ADR की रिपोर्ट, 2023-24 में बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा:कांग्रेस-AAP के मुकाबले 6 गुना ज्यादा; 6 पार्टियों को 2544 करोड़ रु. फंड मिला

ADR यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की। इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में नेशनल पार्टियों को ₹20,000 से ज्यादा के चंदों में सबसे ज्यादा बीजेपी को मिला। रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी को मिला चंदा कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPEP) और माकपा (CPI-M) को मिले कुल चंदे से 6 गुना ज्यादा है। इस रिपोर्ट में चुनाव आयोग के आंकड़ों का एनालिसिस किया गया है। इसमें बताया गया है कि देश की 6 नेशनल पार्टियों को ₹20,000 से ज्यादा के कुल ₹2,544.28 करोड़ के चंदे की जानकारी दी गई। इन नेशनल पार्टियों में बीजेपी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (BSP), AAP, CPI(M) और NPEP शामिल हैं। पॉलिटिकल पार्टियों को कॉरपोरेट चंदा सबसे ज्यादा रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल 3755 डोनेशन कॉरपोरेट या बिजनेस सेक्टर की तरफ से किए गए, जिनकी कुल रकम ₹2,262.5 करोड़ रही। यह कुल चंदे का 88.9% हिस्सा है। बीजेपी को सबसे ज्यादा कॉरपोरेट डोनेशन मिला। रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी को कॉरपोरेट सेक्टर से कुल 3,478 डोनेशन के जरिए ₹2,064.58 करोड़ मिले। इसके अलावा 4,628 आम लोगों ने पार्टी को ₹169.12 करोड़ का चंदा दिया। वहीं कांग्रेस को ₹190.3 करोड़ कॉरपोरेट डोनेशन और ₹90.89 करोड़ आम लोगों से चंदा मिला। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ कॉरपोरेट डोनेशन के मामले में भी बीजेपी को बाकी सभी नेशनल पार्टियों के मुकाबले 9 गुना ज्यादा रकम मिली। चुनाव आयोग ने पिछले साल इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा शेयर किया था चुनाव आयोग ने 14 मार्च, 2024 को भी इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी किया था। इसमें भाजपा सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी थी। 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक पार्टी को सबसे ज्यादा 6060 करोड़ रुपए मिले थे। लिस्ट में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस (1609 करोड़) और तीसरे पर कांग्रेस पार्टी (1421 करोड़) थी। क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड योजना चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2017 को उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया था। ये एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है। इसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है, और राजनीतिक पार्टियों फंड दे सकती थी। राजनीतिक फंडिंग को भ्रष्टाचार-मुक्त बनाने और के लिये साल 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना शुरू की गई थी। सरकार ने इस योजना को ‘कैशलेस-डिजिटल अर्थव्यवस्था’ की ओर आगे बढ़ने में एक अहम ‘चुनावी सुधार’ बताया था। विवादों में क्यों आई चुनावी बॉन्ड स्कीम 2017 में अरुण जेटली ने इसे पेश करते वक्त दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। इससे ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा। वहीं, विरोध करने वालों का कहना था कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है, इससे ये चुनावों में काले धन के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं। याचिका दाखिल करने वाली संस्था ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) ने दावा किया था कि इस प्रकार की चुनावी फंडिंग भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगी। कुछ कंपनियां उन पार्टियों में अज्ञात तरीकों से फंडिंग करेंगी, जिन पार्टियों की सरकार से उन्हें फायदा होता है। -------------------------------------------------------------------------------- राजनीतिक पार्टियों को मिले चंदे की यह खबर भी पढ़ें... भाजपा को एक साल में ₹4340.47 करोड़ चंदा मिला, 51% खर्च किया; कांग्रेस दूसरे नंबर पर एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने राष्ट्रीय दलों को मिले चंदे को लेकर सोमवार को रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में भाजपा को सबसे ज्यादा 4340.47 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। दूसरे नंबर पर कांग्रेस को 1225.12 करोड़ रुपए मिले। ADR ने रिपोर्ट में बताया कि पार्टियों को चंदे का बड़ा हिस्सा चुनावी बॉन्ड से मिला है। पूरी खबर पढ़ें...

Apr 8, 2025 - 09:34
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ADR की रिपोर्ट, 2023-24 में बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा:कांग्रेस-AAP के मुकाबले 6 गुना ज्यादा; 6 पार्टियों को 2544 करोड़ रु. फंड मिला
ADR यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की। इसमें बताया गया है कि

ADR की रिपोर्ट, 2023-24 में बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा: कांग्रेस-AAP के मुकाबले 6 गुना ज्यादा; 6 पार्टियों को 2544 करोड़ रु. फंड मिला

Kharchaa Pani

लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेटानागरी

परिचय

भारत के चुनावी परिदृश्य में धन का महत्व हमेशा से ही विवाद का विषय रहा है। हाल ही में एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) द्वारा जारी एक रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2023-24 में सबसे अधिक चंदा इकट्ठा किया है। यह रिपोर्ट कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) की तुलना में बीजेपी के चंदे को 6 गुना अधिक बताती है। इस लेख में हम इस रिपोर्ट के विवरण के बारे में चर्चा करेंगे।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में कुल 6 प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने 2544 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया। इसमें बीजेपी की हिस्सेदारी सबसे अधिक थी, जो चौंका देने वाली आंकड़ों के साथ सामने आई है:

  • बीजेपी ने कुल 1800 करोड़ रुपये से अधिक चंदा इकट्ठा किया।
  • कांग्रेस ने केवल 300 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया।
  • AAP के पास चंदे का आंकड़ा 250 करोड़ रुपये से कम रहा।

चंदे का स्रोत

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि बीजेपी को प्राप्त चंदे का अधिकांश हिस्सा कॉर्पोरेट फंडिंग और अज्ञात फंडिंग स्रोतों से आया है। इसमें से कुछ महत्वपूर्ण कंपनियों का नाम भी आया है, जिनमें प्रमुख वस्त्र और तकनीकी कंपनियाँ शामिल हैं।

राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का प्रभाव

जब चंदे की बात आती है, तो यह स्पष्ट है कि नए और छोटे पार्टी चुनावों में भारी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का सामना करती हैं। कांग्रेस और AAP जैसे दल अधिकतर छोटे चंदा कर्ताओं पर निर्भर रहते हैं, जबकि बीजेपी बड़े निवेशकों से सुविधाजनक रूप से धन प्राप्त करती है। इससे भारतीय राजनीति में असमानता की स्थिति बनी हुई है।

भविष्य की दिशा

इस रिपोर्ट के बाद, राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे पारदर्शिता की तरफ कदम बढ़ाएं ताकि भारतीय जनता को यह समझने का मौका मिले कि कौन सा दल उन्हें सही तरीके से प्रतिनिधित्व कर रहा है।

निष्कर्ष

ओर कुल मिलाकर, एडीआर की रिपोर्ट ने भारतीय राजनीति में चंदे की असमान स्थिति को उजागर किया है। बीजेपी का चंदा कांग्रेस और AAP के मुकाबले लगभग 6 गुना अधिक है, जो राजनैतिक पारदर्शिता के लिए चिंता का विषय है। यह समय है कि सभी दल इस मुद्दे पर ध्यान दें और चुनावी धन के ट्रांसपेरेंसी को सुनिश्चित करें।

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