ऋषिकेश कोर्ट फैसला: मोहब्बत में सहमति से बनाए गए संबंध बलात्कार नहीं

प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ऋषिकेश की अदालत ने प्रेम प्रसंग के दौरान बनाए गए शारीरिक संबंधों को बलात्कार नहीं माने जैसा आदेश सुनाते हुए आरोपी को दोष मुक्त किया है। मामला वर्ष 2022 का है जो चंद्रेश्वर नगर से जुड़ा … read more

Dec 24, 2025 - 00:34
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ऋषिकेश कोर्ट फैसला: मोहब्बत में सहमति से बनाए गए संबंध बलात्कार नहीं

प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ऋषिकेश की अदालत ने प्रेम प्रसंग के दौरान बनाए गए शारीरिक संबंधों को बलात्कार नहीं माने जैसा आदेश सुनाते हुए आरोपी को दोष मुक्त किया है। मामला वर्ष 2022 का है जो चंद्रेश्वर नगर से जुड़ा है।

दरअसल, चंद्रेश्वरनगर ऋषिकेश निवासी एक महिला के द्वारा दिनांक 18.07.2022 को स्थानीय युवक सोनू के विरुद्ध एक रिपोर्ट दर्ज करवाई जिसमे उसने बताया कि वह विवाहित है और उसका अपने पति से वाद विवाद चला रहा था तथा उसी समय उसकी मुलाकात सोनू से हुई । सोनू ने उक्त महिला को विवाह का प्रस्ताव दिया और जल्द अपने पति से तलाक लेने की बात कही । उसके पश्चात दोनों की आपस में बातचीत होने लगी और सोनू ने महिला के साथ शादी का झांसा देकर अनेकों बार शारीरिक संबंध बनाए व उसका बलात्कार किया । जिसके पश्चात जब महिला का अपने पति से तलाक हो गया तो उसने सोनू से विवाह की बात की पपरन्तु सोनू ने किसी अन्य महिला से विवाह कर लिया । पुलिस द्वारा मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया गया तथा उसके बाद मुकदमा न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम, ऋषिकेश के न्यायालय में विचाराधीन रहा।

अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता शुभम राठी द्वारा कोर्ट पैरवी की गई। इस मामले में अभियोजन द्वारा कुल पांच गवाह पेश किए गए जिनसे अधिवक्ता शुभम राठी द्वारा जिरह की गई।

कोर्ट ने पाया कि मामले में पेश किए गए गवाहो की गवाही में विरोधाभास थे तथा पीड़िता समेत अन्य कोई भी गवाह बचाव पक्ष के अधिवक्ता के प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर नही दे सका।

माननीय न्यायालय ने पाया कि पीड़िता एक बालिग विवाहित महिला थी जो कि सोनू से प्रेम करती थी तथा अपना भला बुरा अच्छे से जानती थी तथा सोनू द्वारा पीड़िता को झूठा शादी का झांसा नहीं दिया गया अपितु पीड़िता द्वारा सोनू के साथ बनाए गए संबंध प्रेम में होने के कारण सहमति से बनाए गए जिन्हें बलात्कार नहीं कहा जा सकता तथा अभियोजन अपना मामला संदेह से परे साबित करने में असफल रहा।

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद माननीय न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम ऋषिकेश जिला देहरादून द्वारा आरोपी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।

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