सहकारिता मेले का आयोजन: 13 जिलों में लोकल अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया प्रोत्साहन

राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने व ग्रामीण आर्थिकी को बढ़ावा देने के उद्देश्य...

Sep 13, 2025 - 00:34
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सहकारिता मेले का आयोजन: 13 जिलों में लोकल अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया प्रोत्साहन
राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने व ग्रामीण आर्थिकी को बढ़ावा देने के उद्देश्य...

सहकारिता मेले का आयोजन: 13 जिलों में लोकल अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया प्रोत्साहन

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कम शब्दों में कहें तो, सहकारिता विभाग ने 3 अक्टूबर से 31 दिसम्बर के बीच 13 जिलों में खास सहकारी मेलों का आयोजन करने का ऐलान किया है। इसका उद्देश्य राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और ग्रामीण आर्थिकी को प्रोत्साहन देना है।

राज्य के सहकारिता विभाग द्वारा आयोजित किए जा रहे इन मेलों में किसान, काश्तकार, कारीगर, और महिला स्वयं सहायता समूहों को अपने उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री करने का सुनहरा अवसर मिलेगा। इन मेलों में विभागीय और इंटर-डिपार्टमेंटल योजनाओं का भी प्रदर्शन किया जाएगा। मेलों के सफल संचालन के लिए सभी विभागीय अधिकारियों को समय पर तैयारियों को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।

सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासंघ ने वर्ष 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया है और इसका थीम "कोऑपरेटिव बिल्ड ए वेटर वर्ल्ड" है। इस अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के तहत पूरे प्रदेश में सहकारिता को लेकर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।

प्रत्येक जनपद में अलग थीम

डॉ. रावत ने बताया कि हर जनपद के इन मेलों की एक अलग थीम होगी। उदाहरण के लिए, अल्मोड़ा में "सहकारिता से हस्तशिल्प संरक्षण" विषय पर मेले का आयोजन किया जाएगा, जिसमें जैविक उत्पाद, स्थानीय कला और ऊनी उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा, प्राकृतिक खेती पर एक संगोष्ठी भी आयोजित की जाएगी। इसी प्रकार, पौड़ी के लिए "सहकारिता से ग्रामीण सशक्तिकरण" थीम निर्धारित की गई है।

बागेश्वर में "सहकारिता से पर्वतीय कृषि" और रुद्रप्रयाग में "धार्मिक पर्यटन विकास" विषय पर मेले लगाए जाएंगे। इस प्रकार, सभी जनपदों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा और ग्रामीण आर्थिकी को नई दिशा मिलेगी।

किस जनपद में कब होंगे मेले

सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य के सभी 13 जनपदों में सहकारिता मेले महत्वपूर्ण तिथियों में आयोजित किए जाएंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में ये मेले 5 दिन चलेंगे, जबकि मैदानी क्षेत्रों में 7 दिन तक आयोजित होंगे।

  • अल्मोड़ा: 3 से 7 अक्टूबर
  • पौड़ी: 7 से 13 अक्टूबर
  • बागेश्वर: 13 से 17 अक्टूबर
  • रुद्रप्रयाग: 24 से 28 अक्टूबर
  • पिथौरागढ़: 29 अक्टूबर से 2 नवम्बर
  • चमोली: 3 से 7 नवंबर
  • चम्पावत: 14 से 20 नवंबर
  • उत्तरकाशी: 15 से 19 नवंबर
  • नैनीताल: 25 नवंबर से 1 दिसंबर
  • हरिद्वार: 2 से 8 दिसंबर
  • ऊधमसिंह नगर: 6 से 12 दिसंबर
  • टिहरी: 13 से 19 दिसंबर
  • देहरादून: 20 से 26 दिसंबर

प्रत्येक मेले के आयोजन के बाद 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए गए हैं। इस तरह के आयोजनों से न केवल स्थानीय उत्पादों को पहचान मिलेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी एक नया प्रोत्साहन मिलेगा।

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टीम खर्चा पानी,
अनु शर्मा

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