उत्तराखंड में धर्मांतरण पर सख्त नीतियां और मदरसा बोर्ड का समापन - धामी सरकार का बड़ा कदम
सनातन की आड़ में छद्म वेशधारियों व जबरन धर्मांतरण करने वालों पर धामी सरकार सख्त...

उत्तराखंड में धर्मांतरण पर सख्त नीतियां और मदरसा बोर्ड का समापन - धामी सरकार का बड़ा कदम
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कम शब्दों में कहें तो, धामी सरकार ने छद्म वेशधारियों और जबरन धर्मांतरण पर अपना कड़ा रुख स्पष्ट कर दिया है। ऑपरेशन कालनेमि के तहत चार हजार से अधिक लोगों का सत्यापन किया गया है, और मदरसा बोर्ड को समाप्त करने का निर्णय हिंदुत्व के पुर्नजागरण की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
धर्मांतरण पर रोक के लिए उठाए गए कदम
धामी सरकार के ऑपरेशन कालनेमि के तहत अब तक 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें हरिद्वार से 162 लोगों का समावेश है। यह अभियान धार्मिक पहचान के आड़ में किसी भी प्रकार की धांधली और सनातन परंपराओं का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ ठोस कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। राज्य सरकार का उद्देश्य जबरन धर्मांतरण की घटनाओं पर पूर्णविराम लगाना है, जिससे धर्म की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सके।
धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक का महत्व
उत्तराखंड विधानसभा ने धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक को पारित किया है, जिसमें जबरन धर्मांतरण करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। किसी भी व्यक्ति को अगर धन, उपहार, नौकरी या शादी के प्रलोभन से धर्मांतरण कराना है, तो वह गंभीर अपराध माना जाएगा। यदि कोई व्यक्ति शादी के उद्देश्य से अपने धर्म को छिपाता है, तो उसे 3 से 10 वर्ष की कठोर सजा हो सकती है, साथ ही 3 लाख रुपये का जुर्माना भी लग सकता है।
मदरसा बोर्ड का समापन और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार
धामी सरकार ने अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के प्रवर्तन में मुस्लिम समाज के एकाधिकार को खत्म करने का निर्णय लिया है। हाल ही में पारित उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान विधेयक के अनुसार, अब सभी अल्पसंख्यक समुदाय जैसे सिख, ईसाई, और जैन को समान रूप से अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया जाएगा। यह कानून देश में एक नये प्रथा की शुरुआत कर रहा है। इसके साथ ही, राज्य में उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण गठित किया जाएगा, जो इन शैक्षिक संस्थानों को मान्यता प्रदान करेगा। यह कदम न केवल धार्मिक समानता की दिशा में, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में विविधता को भी प्रमोट करेगा।
कड़े कानूनों का महत्व
धामी सरकार का यह कदम धार्मिक समानता और शैक्षिक विविधता को प्रमोट करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस तरह के कड़े कानून न केवल धर्मांतरण पर रोक लगायेंगे, बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय के लिए नए अवसर खोलेंगे। यह सरकार के प्रति उनके पारंपरिक मूल्य और समाज में धार्मिक सद्भाव बनाए रखने की जो प्रतिबद्धता है, उसका प्रतीक भी है।
इससे स्पष्ट होता है कि धामी सरकार अपनी नीतियों के माध्यम से राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ रही है।
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