हिमालय दिवस पर मुख्यमंत्री धामी का संदेश: संरक्षण के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग

हिमालय का संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक का कर्तव्य...

Sep 11, 2025 - 00:34
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हिमालय दिवस पर मुख्यमंत्री धामी का संदेश: संरक्षण के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग
हिमालय का संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक का कर्तव्य...

हिमालय दिवस पर मुख्यमंत्री धामी का संदेश

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कम शब्दों में कहें तो: हिमालय का संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक का कर्तव्य है।

हिमालय दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह स्पष्ट किया कि हिमालय का संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक का कर्तव्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने हिमालय की सुरक्षा को लेकर कई ठोस कदम उठाए हैं। इनमें डिजिटल मानीटरिंग, ग्लेशियर रिसर्च सेंटर की स्थापना, जल स्रोत संरक्षण अभियान और जनभागीदारी कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री धामी ने मंगलवार को आइआरडीटी सभागार में आयोजित हिमालय दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भाग लिया। उन्होंने कहा कि हिमालय सिर्फ बर्फीली चोटियों का समूह नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप की जीवनधारा का प्रतीक है। हिमालय से निकलने वाली नदियां करोड़ों लोगों के लिए जल के स्रोत हैं और यहां की दुर्लभ जड़ी-बूटियां आयुर्वेद की रीढ़ का काम करती हैं।

मुख्यमंत्री ने जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण हिमालय के संतुलन पर पड़ने वाले गंभीर खतरे के बारे में भी चेताया। उन्होंने इंडिकेशन दिया कि ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे भविष्य में जल संकट की गंभीरता बढ़ सकती है। इससे जुड़ी आपदाओं, जैसे क्लाउड बर्स्ट और भूस्खलन की घटनाएं, लगातार बढ़ रही हैं, जो वर्तमान में राज्य को भीषण आपदाओं का सामना करने को मजबूर कर रही हैं।

चुनौतियों का सामना करने के लिए मुख्यमंत्री ने वैज्ञानिक संस्थानों, विशेषज्ञों और विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया। इसी दिशा में गत वर्ष में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था।

विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन नवंबर में

मुख्यमंत्री धामी ने यह भी जानकारी दी कि उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन पर एक विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन आगामी नवंबर में आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र में बढ़ते जोखिमों का समाधान खोजना और एक दीर्घकालिक वैज्ञानिक नीति विकसित करना है।

हिमालय का सर्वाधिक उपभोग मैदानी राज्य करते हैं

इस संदर्भ में, पद्मभूषण डा. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि इस साल पूरे हिमालयी क्षेत्र में आपदाओं की बढ़ती संख्या से चिंताएं और गहरी हुई हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम अब भी इन मुद्दों की अनदेखी करते हैं, तो भविष्य में मानसून का हर मौसम भयावह आपदाओं का संकेत देगा। पहले मानसून का स्वागत किया जाता था, आज हम इससे डरते हैं।

डा. जोशी ने हिमालय के संरक्षण में अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने पर जोर दिया। उन्होंने उल्लेख किया कि हिमालय का केवल 10 प्रतिशत उपभोग पहाड़ी राज्य करते हैं, जबकि शेष 90 प्रतिशत उपभोग मैदानी राज्य करते हैं। जीवनदायिनी नदियां, जैसे गंगा और यमुना, हिमालय की गोद से निकलकर देश के विभिन्न राज्यों को समृद्धि पहुंचा रही हैं।

हिमालय दिवस पर मुख्यमंत्री का यह संदेश न केवल प्रदेशवासियों के लिए, बल्कि पूरे देश के लोगों के लिए प्रेरणादायक है। हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। और अधिक अपडेट के लिए, हमारी वेबसाइट पर जाएं: kharchaapani.com

धन्यवाद,
टीम खर्चा पानी,
स्री प्रिया

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