वर्ल्ड अपडेट्स:मालदीव ने इजराइली टूरिस्ट्स की एंट्री पर बैन लगाया; फिलिस्तीन के समर्थन में फैसला
मालदीव ने देश में इजराइली टूरिस्ट्स की एंट्री पर बैन लगा दिया है। सरकार ने मंगलवार को घोषणा करते हुए बताया कि यह फैसला फिलीस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए लिया गया है। मालदीव की संसद ने इसके लिए विधेयक को पास कर दिया है। इसे राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक यह बैन तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। राष्ट्रपति कार्यालय ने बयान जारी कर इजराइल पर अत्याचार और नरसंहार का आरोप भी लगाया। हालांकि इजराइल ने आरोपों को खारिज कर दिया है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस साल फरवरी में 2.14 लाख विदेशी पर्यटकों ने मालदीव का दौरा किया था। इनमें सिर्फ 59 इजराइली थे। पिछले साल करीब 11 इजराइली पर्यटक मालदीव के दौरे पर गए थे, जो कुल पर्यटकों का 0.6% था। अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... राष्ट्रपति पद से हटने के बाद बाइडेन का पहला भाषण; बोले- बंटे हुए देश के तौर पर नहीं चल सकते पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पद से हटने के बाद मंगलवार को अपना पहला भाषण दिया। इस दौरान बाइडेन ने आरोप लगाया कि ट्रम्प ने लाखों अमेरिकी लोगों की सोशल सिक्योरिटी खत्म कर दी है। बाइडेन ने कहा कि ट्रम्प ने सामाजिक सुरक्षा पर कुल्हाड़ी चलाई है। उन्होंने कहा कि नए प्रशासन ने 100 दिनों से भी कम समय में कहीं ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। बाइडेन ने इसे विनाशकारी और चौंकाने वाला बताया। जो बाइडेन शिकागों में दिव्यांगों, वकीलों और एडवाइजर्स के एक राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे ते। इस दौरान उन्होंने करीब आधे घंटे तक भाषण दिया। अमेरिकी राज्य वॉशिंगटन की राजधानी में पहली बार बैसाखी समारोह मनाया गया अमेरिका के वॉशिंगटन राज्य की राजधानी ओलंपिया में पहली बार बैसाखी का पर्व मनाया गया। सिएटल स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने इस समारोह का आयोजन किया। राज्य में रहने वाले सिख समुदाय के लोगों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस खास कार्यक्रम में वॉशिंगटन राज्य के गवर्नर बॉब फर्ग्यूसन, लेफ्टिनेंट गवर्नर डेनी हेक, सचिव स्टीव हॉब्स, राज्य के सांसद और वॉशिंगटन विधानसभा के अन्य प्रतिनिधि शामिल हुए। ग्रेटर सिएटल की किंग काउंटी, स्नोहोमिश काउंटी, और केंट, ऑबर्न, मैरीसविले शहरों ने भी 14 अप्रैल को बैसाखी दिवस मनाने की घोषणा की। वॉशिंगटन राज्य में बड़ी संख्या में भारतीय-अमेरिकी सिख समुदाय के लोग बसे हुए हैं। ---------------------- 15 अप्रैल के वर्ल्ड अपडेट्स यहां पढ़िए...

वर्ल्ड अपडेट्स: मालदीव ने इजराइली टूरिस्ट्स की एंट्री पर बैन लगाया; फिलिस्तीन के समर्थन में फैसला
Kharchaa Pani से प्रस्तुत, यह लेख आपको मालदीव के हालिया फैसले के बारे में जानकारी देगा, जिसमें देश ने इजराइली टूरिस्ट्स की एंट्री पर बैन लगाया है। यह कदम फिलिस्तीन के प्रति अपने समर्थन को दर्शाता है। लेख को भारतीय महिला लेखकों की टीम, टीम नेटानागरी द्वारा लिखा गया है।
परिचय
मालदीव, एक प्रसिध्द पर्यटन स्थल, ने हाल ही में इजराइली टूरिस्ट्स की एंट्री पर प्रतिबंध का ऐलान किया है। यह कदम देश की राजनीति और कूटनीति के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम विस्तार से जानेंगे कि क्यों यह फैसला लिया गया और इसके गहरे निहितार्थ क्या हो सकते हैं।
मालदीव का निर्णय और उसके पीछे कारण
मालदीव सरकार ने यह बैन फिलिस्तीनियों के प्रति समर्थन व्यक्त करने के लिए लगाया है। यह निर्णय उस समय आया है, जब विभिन्न देशों में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन और सॉलिडैरिटी की आवाजें उठ रही हैं। मालदीव के राष्ट्रपति द्वारा इस बैन को एक नैतिक निर्णय के रूप में देखा जा रहा है, जो कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण संकेत है।
प्रतिबंध का राजनीति पर प्रभाव
मालदीव का यह निर्णय अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। यह कदम केवल एक कूटनीतिक फैसला नहीं है, बल्कि यह इस्लामी समर्पण और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक अलार्म है। अन्य मुस्लिम देशों में भी इसी तरह के कड़े फैसले देखने को मिल सकते हैं। इस फैसले ने अन्य देशों के राजनीतिक नेतृत्व को भी प्रभावित किया है, जो फिलिस्तीन के अधिकारों के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
पर्यटन उद्योग पर प्रभाव
मालदीव का पर्यटन उद्योग इस बैन से प्रभावित होगा, क्योंकि इजराइल से आने वाले टूरिस्ट्स की संख्या महत्वपूर्ण है। हालाँकि, देश की सरकार ने कहा है कि मानवाधिकारों और नैतिकता के संबंध में अपनी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए इस निर्णय की आवश्यकता थी। इसके बावजूद, उद्योग को इस प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा, और स्थानीय व्यापारियों को संभावित आर्थिक नुकसान की आशंका है।
निष्कर्ष
मालदीव का इजराइली टूरिस्ट्स की एंट्री पर बैन लगाना केवल एक कूटनीतिक निर्णय नहीं, बल्कि यह एक विश्वव्यापी संदर्भ में फिलिस्तीन के समर्थन का एक प्रतीक है। इस फैसले से ना केवल मालदीव की अंतर्राष्ट्रीय छवि प्रभावित होगी, बल्कि यह अन्य देशों के लिए भी एक मिसाल कायम कर सकता है। हमें इस स्थिति पर नजरे रखनी चाहिए और देखना चाहिए कि कैसे यह फैसले आगे बढ़ते हैं।
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