चतुर्थी और बुधवार का योग 16 अप्रैल को:घर-परिवार में सुख-शांति बनाए रखने की कामना से किया जाता है चतुर्थी व्रत, शाम को करें चंद्रदेव की पूजा
बुधवार, 16 अप्रैल को वैशाख कृष्ण चतुर्थी है। इस तिथि पर भगवान गणेश के लिए व्रत किया जाता है। बुधवार को ये तिथि होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। इस दिन गणेश जी के साथ ही बुध ग्रह के लिए भी विशेष पूजा-पाठ करेंगे तो कुंडली के कई ग्रह दोष शांत हो सकते हैं। जानिए इस दिन कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं... गणेश पूजा से करें दिन की शुरुआत चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद घर के मंदिर में गणपति बप्पा की विशेष पूजा करें। गणेश प्रतिमा पर जल, दूध और पंचामृत चढ़ाएं। इसके बाद फिर से शुद्ध जल चढ़ाएं। भगवान की प्रतिमा को हार-फूल और नए वस्त्रों से सजाएं। श्रृंगार के बाद गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं। चावल, अबीर, गुलाल, चंदन आदि पूजन सामग्री अर्पित करें। ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करें। धूप-दीप जलाएं। भगवान को लड्डू और मौसमी फल अर्पित करें। आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें। घर-परिवार में सुख-शांति और सफलता की कामना से चतुर्थी व्रत किया जाता है। इस व्रत से भक्तों की बाधाएं दूर होती हैं। इस तिथि पर नए व्यापार की और नए काम की शुरुआत की जा सकती है। ऐसे कर सकते हैं चतुर्थी व्रत जो लोग चतुर्थी व्रत करना चाहते हैं, वे इस तिथि पर सुबह भगवान गणेश की पूजा करें और भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद दिनभर निराहार रहें, भगवान के मंत्रों का जप करें, भगवान की कथाएं पढ़ें-सुनें। दिनभर भूखे रहना संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। शाम को गणेश पूजा करें और चंद्र उदय के बाद चंद्र देव की पूजा करें। चंद्र को अर्घ्य अर्पित करें। इसके बाद व्रत पूरा होता है। बुध ग्रह के लिए कर सकते हैं ये शुभ काम चतुर्थी और बुधवार के योग में बुध ग्रह के लिए हरे मूंग का दान करना चाहिए। बुध ग्रह के मंत्र ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: का जप करें। मंत्र जप कम से कम 108 बार करें। बुध ग्रह की पूजा करें।

चतुर्थी और बुधवार का योग 16 अप्रैल को: घर-परिवार में सुख-शांति बनाए रखने की कामना से किया जाता है चतुर्थी व्रत, शाम को करें चंद्रदेव की पूजा
Kharchaa Pani के साथ, हम आपके लिए लाएं हैं एक विशेष लेख जिसमें हम चर्चा करेंगे चतुर्थी और बुधवार के महत्वपूर्ण योग के बारे में, जो 16 अप्रैल को आ रहा है। इस दिन को लेकर धार्मिक मान्यता और महत्व भी बेहद खास हैं। यहाँ हम जानेंगे कि इस दिन चतुर्थी व्रत का पालन करके हम अपने घर-परिवार में सुख और शांति कैसे बनाए रख सकते हैं। लेख को प्रस्तुत कर रही हैं: स्नेहा मिश्रा और उनके सहकर्मियों की टीम नेतानागरी।
चतुर्थी का महत्व
चतुर्थी का व्रत देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना का एक शानदार अवसर होता है। यह व्रत मुख्यत: भगवान गणेश की आराधना के लिए किया जाता है। श्रद्धालु इस दिन उपवास करके भगवान गणेश से सुख, समृद्धि और शांति की प्रार्थना करते हैं। विशेषकर घर-परिवार में खुशहाली बनाए रखने की कामना के लिए चतुर्थी व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है।
16 अप्रैल का विशेष योग
16 अप्रैल को विशेष रूप से बुधवार का दिन है, जो चतुर्थी के साथ मिलकर एक शुभ संयोग बना रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन की गई पूजा का फल अनेक गुना बढ़ जाता है। श्रद्धालुओं को शाम को चंद्रदेव की पूजा करनी चाहिए, जिससे परिवार में घर-परिवार में धन-धान्य की कोई कमी न रहे। चंद्रमा को शांत और सुखदायक माना गया है, इसीलिए उसकी पूजा मन को शांति देने का कार्य करती है।
चन्द्र देव की पूजा विधि
चंद्र देव की पूजा के लिए सबसे पहले स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है। पूजा के लिए उपयुक्त स्थान का चयन करें और चंद्रमा की प्रतिमा या तस्वीर के समक्ष आह्वान करना न भूलें। व्रती को शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए और उपवास के दिन फल या सूखे मेवे का सेवन करना चाहिए। शाम को चाँद निकलने पर चंद्रमा को दूधांजलि अर्पित करें और उसके सामने दीया जलाएं। इस दौरान विशेष मंत्रोच्चार किए जाते हैं, जो पूजा का अभिन्न हिस्सा है।
निष्कर्ष
चतुर्थी और बुधवार का यह विशेष योग हमारे जीवन में शांति और समृद्धि लाने का एक अद्भुत अवसर है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि पूरे परिवार में खुशहाली का संचार होता है। इसलिए, सभी श्रद्धालुओं से निवेदन है कि इस दिन व्रत का पालन अवश्य करें और चंद्र देव की पूजा करें।
इस खास मौके का लाभ उठाएं और सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें। प्राचीन मान्यता के अनुसार, इस पूजा का फल बहुत पुण्यकारी होता है। अधिक जानकारी के लिए, खर्चा पानी पर विजिट करें।
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