राजस्थान में लड़के-लड़कियों को बना रहे थे आतंकवादी:योग शिविर के नाम पर आतंकी हमलों की ट्रेनिंग, लाल डायरी में बंद ऐसे कई राज
राजस्थान में केरल की तरह आतंकवादी तैयार किए जा रहे थे। योग की ट्रेनिंग के नाम पर चल रहे कैंपों में गुजरात दंगों, मॉब लिंचिंग के वीडियो दिखाकर मुस्लिम लड़के-लड़कियों का ब्रेनवॉश किया जा रहा था। आतंकवादी हमलों की ट्रेनिंग दी जा रही थी। ये खुलासा नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की एक रिपोर्ट में हुआ। राजस्थान में आतंकी संगठन से जुड़े 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जयपुर, कोटा, जयपुर, सीकर सहित कई जिलों में कार्रवाई के बाद NIA ने जो चार्जशीट पेश की। उसमें सामने आया कि पाॅपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) देश में युवाओं को आतंकवाद की ट्रेनिंग देकर वर्ष 2047 में मुस्लिम राष्ट्र बनाना चाहती थी। भास्कर ने पूरे मामले की पड़ताल करने के लिए कोर्ट में पेश दस्तावेज, जांच रिपोर्ट, केस से जुड़े ऑफिसर से बातचीत कर इन्वेस्टिगेट किया। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 'आतंक की लाल डायरी' में देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाने का मास्टर प्लान एनआईए ने साल 2023 में राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित 15 राज्यों में पीएफआई के 93 ठिकानों पर दबिश दी थी। मोहम्मद आशिफ निवासी कोटा (राजस्थान), सादिक निवासी बारां (राजस्थान), सोहेल निवासी उदयपुर (राजस्थान), वाजिद अली निवासी कोटा (राजस्थान), मुबारिक अली निवासी कोटा (राजस्थान) को गिरफ्तार किया गया था। 19 अक्टूबर 2024 को पांचों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी सौंप दी थी। चार्जशीट में कई खुलासे हुए। इनमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला था 'आतंक की लाल डायरी'। पीएफआई के जयपुर ऑफिस में एनआईए की टीम ने दबिश दी तो उनके हाथ ऐसी लाल रंग की लिब्रा ऑफिस फाइल लगी थी। इस डायरी में देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं को आतंकवादी बनाकर हमले करने का पूरा मास्टर प्लान था। पेज नंबर-14 में नए भर्ती किए गए लोगों के बारे में बताया गया था। इन युवाओं का ब्रेनवॉश करके आतंकवादी हमले करवाने के लिए तैयार करना था। सरकारी अधिकारियों की लिस्ट मिली लाल डायरी में पीएफआई ने कई लोगों की लिस्ट बना रखी थी। इस लिस्ट में पहले वो लोग जो उन्हें सपोर्ट करते थे और दूसरी वो लिस्ट भी थी, जो उन्हें सपोर्ट नहीं कर रहे थे। जिन लोगों से उन्हें आए दिन काम पड़ता था, ऐसे लोगों के नाम भी लिखे थे। इन अधिकारियों की मदद अलग-अलग तरीकों से ली जाती थी, जैसे रैली निकालने के लिए, मेंबर की मीटिंग कराने, इवेंट, पीआर और मीडिया में मदद मांगी जाती थी। राजस्थान में पीएफआई के मास्टर माइंड और उनके साथी मोहम्मद आसिफ : कोटा में चलाता था सैलून राजस्थान में पीएफआई का मास्टर माइंड आसिफ था। वो लंबे समय से पीएफआई से जुड़ा हुआ था। पीएफआई का सबसे भरोसेमंद मेंबर। कोटा के कांशियों का मोहल्ला का रहने वाला है। दुनिया को दिखाने के लिए कोटा में सैलून चलाता था। हकीकत में पीएफआई के लिए जकात के नाम पर फंड जुटाता था। मोहम्मद आसिफ सोशल मीडिया और वॉट्सऐप ग्रुप के साथ–साथ लोकल नेटवर्क से ऐसे युवाओं को ढूंढ़ता, जो मजहब के लिए कट्टर हों। उन्हें अपने साथ जोड़कर उनका ब्रेनवॉश करता। ट्रेनिंग कैंप से ही कट्टर युवकों की पहचान कर उन्हें अलग-अलग काम सौंपता। सादिक सर्राफ : ट्रेनिंग कैंप ऑर्गेनाइज करता सादिक बारां के तलाबपाड़ा का रहने वाला है। आसिफ और सादिक दोनों अच्छे दोस्त है। दोनों साथ मिलकर पीएफआई के लिए काम कर रहे थे। दोनों जकात के नाम पर समाज के लोगों से पैसे जुटाते। बाद में उन पैसों से ट्रेनिंग कैंप लगाते, जहां युवाओं को गोधरा और केरल के प्रोपेगेंडा वीडियो दिखाकर उनके मन में जहर घोलते थे। मोहम्मद सोहेल : अच्छा निशानेबाज है मोहम्मद सोहेल उदयपुर के मुर्शिद नगर का रहने वाला है। उदयपुर में पीएफआई के लिए कैंपेन चलाता था। मजहब के लिए कट्टर युवाओं को पीएफआई में भर्ती करता। खुद अच्छा निशानेबाज है। उदयपुर और कोटा में युवकों को ट्रेनिंग कैंप में हथियार चलाने की ट्रेनिंग देता था। कन्हैयालाल हत्याकांड से पहले उदयपुर में पीएफआई की रैली निकाली गई थी। इसमें मोहम्मद सोहेल शामिल हुआ था। वाजिद अली : फिजिकल ट्रेनिंग देता था वाजिद काेटा के कुन्हाड़ी का रहने वाला है। पीएफआई का सक्रिय मेंबर था। पीएफआई के लिए सदस्यों की भर्ती करता था। कैंप ट्रेनर था। कैंप में युवकों को हथियार चलाने से लेकर फिजिकल ट्रेनिंग देता था। जो युवा अच्छा परफॉर्म करते, उन्हें आगे के काम के लिए सिलेक्ट कर लेता था। मुबारिक अली : कैंप में मार्शल आर्ट सिखाता था मुबारिक अली कोटा के मवासा गांव का रहने वाला है। ताइक्वांडो और मार्शल आर्ट में ट्रेंड है। कैंप में युवकों को ताइक्वांडो और मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देता था। मुबारिक के मोबाइल से कई आपत्तिजनक वीडियो मिले थे। बैंक अकाउंट से भी पीएफआई से रुपए का लेनदेन के सबूत मिले थे। वाजिद अली, मुबारिक अली के साथ एक अन्य युवक शमशेर भी था, जो अब तक फरार है। एनआईए उसकी तलाश में लगातार दबिश दे रही है। शमशेर ट्रेनिंग कैंप में हथियार चलाने की ट्रेनिंग देता था। आतंक के कैंप में 3 तरह की ट्रेनिंग (एनआईए ने पीएफआई के मेंबरों के जयपुर, कोटा, सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा, बूंदी समेत 20 ठिकानों पर दबिश दी थी। तब चाकू, एयरगन, कुल्हाड़ी,डिजिटल डिवाइस के साथ ही तमाम दस्तावेज मिले थे। इन्हीं दस्तावेजों और कैंपों से एडवांस ट्रेनिंग कोर्स का पता लगा था।) खौफनाक इरादों के कई सबूत सबूत 1 : मीटिंग में राजस्थान में मजबूत नेटवर्क बनाने का जिम्मा सौंपा एनआईए की ओर से कोर्ट में पेश हुए दस्तावेजों काे खंगालने से पता लगा कि पीएफआई की एक मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में पीएफआई के आकाओं के बीच मंथन हुआ कि केरल सहित कई राज्यों में नेटवर्क मजबूत है। राजस्थान में नेटवर्क अभी कमजोर है। आरोपियों को राजस्थान में मजबूत नेटवर्क बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। इनका मकसद था 2047 तक भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाना है। सबूत 2 : उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड से पहले निकाली थी रैली उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड से पहले विवादित टिप्पणी किए जाने पर एक रैली निकाली गई थी। रैली में सामाजिक सौह

राजस्थान में लड़के-लड़कियों को बना रहे थे आतंकवादी: योग शिविर के नाम पर आतंकी हमलों की ट्रेनिंग, लाल डायरी में बंद ऐसे कई राज
खर्चा पानी - यह न केवल एक खबर है, बल्कि एक गंभीर मुद्दा है जो हमें समाज में छिपे हुए खतरों का एहसास कराता है। हाल ही में राजस्थान से एक चौंकाने वाली खबर आई है जहां एक योग शिविर के नाम पर युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था। भारतीय समाज में ऐसे मामलों का होना चेतावनी देता है जिस पर हमें गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।
योग शिविर का मकसद: एक धोखा
राजस्थान के कुछ इलाकों में आयोजित हो रहे योग शिविरों का असली उद्देश्य धीरे-धीरे सामने आ रहा है। सूत्रों के अनुसार, इन शिविरों में प्रतिभागियों को न केवल योग सिखाया जा रहा था, बल्कि उन्हें आतंकवादी हमलों की तकनीक भी सिखाई जा रही थी। यह एक गंभीर चिंता का विषय है कि हमारे देश के युवा इस तरह के भ्रामक प्रशिक्षण का शिकार हो रहे हैं।
लाल डायरी: छिपे राज
आतंकवादी गतिविधियों के लिए तैयार किए जा रहे युवाओं के बारे में जानकारी एक 'लाल डायरी' से मिली। इस डायरी में उन युवाओं के नाम और उनके कार्यों की जानकारी दर्ज थी। यह डायरी बताती है कि कैसे इन शिविरों में प्रतिभागियों को विभिन्न प्रकार की तकनीकी जानकारी दी जा रही थी। इसके अलावा, डायरी में संदिग्ध व्यक्तियों के पीछे की कहानियाँ भी दर्ज हैं जो इस पूरी गतिविधि के पीछे की सच्चाई उजागर करती हैं।
संवेदनशील मुद्दा: परिवारों का डर
इन घटनाओं ने समाज में एक डर को जन्म दिया है। परिवारों का मानना है कि यदि उनके बच्चे इन शिविरों का हिस्सा बनते हैं, तो यह उनके भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। इसलिए, यह आवश्यक हो गया है कि समाज इस मुद्दे की गंभीरता को समझे और अपने बच्चों को इस तरह के खतरे से बचाने के लिए सचेत रहे।
सरकार की भूमिका
सरकार को इस तरह की गतिविधियों पर कड़ी नज़र रखनी चाहिए। कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इस मामले की पूरी जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे शिविरों को बंद किया जाए। इसके अलावा, एक जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए ताकि लोग इन घटित हो रहे मामलों के बारे में जानते हों और अपने बच्चों को सुरक्षित रख सकें।
निष्कर्ष
राजस्थान में यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमारा समाज कितनी बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। यह समय है कि हम सब मिलकर ऐसे तत्वों से लडें जो हमारे बच्चों को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। हमें अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए एकजुट होना होगा, ताकि हमारे युवा सही दिशा में आगे बढ़ सकें।
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