मंदिरों के फूल: दिव्यांगजनों के लिए नया रोजगार सृजन

मंदिरों के फूल बने दिव्यांगजनों की रोज़गार की डोर  आईटीसी मिशन सुनहरा कल, भुवनेश्वरी महिला आश्रम व आकांक्षा की अनोखी साझेदारी सन 1998 में स्थापित आकांक्षा संस्था आज मानसिक रूप…

Sep 6, 2025 - 00:34
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मंदिरों के फूल: दिव्यांगजनों के लिए नया रोजगार सृजन
मंदिरों के फूल बने दिव्यांगजनों की रोज़गार की डोर  आईटीसी मिशन सुनहरा कल, भुवनेश्वरी महिला आश्रम

मंदिरों के फूल: दिव्यांगजनों के लिए नया रोजगार सृजन

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कम शब्दों में कहें तो, दिव्यांगजनों को रोजगार देने की नई पहल के तहत आईटीसी मिशन सुनहरा कल, भुवनेश्वरी महिला आश्रम और आकांक्षा संस्था ने अनोखी साझेदारी की है। यह साझेदारी न केवल आर्थिक रूप से सक्षम बनाएगी, बल्कि समाज में दिव्यांगजनों के प्रति संवेदनशीलता और स्वीकृति भी बढ़ाएगी।

अकांक्षा संस्था की भूमिका

साल 1998 में स्थापित आकांक्षा संस्था ने हमेशा सामाजिक उत्थान के लिए काम किया है। इस संस्था का प्रमुख लक्ष्य मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों का सामना कर रहे लोगों की मदद करना है। यह दिव्यांगजनों को उनकी क्षमताओं के अनुसार प्रशिक्षण एवं रोजगार प्रदान करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। इस नई पहल के अंतर्गत, दिव्यांगजन मंदिरों में फूलों की बिक्री से जुड़े रोजगार में सक्रिय होंगे।

आईटीसी मिशन सुनहरा कल की पहल

आईटीसी मिशन सुनहरा कल ने अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए इस विशेष कार्यक्रम के लिए सहयोग किया है। उनके अनुसार, "हम चाहते हैं कि दिव्यांगजन केवल सहायता के तौर पर नहीं, बल्कि समाज की मुख्यधारा में काम करने वाले सक्रिय सदस्यों के रूप में विकसित हों।" इस मिशन के तहत, फूलों की बिक्री के जरिए दिव्यांगजनों को न केवल रोजगार मिलेगा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी कदम बढ़ाए जाएंगे।

भुवनेश्वरी महिला आश्रम की भूमिका

भुवनेश्वरी महिला आश्रम, जो हमेशा महिलाओं और दिव्यांगजनों के कल्याण में समर्पित रहा है, इस प्रयास में मील का पत्थर साबित हो सकता है। वे उस समर्थन और संसाधनों को प्रदान करेंगे जो दिव्यांगजनों की श्रम क्षमता को बढ़ाने में सहायक होंगे। महिलाओं की प्रतिभा को पहचानने और उन्हें रोजगार देने की दिशा में यह आश्रम महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

संस्था के परिणाम और भविष्य की संभावनाएँ

आकांक्षा संस्था के कार्यक्रम के परिणामस्वरूप, दिव्यांगजन न केवल अपने आर्थिक स्थिति में सुधार कर पाएंगे, बल्कि इससे उन्हें सामाजिक मान्यता भी प्राप्त होगी। इस पहल से यह सुनिश्चित होगा कि दिव्यांगजन न केवल समाज का हिस्सा हैं, बल्कि वे इसकी प्रगति में योगदान देने के लिए भी सक्षम हैं।

समाज में संवेदनशीलता बढ़ाने का प्रयास

दिव्यांगजनों के प्रति समाज में सहानुभूति और स्वीकृति को बढ़ाने के लिए यह साझेदारी महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल उनके जीवन में सुधार आएगा, बल्कि अन्य लोगों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगी। आकांक्षा संस्था का यह प्रयास दूसरों के लिए एक आदर्श बन सकता है।

निष्कर्ष

दिव्यांगजनों के रोजगार सृजन में इस अभिनव पहल के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे कार्यक्रमों की जरुरत है, जो समाज के सभी वर्गों को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करें। इस दिशा में की गई साझेदारी निस्संदेह एक नई प्रेरणा है।

फूलों की बिक्री के जरिए रोजगार पाना दिव्यांगजनों के लिए एक नया अवसर है। इसके जरिए वे न केवल अपनी स्वावलंबी जीवनशैली को स्थापित करेंगे, बल्कि समाज में उनकी स्थिति भी मजबूत होगी।

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सिर्फ एक सामाजिक बदलाव ही नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और स्वामित्व का एहसास भी इस पहल के माध्यम से हो रहा है।

— टीम खर्चा पानी, सहर नंदा

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