उत्तराखंड में आपदा के बीच एसजीआरआर विश्वविद्यालय का सहयोग, पीड़ितों के लिए चलाई मदद की गाड़ी

एसजीआरआर विश्वविद्यालय ने सहस्त्रधारा के आपदा पीड़ितों के लिए लगाया सांझा चूल्हा ऽ विश्वविद्यालय की कुलपति ने खा़द्य सामग्री वाहन को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना ऽ सहस्त्रधारा के विभिन्न…

Sep 19, 2025 - 09:34
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उत्तराखंड में आपदा के बीच एसजीआरआर विश्वविद्यालय का सहयोग, पीड़ितों के लिए चलाई मदद की गाड़ी

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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड में हालात बेहद गंभीर हैं, लेकिन एसजीआरआर विश्वविद्यालय ने आपदा पीड़ितों की मदद का एक बड़ा कदम उठाया है। विश्वविद्यालय ने सहस्त्रधारा के आपदा प्रभावित क्षेत्र के लिए सांझा चूल्हा स्थापित किया है। इस पहल के तहत आवश्यक खाद्य सामग्री ले जाने के लिए एक विशेष वाहन को रवाना किया गया है।

आपदा की गंभीरता

उत्तराखंड में हाल के दिनों में आई आपदा ने लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। भारी बारिश और भूस्खलनों का सामना कर रहे लोगों के लिए यह समय अत्यंत कठिनाई भरा है। ऐसे मौकों पर सहायता एवं राहत कार्यों की आवश्यकता होती है। एसजीआरआर विश्वविद्यालय ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

सांझा चूल्हा की पहल

एसजीआरआर विश्वविद्यालय ने भोजन की कमी को दूर करने के लिए सहस्त्रधारा में 'सांझा चूल्हा' की शुरुआत की है। इस चूल्हे का उद्देश्य प्रभावित लोगों को गर्म और ताजा भोजन उपलब्ध कराना है। विश्वविद्यालय की कुलपति, डॉ. सुमन शर्मा, ने खाद्य सामग्री से भरे वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो इस मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कुलपति ने किया सहयोग का आह्वान

डॉ. सुमन शर्मा ने कहा, "हम सभी को एक साथ आकर इस संकट में पीड़ितों की मदद करनी चाहिए। यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि कोई भी भूखा न रहे।" उनकी इस अपील ने विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों को भी प्रेरित किया है कि वे राहत कार्य में कदम से कदम मिलाकर चलें।

अन्य संगठनों की भी निभा रही भूमिका

इस संकट के दौरान, एसजीआरआर विश्वविद्यालय अकेला नहीं है। अन्य सामाजिक संगठनों और स्थानीय प्रशासन ने भी राहत कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लिया है। सभी मिलकर यह प्रयास कर रहे हैं कि ऐसे कठिन समय में जरूरतमंदों तक मदद पहुंच सके।

एसजीआरआर विश्वविद्यालय की इस पहल से यह स्पष्ट हो जाता है कि मानवता के प्रति संवेदनशीलता और समुदाय का समर्थन कितना महत्वपूर्ण होता है।

आगे की योजनाएं

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी आपदाओं के बाद न केवल तात्कालिक राहत की आवश्यकता होती है, बल्कि पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्य भी आवश्यक होते हैं। एसजीआरआर विश्वविद्यालय ने इसके लिए भी आगे की योजनाएं बनाई हैं, ताकि प्रभावित लोगों को जल्दी से जल्दी सहारा दिया जा सके।

अंत में, सभी से अपील की जाती है कि वे इस संवेदनशील समय में जरूरतमंदों की सहायता हेतु अपने समर्पण को प्रदर्शित करें। अधिक जानकारी के लिए यहाँ जाएं

सहयोग की यह भावना हमारे समाज को मजबूत बनाएगी।

साभार, टीम खर्चा पानी

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