कण्वाश्रम में चक्रवर्ती राजा भरत की मूर्ति की स्थापना, वैदिक संस्कृति और साहसिक पर्यटन का नया अध्याय
विधानसभा अध्यक्ष एवं क्षेत्रीय विधायक ऋतु खण्डूडी भूषण ने आज कण्वाश्रम का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कण्वाश्रम स्थित पुरातात्विक महत्व की काष्ठ कला का निरीक्षण किया और मालिनी नदी तट पर बसे इस क्षेत्र की बसावट एवं ऐतिहासिक विरासत के बारे में अपने विचार साझा किए। पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि […] The post Kotdwar:-कण्वाश्रम में लगेगी चक्रवर्ती राजा भरत की मूर्ति,कण्वाश्रम वैदिक कालीन योग,धर्म,आस्था,अध्यात्म एवं साहसिक पर्यटन से जोड़ा जाएगा appeared first on संवाद जान्हवी.

कण्वाश्रम में चक्रवर्ती राजा भरत की मूर्ति की स्थापना, वैदिक संस्कृति और साहसिक पर्यटन का नया अध्याय
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कम शब्दों में कहें तो, कण्वाश्रम में राजा भरत की मूर्ति की स्थापना और वैदिक संस्कृति को प्रोत्साहित करने की योजना है। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण ने कण्वाश्रम का दौरा कर इसकी पुरातात्विक महत्वता की पहचान की।
विधानसभा अध्यक्ष एवं क्षेत्रीय विधायक ऋतु खण्डूडी भूषण ने आज कण्वाश्रम का दौरा किया, जहाँ उन्होंने कण्वाश्रम में स्थित पुरातात्विक महत्व की काष्ठ कला का निरीक्षण किया। उन्होंने मालिनी नदी के तट पर बसे क्षेत्र की ऐतिहासिक विरासत एवं बसावट के बारे में अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कण्वाश्रम, जिसे भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है, को वैश्विक पहचान दिलाना उनकी प्राथमिकता है।
राजा भरत की प्रतिमा की स्थापना
ऋतु खण्डूडी ने पत्रकारों से बात करते हुए घोषणा की कि अगले माह कण्वाश्रम में शकुंतला के पुत्र चक्रवर्ती राजा भरत की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उन्होंने बताया कि यह प्रतिमा न केवल क्षेत्र के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय बन जाएगी। उनका कहना था, "हमारा उद्देश्य है कि मालिनी घाटी की वैदिक कालीन सभ्यता को पुनः जीवित किया जाए।"
धार्मिक एवं साहसिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र
खण्डूडी ने यह भी जानकारी दी कि कण्वाश्रम को विशेष रूप से धार्मिक और साहसिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनाने की योजना है। यहाँ योग, ध्यान और आध्यात्मिकता की परंपरा को फिर से जीवित करने के लिए सप्तऋषि मंडप का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही, मालिनी नदी तट पर प्रतिदिन नदी आरती और वैदिक मंत्रोच्चारण का आयोजन भी होगा, जिससे यहाँ की देवीयता और आस्था को और अधिक मजबूती मिलेगी।
प्राचीन धरोहरों का अध्ययन
केंद्र सरकार और राज्य सरकार की मदद से, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम इस क्षेत्र में प्राचीन मूर्तियों और विरासत का अध्ययन कर रही है। प्रारंभिक अध्ययन के अनुसार, यहाँ प्राचीन मूर्तियाँ आठवीं से ग्यारहवीं शताब्दी की मानी जा रही हैं। यह अध्ययन इस ऐतिहासिक जगह के महत्व को और भी बढ़ाता है।
भविष्य की संभावनाएँ
ऋतु खण्डूडी ने यह भी विश्वास जताया कि सामूहिक प्रयासों द्वारा कण्वाश्रम को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर प्रतिष्ठित किया जाएगा। यह क्षेत्र एक बार फिर अपनी गौरवशाली पहचान को प्राप्त करेगा और यहाँ के लोग अपनी वैदिक सम्पदा के प्रति गर्व अनुभव करेंगे।
कण्वाश्रम में होने वाली ये तमाम गतिविधियाँ निश्चित रूप से स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत की सांस्कृतिक धरोहर को नया जीवन देंगी। इसके विस्तृत विकास की योजनाएँ आने वाले दिनों में इस क्षेत्र को और भी चमकदार बनाएंगी।
इसके अतिरिक्त, कण्वाश्रम की प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्वता का संयोजन इसे पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थल बनाता है। इस प्रकार की पहलों से स्थानीय आर्थिक विकास में भी सुधार होगा।
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सादर,
टीम खर्चा पानी - अनुषा शर्मा
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