उत्तराखण्ड में पर्वतीय खेती को नया दिशा-निर्देश, एसजीआरआरयू में विशेषज्ञों का महत्वपूर्ण योगदान

एसजीआरआरयू में विशेषज्ञों ने दिखाई पर्वतीय खेती में खुशहाली की राह ऽ उत्तराखण्ड में औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती में अपार संभावनाएँ ऽ औषधीय पौधों और जैविक खेती के…

Sep 17, 2025 - 09:34
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उत्तराखण्ड में पर्वतीय खेती को नया दिशा-निर्देश, एसजीआरआरयू में विशेषज्ञों का महत्वपूर्ण योगदान

उत्तराखण्ड में पर्वतीय खेती को नया दिशा-निर्देश

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कम शब्दों में कहें तो, एसजीआरआरयू में हुए एक विशेष सेमिनार में विशेषज्ञों ने उत्तराखण्ड की पर्वतीय खेती में सुधार की विस्तृत संभावनाएँ प्रस्तुत की हैं।

औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती में संभावनाएँ

उत्तराखण्ड, अपनी प्राकृतिक सुन्दरता और हरियाली के लिए प्रसिद्ध है। यहां की जलवायु औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती के लिए अत्यन्त अनुकूल है। हाल ही में, एसजीआरआरयू (सूर्य राम जी रिसर्च यूनिवर्सिटी) में आयोजित एक सेमिनार में विशेषज्ञों ने इस दिशा में कई संजीवनी भरी बातें रखीं। विशेषज्ञों ने बताया कि यदि स्थानीय किसानों को प्रशिक्षित किया जाए तो औषधीय पौधों की खेती से उन्हें न केवल आर्थिक लाभ होगा, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।

जैविक खेती का महत्व

पर्यावरणीय सुरक्षा के साथ-साथ, जैविक खेती आगामी पीढ़ियों के लिए एक स्थायी विकल्प हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखण्ड में जैविक खेती की दिशा में गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है। यहां के किसान यदि औषधीय पौधों की जैविक खेती की ओर ध्यान दें, तो यह न केवल उनकी आय में वृद्धि करेगा, बल्कि नीचे स्तर की खेती को प्रोत्साहित करेगा।

आर्थिक सहायता और सरकारी योजनाएँ

सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की गई है जो किसानों को औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं। इसके अलावा, स्थानीय स्वयं सहायता समूहों को इस दिशा में सक्रिय करके किसान भाईयों को जोड़ा जा सकता है।

स्थानीय किसानों की राय

विभिन्न ग्रामीण किसानों ने इस दिशा में विचार रखते हुए कहा कि यदि उन्हें सही जानकारी और प्रशिक्षण दिया गया, तो वे औषधीय पौधों की खेती शुरू करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी बल्कि यह क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न करेगा।

निष्कर्ष

एसजीआरआरयू में आयोजित सेमिनार ने यह सिद्ध कर दिया है कि उत्तराखण्ड में पर्वतीय खेती में सुधार की अपार संभावनाएँ हैं। यदि सही दिशा में काम किया गया तो औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती न सिर्फ किसानों के जीवन को सुधारने में मदद कर सकती है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है।

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—Team Kharchaa Pani, प्रियंका शर्मा

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