उत्तराखंड: राज्यपाल Gurmeet Singh की पहल से दून विश्वविद्यालय और NRDC के बीच महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि की पहल पर राजभवन में दून विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी)के मध्य एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओए)पर हस्ताक्षर किए गए। यह राज्य में अपनी तरह की पहली साझेदारी है,जिसमें एनआरडीसी ने किसी राज्य विश्वविद्यालय से औपचारिक रूप से समझौता किया है। एनआरडीसी,भारत सरकार के विज्ञान एवं […] The post UTTARAKHAND:-राज्यपाल गुरमीत सिंह की पहल पर राजभवन में दून विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम के मध्य हुआ महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए appeared first on संवाद जान्हवी.

उत्तराखंड: राज्यपाल Gurmeet Singh की पहल से दून विश्वविद्यालय और NRDC के बीच महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
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उत्तराखंड में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण घटना के तहत, राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल Gurmeet Singh (सेवानिवृत्त) ने राजभवन में दून विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (NRDC) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह ऐतिहासिक साझेदारी NRDC और किसी भी राज्य विश्वविद्यालय के बीच पहला औपचारिक समझौता है, जो राज्य की शैक्षणिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
शोध और नवाचार के लिए सामरिक सहयोग
NRDC, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत एक उद्यम है, जिसका उद्देश्य शोध, नवाचार और बौद्धिक संपदा के वाणिज्यीकरण को बढ़ावा देना है। राज्यपाल सिंह ने इस पहल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के '2047 तक विकसित भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप बताया, इसे उच्च शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में प्रस्तुत किया।
उच्च शिक्षा और उद्योग के एकीकरण पर प्रभाव
Signing ceremony के दौरान, सिंह ने इस महत्वपूर्ण क्षण के लिए अपनी उत्साहजनक भावनाओं को व्यक्त किया, stating that यह सिर्फ दून विश्वविद्यालय के लिए ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड के समग्र उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बनेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालयों को केवल शैक्षणिक संस्थान नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें शोध, नवाचार और ज्ञान-आधारित विकास के केंद्र में विकसित होना चाहिए।
यह समझौता दून विश्वविद्यालय को शैक्षणिक प्रयासों और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच का अंतराल पाटने में सक्षम बनाएगा, जिससे व्यापक शोध पहलों को स्टार्टअप्स और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ने की अनुमति मिलेगी। इस परिवर्तन की उम्मीद की जा रही है कि इससे विश्वविद्यालय आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा और बाहरी वित्तीय संसाधनों पर निर्भरता कम होगी।
NRDC की समर्थन का आश्वासन
NRDC के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कमोडोर अमित रस्तोगी ने राज्यपाल को दून विश्वविद्यालय के प्रति अपनी समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि NRDC विश्वविद्यालय के लिए पेटेंट फाइलिंग में सहायता करेगा, जिससे उनकी उद्योगों के साथ प्रौद्योगिकी और ज्ञान हस्तांतरण पहलों में संलग्नता बढ़ेगी। रस्तोगी के टिप्पणियों से यह सुझाव मिलता है कि यह सहयोग राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा और छात्रों और शिक्षकों के बीच उद्यमशीलता कौशल को बढ़ावा देगा।
शोध और बौद्धिक संपदा पर ध्यान केंद्रित
दून विश्वविद्यालय की उप-कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डांगवाल ने स्पष्ट किया कि विभिन्न विभाग, विशेष रूप से पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन, भौतिकी, रसायन, गणित, कंप्यूटर विज्ञान, पृथ्वी विज्ञान और डिजाइन स्कूल अब अपनी शोध गतिविधियों को बौद्धिक संपदा निर्माण की ओर अग्रसर कर रहे हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि फैकल्टी सदस्य मौलिक और अनुप्रयुक्त अनुसंधान में सक्रिय रूप से शामिल हैं, जिन्होंने कई उच्च गुणवत्ता वाले शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। NRDC के समर्थन से, विश्वविद्यालय पेटेंट, ट्रेडमार्क, डिज़ाइन और विभिन्न प्रकार की बौद्धिक संपदा को सुरक्षित करने और उसे वाणिज्यीकृत करने के प्रयासों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने का लक्ष्य रखता है।
उन्नत भविष्य के लिए एक सामूहिक प्रयास
इस कार्यक्रम में महत्वपूर्ण व्यक्तियों की भागीदारी देखने को मिली, जिसमें सचिव रविनाथ रामन, अतिरिक्त सचिव रीना जोशी, और दून विश्वविद्यालय के कई फैकल्टी सदस्य और शोधार्थी शामिल थे। यह सामूहिक प्रयास अगले शोध और विकास की दिशा में एक संयुक्त प्रतिबद्धता को दर्शाता है, नवाचार के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना और छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना।
जैसे-जैसे यह साझेदारी विकसित होती है, इसकी उम्मीद है कि यह शोध के अवसरों और व्यावहारिक उपयोगों से भरे एक वातावरण को बढ़ावा देगी, जो न केवल विश्वविद्यालय बल्कि स्थानीय समुदाय को भी लाभ पहुंचाएगी, अंततः उत्तराखंड के विकास की दिशा में योगदान करते हुए।
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