाज में जागरूकता लाना बहुत आवश्यक है। जब हम अपने विचारों को शुभ रखते हैं, तो हम न केवल अपने जीवन में, बल्कि समाज में भी बदलाव ला सकते हैं। यह वह पुरुषार्थ है, जिसे स्वामी जी ने अपने जीवन में आत्मसात किया और दूसरों को भी इस ओर प्रेरित किया।
निष्कर्ष
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि का जीवन हमें यह सिखाता है कि जब हम मन, वचन और कर्म में एकता बनाए रखते हैं और अपने विचारों को शुभ रखते हैं, तब हम निश्चित रूप से सफलता की ऊँचाइयों को छू सकते हैं। उनकी शिक्षाएं आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। हमें उनके जीवन सूत्रों को अपनाकर अपने जीवन में सकारात्मकता और प्रेरणा भरनी चाहिए।
समाज में बदलाव लाने के लिए हमें स्वामी जी की शिक्षाओं को आत्मसात करना होगा और इस दिशा में अपने प्रयासों को जुटाना होगा।
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