उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग परीक्षा पर एसआईटी जांच का आदेश, परस्पर जवाबदेही पर जोर
बीते रविवार को सम्पन्न उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में सामने आई शिकायतों की जांच एसआईटी करेगी। यह जांच हाईकोर्ट के रिटायर जज के पर्यवेक्षण में सम्पन्न की जाएगी। मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने मीडिया कर्मियों से बातचीत … read more

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग परीक्षा पर एसआईटी जांच का आदेश
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कम शब्दों में कहें तो, बीते रविवार को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में उठी शिकायतों की जांच एसआईटी द्वारा की जाएगी, जिसमें हाईकोर्ट के रिटायर जज भी शामिल होंगे।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission - UKSSSC) की परीक्षा में हाल ही में कुछ पता चली शिकायतों ने सभी की तवज्जो को आकर्षित किया है। मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने कहा है कि इस मामले में राज्य सरकार की प्राथमिकता परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और शुचिता सुनिश्चित करना है।
जांच का उद्देश्य और प्रक्रिया
मुख्य सचिव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि शिकायतों की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई है, जिसका नेतृत्व एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी करेंगे। यह टीम पूरे प्रदेश में जांच करेगी और सभी जिलों में जाएगी। इस तरह की जांच से यह स्पष्ट हो सकेगा कि परीक्षा में किसी प्रकार की धोखाधड़ी या अनियमितता तो नहीं हुई।
निवृत्त जज की निगरानी
बातचीत में उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि SIT की जांच का पर्यवेक्षण एक रिटायर हाईकोर्ट जज करेंगे। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि जांच निष्पक्ष और निष्कलंक हो। जज और SIT के सदस्यों को परीक्षा से संबंधित सभी तथ्य और साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए आम जन को आमंत्रित किया जाएगा।
अभ्यर्थियों का हित सर्वोपरि
मुख्य सचिव ने कहा है कि राज्य सरकार का सबसे बड़ा हित छात्रों का होना चाहिए। इसलिए, जब तक SIT की जांच पूरी न हो जाए, तब तक आगामी परीक्षा संबंधित कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। यदि जांच के दौरान कोई व्यक्ति दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक निष्कर्ष निकाले जाएंगे।
हरिद्वार परीक्षा केंद्र पर विशेष ध्यान
मुख्य सचिव ने न केवल जांच के उद्देश्य पर जोर दिया, बल्कि हरिद्वार के परीक्षा केंद्र पर भी विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया। कहा गया है कि यदि किसी शख्स की लापरवाही सामने आती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्रों और आमजन का परीक्षा प्रणाली पर भरोसा बना रहे।
अब छात्रों और अभ्यर्थियों के मन में प्रश्न उठता है कि क्या इस जांच प्रक्रिया से परीक्षा में पारदर्शिता मिलेगी? यह तो समय बताएगा, लेकिन सरकार की कोशिश है कि शिकायतों के पीछे छिपे वास्तविक कारणों का पता लगाया जाए और उन पर कार्रवाई की जा सके।
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि यह कदम उत्तराखंड की परीक्षा प्रणाली में एक नई उम्मीद की किरण लेकर आया है। सभी हितधारकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है कि वे इसके परिणामों का इंतजार करें और सुनिश्चित करें कि भविष्य में कोई ऐसी घटना न हो सके।
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सादर,
टीम खर्चा पानी, प्रियंका शर्मा
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