सीएम धामी का ऐतिहासिक ऐलान: दिव्यांग छात्रों के लिए छठे तक की छात्रवृत्ति पर आय सीमा समाप्त
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कक्षा एक से आठवीं तक की दिव्यांग छात्रवृत्ति के लिए...

सीएम धामी का ऐतिहासिक ऐलान: दिव्यांग छात्रों के लिए छठे तक की छात्रवृत्ति पर आय सीमा समाप्त
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कम शब्दों में कहें तो, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कक्षा एक से आठवीं तक के दिव्यांग छात्रों के लिए छात्रवृत्ति को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। अब इन छात्रों के लिए आय सीमा समाप्त कर दी गई है, जिससे अधिक से अधिक छात्र इस योजना का लाभ ले सकें।
मुख्यमंत्री धामी ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में यह घोषणा करते हुए कहा कि दिव्यांगजन विवाह प्रोत्साहन राशि को 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये भी किया जाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य में संवेदनशील प्रशासन और पारदर्शिता को बढ़ावा देना है, जो कि राज्य के निवासियों के लिए एक नई मिसाल बन रहा है।
मुख्य सेवक संवाद का महत्व
गुरुवार को आयोजित संवाद के पांचवे संस्करण में, सीएम ने वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के साथ सीधा संवाद किया। इस आयोजन में वृद्धावस्था पेंशन के लाभार्थी भी शामिल थे, जिन्होंने अपने अनुभव साझा किए। अधिकारियों को उनके समस्याओं का त्वरित समाधान करने के लिए निर्देशित किया गया।
कार्यक्रम का मुख्य ध्यान वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग जनों की योजनाओं पर केंद्रित था। लाभार्थियों ने यह बताया कि अब वृद्धावस्था पेंशन समय पर मिल रही है, जिससे उनके परिवार के दोनों बुजुर्गों को इसका लाभ मिल रहा है। पेंशन राशि को 1200 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये किया गया है, जिससे उन्हें घरेलू खर्च चलाने में सहूलियत मिली है।
वृद्धाश्रम की योजना
सीएम धामी ने घोषणा की कि सभी जनपदों में सुविधा युक्त वृद्धाश्रमों का निर्माण किया जाएगा। वर्तमान में कई जिलों में इस निर्माण कार्य की प्रगति हो रही है और जल्द ही हर जिले में आधुनिक वृद्धाश्रम उपलब्ध होंगे। इस पहल को वरिष्ठ नागरिकों ने सम्मानजनक अवसर माना।
दिव्यांगजन लाभार्थियों ने इस पर कहा कि सरकार अब केवल कागजी योजनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि वास्तव में उनके साथ खड़ी है। संवाद के बाद, मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजन के साथ भोजन भी किया, जो उनके अनुभवों और संघर्षों को समझने का एक अनूठा तरीका था।
महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री मोदी का विजन
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस विजन से मेल खाती है, जिसमें वंचित वर्ग, मातृशक्ति और युवाओं को योजनाओं से जोड़ने पर जोर दिया गया है। उत्तराखंड का यह प्रयोग अन्य राज्यों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल साबित हो सकता है।
यह मोटिवेशनल दृष्टिकोण न केवल दिव्यांगजन और वृद्ध लोगों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि उन्हें सामाजिक दृष्टि से भी सम्मान प्रदान करता है।
इस प्रकार, मुख्यमंत्री का यह कदम न सिर्फ दिव्यांग छात्रों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है, बल्कि समाज के वंचित वर्ग को भी सकारात्मक संकेत भेजता है। इस मुद्दे पर आपकी क्या राय है? हमें जरूर बताएं।
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सादर,
टीम खर्चा पानी, सुमित्रा कुमारी
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