उत्तराखंड में यूसीसी के तहत औसतन 1634 विवाह पंजीकरण प्रतिदिन

इसी वर्ष 27 जनवरी से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद, विवाह का पंजीकरण अनिवार्य हो गया है। तब से यूसीसी एक्ट के तहत प्रतिदिन औसत 1634 शादियों का पंजीकरण हो रहा है। जबकि, इससे पहले 2010 … read more

Jul 27, 2025 - 00:34
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उत्तराखंड में यूसीसी के तहत औसतन 1634 विवाह पंजीकरण प्रतिदिन
इसी वर्ष 27 जनवरी से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद, विवाह का पंजीकरण अनिवार्य ह

उत्तराखंड में यूसीसी के तहत औसतन 1634 विवाह पंजीकरण प्रतिदिन

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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद से विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। 27 जनवरी 2023 को लागू होने के बाद, प्रतिदिन औसतन 1634 विवाह पंजीकरण हो रहे हैं। यह आंकड़ा पिछले 2010 के एक्ट के मुकाबले, जहाँ प्रतिदिन केवल 67 विवाह पंजीकरण होते थे, एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि नया कानून सामाजिक मान्यता और कानूनी प्रक्रियाओं के प्रति लोगों की सोच में बदलाव ला रहा है।

यूसीसी का प्रभाव: विवाह पंजीकरण में गुणात्मक बदलाव

यूसीसी लागू होने से पहले, उत्तराखंड विवाह पंजीकरण अधिनियम- 2010 के अंतर्गत विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया होती थी। उस समय लोग विवाह पंजीकरण के लिए उत्सुक नहीं थे। उदाहरण के लिए, 2010 से 2025 के बीच की अवधि में केवल 3,30,064 विवाह पंजीकरण हुए, जो कि प्रतिदिन औसतन मात्र 67 थे। यह स्पष्ट रूप से पुराने कानून की सीमाओं को दर्शाता है।

अब, यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण में भारी उछाल आया है। वर्तमान में, इस कानून के तहत 3,01,526 विवाह पंजीकरण हो चुके हैं। सरल और स्पष्ट प्रक्रिया ने लोगों की उत्सुकता को बढ़ाया है। यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण की संख्या पुराने कानून की तुलना में कई गुना अधिक है, जो कि इस नए कानून की सफलता को दर्शाता है।

समाज में सकारात्मक परिवर्तन

समान नागरिक संहिता ने बाहरी हस्तक्षेप को कम करने और पारिवारिक विवादों को हल करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है। यह कानून सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बारे में कहा है, "समान नागरिक संहिता के तहत होने वाला प्रत्येक पंजीकरण, मजबूत समाज की दिशा में एक ठोस कदम है। इससे महिलाओं के अधिकार सुरक्षित होते हैं।"

इसके अतिरिक्त, सरकार ने विवाह पंजीकरण की समय सीमा को छह माह से बढ़ाकर एक साल कर दिया है। यह उन लोगों के लिए राहत के रूप में है, जो किसी कारणवश विवाह पंजीकरण कराने में असमर्थ रहे हैं।

निष्कर्ष

उत्तराखंड में यूसीसी के लागू होने के बाद से विवाह पंजीकरण के आंकड़े हमारे विचारों को सोचने पर मजबूर करते हैं। यह कानून न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाता है, बल्कि यह सामाजिक समरसता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। समाज के सभी वर्गों की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस कानून का सही ढंग से उपयोग करें और अपने अधिकारों को समझें।

नया विवाह पंजीकरण प्रक्रिया, कानूनी मान्यता को बढ़ावा देते हुए, विवाह के सामाजिक एवं व्यक्तिगत मुद्दों को भी सही तरीके से संबोधित करने का अवसर प्रदान करती है।

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