मैती श्री राम वन में कल्याण सिंह रावत ने हरेला पर्व पर वृक्षारोपण किया
रामधार (बैनोली) विकास खण्ड कर्णप्रयाग जिला चमोली में मैती संस्था द्वारा हरेला कार्यक्रम के तहत् “मैती श्री राम वन “की स्थापना की गईं। इस अवसर पर दो सौ पौधों…

मैती श्री राम वन में कल्याण सिंह रावत ने हरेला पर्व पर वृक्षारोपण किया
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कम शब्दों में कहें तो, रामधार (बैनोली) विकास खण्ड कर्णप्रयाग, जिला चमोली में मैती संस्था ने हरेला कार्यक्रम के अंतर्गत "मैती श्री राम वन" का उद्घाटन किया। इस मौके पर प्रसिद्ध समाज सुधारक पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने दो सौ पौधे रोपे। इस आयोजन ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में स्थानीय समुदाय को जागरूक किया।
हरेला पर्व का महत्व
हरेला पर्व, जो प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में मनाया जाता है, का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को संवर्धित करना है। यह पर्व स्थानीय जनजीवन की आस्था और सांस्कृतिक पहचान का प्रमाण भी है। हरेला का अर्थ है 'हरेला', जिसमें इस विशेष दिन किए गए वृक्षारोपण से हरा भरा वातावरण बनाने का प्रयास किया जाता है। इस अवसर पर आमतौर पर विभिन्न प्रकार के पौधों की रोपाई की जाती है।
मैती संस्था की पहल
मैती संस्था, जो पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक विकास के लिए तत्पर है, ने इस वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया। संस्था के सदस्यों ने बताया कि उनका लक्ष्य केवल वृक्षारोपण करना नहीं है, बल्कि समुदाय को पर्यावरण के प्रति समाधान करने के लिए जागरूक करना भी है। इस अभियान में उन्होंने स्थानीय निवासियों, स्कूलों और अन्य संगठनों के साथ सहभागिता की।
कल्याण सिंह रावत का योगदान
पद्मश्री कल्याण सिंह रावत का नाम पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी है। उन्होंने अपने कार्यों और वृक्षारोपण अभियानों के माध्यम से अन्य लोगों को प्रेरित किया है। उनका मानना है कि हर व्यक्ति को अपने चारों ओर हरियाली बनाए रखने में अपना योगदान देना चाहिए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके।
सामुदायिक सहभागिता का महत्व
इस वृक्षारोपण कार्यक्रम में स्थानीय निवासियों की भागीदारी विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही। लोगों ने सामूहिक रूप से पौधों को रोपने के लिए अपने प्रयासों का योगदान दिया, जिससे यह सुनिश्चित हो सका कि वृक्षों का प्रभावी संरक्षण हो सके। यह सामुदायिक सहयोग पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक प्रेरणा बना है।
वृक्षारोपण का भविष्य
मैती संस्था ने यह सुनिश्चित किया है कि इन पौधों की देखभाल की जाएगी। यह संदेश स्पष्ट है कि वृक्षारोपण कोई एक बार का कार्य नहीं है, बल्कि इसके लगातार देखभाल की आवश्यकता होती है। पर्यावरण की सुरक्षा हम सभी की जिम्मेदारी बनती है, और इसके लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है।
निष्कर्ष
इस कार्यक्रम ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह न केवल वृक्षारोपण के महत्व को उजागर करता है, बल्कि सामाजिक एकता और सामुदायिक भागीदारी की भावना को भी प्रदर्शित करता है। ऐसे आयोजनों की आवश्यकता आज के समाज में हरियाली और स्थिरता लाने के लिए अत्यंत आवश्यक है। हम सभी को इस प्रकार के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा भी इसी दिशा में सहायक हो सकता है। समाज में ऐसे उदाहरणों की आवश्यकता है।
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