अंकिता भंडारी हत्या मामला: पुलकित आर्या और सौरभ भास्कर को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत
नैनीताल: ANKITA BHANDARI MURDER CASE उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड के मुख्य आरोपी पुलकित आर्या और सौरभ भास्कर को निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा दिये जाने के मामले पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खण्डपीठ ने दायर याचिकाओं में आपत्ति […] The post ANKITA BHANDARI MURDER CASE : पुलकित आर्या और सौरभ भास्कर को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत appeared first on Page Three.

अंकिता भंडारी हत्या मामला: हाईकोर्ट में सुनवाई, मुख्य आरोपियों को राहत नहीं
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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने अंकिता भंडारी हत्या मामले में मुख्य आरोपी पुलकित आर्या और सौरभ भास्कर को राहत देने से इनकार कर दिया है। दोनों आरोपियों को पहले ही निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी थी, जिसमें अब कोई बदलाव नहीं किया गया है।
मामले का विवरण
नैनीताल स्थित उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने चर्चित अंकिता भंडारी हत्या कांड पर सुनवाई की। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खण्डपीठ ने आयी याचिकाओं पर गहन चर्चा की। दोनों आरोपियों ने निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें राहत की अपील की गई थी।
निचली अदालत का निर्णय
निचली अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलकित आर्या और सौरभ भास्कर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यह निर्णय समाज में बढ़ते अपराधों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम माना गया था। अदालत ने यह भी कहा था कि इस प्रकार के अपराधियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसा अपराध करने से दूसरे लोग हिम्मत न जुटा सकें।
सुनवाई की महत्वपूर्ण बातें
हाईकोर्ट की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने आरोपियों की ओर से दायर याचिकाओं की बारीकी से जांच की। न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय ने यह स्पष्ट किया कि निचली अदालत का निर्णय पूरी तरह से सही और उचित था। अदालत ने कहा कि सच्चाई को सामने लाने और अपराधियों को दंडित करने की आवश्यकता है।
समाज की प्रतिक्रिया
अंकिता भंडारी हत्या मामला समाज में गहरा आक्रोश पैदा कर चुका है। लोग इस मामले को लेकर न्याय की उम्मीद कर रहे हैं और इस प्रकार के अपराधों के खिलाफ सख्त सज़ा की मांग कर रहे हैं। कई सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले की तात्कालिक सुनवाई की मांग की थी।
अंतिम विचार
इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए, हाईकोर्ट ने यह साबित कर दिया है कि कानून में कोई भी व्यक्ति बड़ा नहीं होता। हमें उम्मीद है कि ऐसे मामले में शीघ्रतम निवारण होगा, और न्याय सभी के लिए सुलभ होगा।
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सादर,
टीम खarcha पानी - साक्षी शर्मा
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