उत्तराखंड की प्रियंका नेगी बनीं सबसे युवा ग्राम प्रधान, 21 साल में संभाली जिम्मेदारी
चमोली की प्रियंका नेगी बनीं सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान, महज 21 साल में संभाली जिम्मेदारी चमोली: गैरसैंण विकासखंड के अंतर्गत आने वाले आदर्श ग्राम सारकोट ने इतिहास…

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चमोली की प्रियंका नेगी: युवा नेतृत्व का नया चेहरा
चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले में 21 वर्षीय प्रियंका नेगी ने ग्राम प्रधान के पद पर पहुंचकर एक नया इति-हास रच दिया है। उनका यह कार्य समाज के युवा वर्ग के लिए प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करता है, जिससे उन्होंने साबित किया है कि युवा भी बड़ी जिम्मेदारियों को संभालने में सक्षम हैं। प्रियंका नेगी ने अपने गांव सारकोट के विकास के लिए अपने दृष्टिकोण को साझा किया है, जो विशेष रूप से प्रभावशाली है।
विकास की दिशा में कदम
प्रियंका नेगी, जो गैरसैंण विकासखंड के आदर्श ग्राम सारकोट की ग्राम प्रधान बनीं हैं, ने अपने चुनावी अभियान के दौरान गांव के विकास के लिए एक सुनियोजित और स्पष्ट योजना प्रस्तुत की थी। उनका मुख्य ध्यान शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं के सशक्तिकरण पर है। प्रियंका कहती हैं, "मेरा लक्ष्य है कि मेरे गांव का हर बच्चा अच्छी शिक्षा प्राप्त करे और महिलाएं आत्मनिर्भर बनें।"
नवीन तकनीकों का आयाम
प्रियंका ने पारंपरिक सोच को पीछे छोड़ते हुए अपने गांव के विकास में तकनीकी ज्ञान का सहारा लेने का निर्णय लिया है। उनकी योजनाओं में ग्रामीणों के लिए तकनीकी शिक्षा प्रदान करना शामिल है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। इसके साथ ही, प्रियंका ने महिलाओं के लिए स्व-सहायता समूह बनाने की दिशा में भी कार्य योजना बनाई है, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त किया जा सके।
समुदाय का साथ
प्रियंका की चुनावी जीत ने स्थानीय निवासियों के बीच उत्साह का संचार किया है। ग्रामीणों का मानना है कि प्रियंका ने न केवल चुनावी पूर्वानुमान में बल्कि गांव के युवाओं को राजनीति में रुचि लेने के लिए भी प्रेरित किया है। यह बदलाव केवल चमोली के लिए नहीं बल्कि पूरे राज्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो युवा नेतृत्व की आवश्यकता को पुष्ट करता है।
एक नई सोच का आगाज
प्रियंका नेगी का यह सफर एक चुनावी जीत से कहीं अधिक है। यह युवा भारत की नई तस्वीर पेश करता है, जहां युवा नेता अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों का आभास कर पाने में सक्षम हैं। उनकी यह उपलब्धि अन्य युवाओं को भी प्रोत्साहित करेगी कि वे अपने अधिकारों को पहचानें और समाज में योगदान करें। आगे चलकर, प्रियंका अपने गांव सारकोट को एक नजीर के रूप में प्रस्तुत कर सकती हैं, प्रदर्शित करते हुए कि युवा कैसे जिम्मेदारी के साथ विकास में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।
प्रियंका नेगी ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब समाज और परिवार का समर्थन होता है, तो किसी भी असंभवता को संभव बना दिया जा सकता है।
कम शब्दों में कहें तो, प्रियंका नेगी की कहानी न केवल प्रेरणादायक है बल्कि युवाओं के लिए एक नई उम्मीद की किरण भी है। अधिक जानकारी के लिए, visit करें Kharcha Pani.
Signed off by: Team Kharchaa Pani, Anjali Kumar
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