डीयू प्रिंसिपल ने क्लास रुम में गोबर का लेप लगाया:कहा- यह रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा, कमरे को ठंडा रखने के लिए देसी तरीका अपना रहे
दिल्ली यूनिवर्सिटी के लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल का क्लास रुम की दीवारों पर गोबर का लेप लगाते हुए एक वीडियो वायरल हो रहा है। प्रिंसिपल प्रत्यूष वत्सला के अनुसार यह काम एक रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा है। उन्होंने खुद ही कॉलेज के शिक्षकों के साथ यह वीडियो शेयर किया है। वीडियो में प्रिंसिपल ने बताया कि क्लास रुम को ठंडा रखने के लिए ये देसी तरीके अपनाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया- यह एक रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो कॉलेज के एक फैकल्टी सदस्य की देखरेख में चल रहा है। रिसर्च फिलहाल प्रक्रिया में है और पूरा डेटा एक हफ्ते बाद साझा किया जाएगा। डॉ. वत्सला ने कहा, 'यह रिसर्च पोर्टा कैबिन्स में की जा रही है। मैंने खुद एक कमरे की दीवार पर गोबर लगाया क्योंकि मिट्टी और गोबर जैसे प्राकृतिक चीजों को छूने में कोई हर्ज नहीं है। कुछ लोग बिना जानकारी के अफवाह फैला रहे हैं।' प्रिंसिपल प्रत्यूष वत्सला - गर्मियों में क्लास रूम्स को ठंडा रखने की देसी तकनीक वीडियो में देखा जा सकता है की प्रिंसिपल दीवारों पर गोबर लगा रही हैं। यहां गर्मियों में क्लास रूम को ठंडा रखने के लिए ये देसी तकनीक अपनाई जा रही है। प्रिंसिपल के अनुसार इस प्रोजेक्ट का नाम 'पारंपरिक भारतीय ज्ञान का उपयोग करके थर्मल स्ट्रेस कंट्रोल का अध्ययन' है। रानी लक्ष्मीबाई कॉलेज दिल्ली के अशोक विहार में है। इसकी स्थापना 1965 में हुई थी। पहले क्यों गोबर से लीपा जाता था घर सनातन परंपरा में गोबर को पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना गया है। किसी भी धार्मिक आयोजन से पहले घर के आंगन को गोबर से लिपा जाता था। इसके साथ ही गोबर से घर लीपने के कई अन्य कारण भी थे - --------------------- ये खबर भी पढ़ें... देशभर में हीटवेव ने बदला स्कूलों का टाइम:तेलंगाना में गर्मियों की छुट्टियों की घोषणा, मध्य प्रदेश में 12 बजे तक ही चलेगी क्लास पूरे देश में हीट वेव के बीच अब इंडियन मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट यानी IMD ने आठ राज्यों के लिए ऑरेंज अलर्ट और बाकी कुछ राज्यों के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। बढ़ती गर्मी को देखते हुए कुछ राज्यों के जिला प्रशासन ने स्कूल प्रशासन को नोटिस जारी कर स्कूल टाइमिंग में बदलाव करने को कहा है। पूरी खबर पढ़ें...

डीयू प्रिंसिपल ने क्लास रुम में गोबर का लेप लगाया: कहा- यह रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा, कमरे को ठंडा रखने के लिए देसी तरीका अपना रहे
लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेटानागरी
Kharchaa Pani
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के एक प्रिंसिपल द्वारा क्लास रूम में गोबर का लेप लगाने की खबर ने सबका ध्यान आकर्षित किया है। उनका कहना है कि यह एक रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसके जरिए वे कमरों को ठंडा रखने के लिए देसी तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। आइए जानते हैं इस प्रोजेक्ट के पीछे की सोच और इसके संभावित लाभ।
गोबर का महत्व और उपयोगिता
गोबर, विशेष रूप से भारतीय संस्कृति में, लंबे समय से स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल सामग्री माना जाता है। इसे न केवल घरेलू कामों में बल्कि औषधीय गुणों के लिए भी पहचाना जाता है। डीयू के प्रिंसिपल ने इस बात पर जोर दिया है कि यह प्रयोग केवल एक प्राकृतिक विकल्प नहीं है, बल्कि शोध के लिए एक नया दृष्टिकोण भी है।
रिसर्च प्रोजेक्ट का उद्देश्य
इस रिसर्च प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य कमरों में तापमान को नियंत्रित करना है। प्रिंसिपल ने बताया कि गोबर का लेप न केवल कमरे को ठंडा रखता है बल्कि यह हवा को भी शुद्ध करता है। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, गोबर में कई ऐसे गुण होते हैं जो सामान्य तापमान में भी ठंडक बनाए रखने में सहायक होते हैं।
विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया
क्लास में गोबर का लेप लगाए जाने के बाद छात्रों की प्रतिक्रियाएं मिश्रित रही हैं। कुछ छात्रों का कहना है कि यह तकनीक बेहतर है, जबकि अन्य इसे अजीब मान रहे हैं। हालांकि, अधिकांश छात्र प्रिंसिपल के इस प्रयास की सराहना कर रहे हैं, क्योंकि यह एक नया प्रयोग है जो पर्यावरण को ध्यान में रखता है।
समाज पर प्रभाव
इस प्रयोग के माध्यम से, डीयू प्रिंसिपल ने न केवल शोध को आगे बढ़ाया है बल्कि यह भी दर्शाया है कि परंपरागत भारतीय तकनीकें अभी भी प्रासंगिक हैं। गोबर के लेप ने यह साबित किया है कि प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करके हम कई समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं।
निष्कर्ष
डीयू के प्रिंसिपल का यह कदम निश्चित रूप से नई सोच का परिचायक है। यह न केवल शोध के क्षेत्र में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, बल्कि स्थानीय संसाधनों के प्रति हमारी सोच को भी बदलता है। भविष्य में यदि इस प्रयोग का परिणाम सकारात्मक रहा तो यह अन्य संस्थानों के लिए भी एक प्रेरणा बनने की क्षमता रखता है। हम उम्मीद करते हैं कि इस तरह के प्रयोग भविष्य में और बढ़ें, जिससे हम सभी को लाभ हो सके।
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