देहरादून के डीएम सविन बंसल द्वारा बुजुर्ग को सताने वाले कानूनगो का निलंबन: प्रशासन की सक्रियता
सालों से बुजुर्ग रविन्द्र सिंह की अमल दारामद प्रकरण को दबाए बैठे सदर राजस्व कानूनगो निलम्बितः सदर राजस्व कानूनगो राहुल देव दबाए बैठे थे इन्द्राज पत्रावली डीएम के एक्शन…

देहरादून के डीएम सविन बंसल द्वारा बुजुर्ग को सताने वाले कानूनगो का निलंबन: प्रशासन की सक्रियता
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देहरादून में डीएम सविन बंसल ने एक साहसिक निर्णय लेते हुए सदर राजस्व कानूनगो राहुल देव को निलंबित कर दिया है। यह महत्वपूर्ण कार्रवाई एक बुजुर्ग नागरिक रविन्द्र सिंह के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए की गई है, जो वर्षों से अपने अधिकारों को पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। आरोप है कि राहुल देव ने जानबूझकर इस मामले को दबाए रखा, जिसके परिणामस्वरूप बुजुर्ग को अत्यधिक मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा।
प्रशासन की सक्रियता और बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा
रविन्द्र सिंह, जो कि लंबे समय से अपने अमल दरामद मामलों को लेकर परेशान थे, अब प्रशासन की नजर में आ गए हैं। उन्होंने कई बार विभागीय अधिकारियों से संपूर्ण समाधान की गुहार लगाई थी, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना किया गया था। डीएम सविन बंसल के इस निर्णय ने साबित कर दिया है कि प्रशासन बुजुर्गों के अधिकारों को लेकर गंभीर है और इस दिशा में सही कदम उठाने के लिए तत्पर है।
कानूनगो के खिलाफ निलंबन प्रक्रिया का अद्भुत उदाहरण
राहुल देव के खिलाफ यह कार्रवाई प्रशासनिक व्यवस्था की एक अच्छी मिसाल है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने इंद्राज पत्रावली को दबाए रखा था, जिससे रविन्द्र सिंह के मामले में अन्याय हुआ। ऐसे असामाजिक कार्यों के खिलाफ प्रशासन का यह फुर्तीला कदम निश्चित रूप से सराहनीय है। जब प्रशासन ऐसे मामलों पर तत्परता से प्रतिक्रिया करता है, तो समाज में न्याय की भावना मजबूत होती है।
अगला कदम: क्या होगी कार्रवाई?
अब देखने की बात यह है कि भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे। डीएम सविन बंसल ने स्पष्ट किया है कि उन अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी जो अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं करते। यह एक सकारात्मक संकेत है कि प्रशासन अपनी भूमिका को निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।
बुजुर्गों जैसे कमजोर वर्गों की सुरक्षा, समाज की जिम्मेदारी है, और प्रशासन को इस दिशा में निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। यह मामला दर्शाता है कि जब नागरिक अपनी आवाज उठाते हैं, तो उनकी माँगें सुनने में आती हैं और वे अपने अधिकारों को प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष: जवाबदेही की आवश्यकता
यह घटनाक्रम यह दर्शाता है कि जब तक सत्ताधारी लोग जवाबदेह नहीं होते, तब तक समाज में सही कार्यवाही असंभव है। डीएम सविन बंसल का यह पहल निश्चित रूप से सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होगा। यदि हमें अपने समाज को न्यायपूर्ण बनाना है, तो हर व्यक्ति की आवाज़ को सम्मान करना आवश्यक है।
आगे चलकर, इस तरह की जांच और कार्रवाई अन्य विभागों में भी देखने को मिलेगी। यह सिर्फ एक कदम नहीं, बल्कि सरकारी नीतियों में सुधार एवं संवेदनशीलता की आवश्यकता को दर्शाता है।
कम शब्दों में कहें तो, डीएम सविन बंसल की यह प्रबल कार्रवाई बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा के प्रति प्रशासन की गंभीरता को दिखाती है। यदि आप और अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो [यहाँ क्लिक करें](https://kharchaapani.com)।
सादर,
टीम खर्षा पानी, पारुल शर्मा
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